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दिल्ली गैंगरेप: फांसी से बच सकते हैं निर्भया के दोषी, ये है बड़ी वजह
दिल्ली में साल 2012 में निर्भया के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी गईं थीं और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा हुई है। निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दया याचिका लगाई है।
नई दिल्ली: महिला डॉक्टर से गैंगरेप और हत्या के सभी चारों आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया। हैदराबाद में पीड़िता के आरोपियों का एनकाउंटर नेशनल हाइवे-44 के पास किया गया। पुलिस आरोपियों को एनएच-44 पर क्राइम सीन रिक्रिएट कराने के लिए लेकर गई थी। पुलिस के मुताबिक चारों आरोपियों ने मौके से फरार होने की कोशिश की। पुलिस ने चारों आरोपियों को ढेर कर दिया है।
इस एनकाउंटर पर दिल्ली गैंगरेप पीड़िता निर्भया की मां ने कहा कि हैदराबाद पुलिस का धन्यवाद। इससे बढ़िया इंसाफ कुछ हो नहीं सकता था। अब जल्द से जल्द निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। सजा में देरी होने से कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि आरोपियों की जल्द दया याचिका खारिज नहीं हुई तो वह फांसी से बच सकते हैं।
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दिल्ली में साल 2012 में निर्भया के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी गईं थीं और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा हुई है। निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय शर्मा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दया याचिका लगाई है। इस केस में दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज चुकी है। अब गृह मंत्रालय निर्भया के दोषियों की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजेगा। इसके बाद इस मामले पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद फैसला लेंगे।
एन न्यूज चैनल को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ वकील जितेंद्र मोहन शर्मा ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को किसी अपराधी को क्षमादान देने, उसकी सजा को कम करने और फिर सजा में बदलाव की शक्ति दी गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास निर्भया के दोषियों को माफ करने, उनकी सजा कम करने या फिर सजा को बदलने की शक्ति है।
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शर्मा ने चैनल से यह भी कहा है कि निर्भया गैंगरेप के दोषियों को फांसी की सजा देने के लिए बेहद जरूरी है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद निर्भया के दोषियों की दया याचिका को जल्द से जल्द खारिज कर दें। अगर राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर फैसला लेने में देरी होती है, तो निर्भया के दोषी फांसी के फंदे से बच सकते हैं। अगर राष्ट्रपति देरी करने के बाद भी निर्भया के दोषियों की दया याचिका खारिज कर देते हैं, तो भी इसका कोई असर नहीं होगा और इन दोषियों के फांसी से बचने का रास्ता बन सकता है।
मोहन शर्मा ने बताया कि अगर फांसी की सजा देने में देरी होती है, तो निर्भया के दोषियों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा। राष्ट्रपति के दया याचिका में फैसला लेने को मौलिक अधिकारों का हनन बताकर निर्भया के दोषी अनुच्छेद 32 के तहत एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं और अपनी फांसी की सजा रद्द करने की मांग कर सकते हैं।
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पहले भी दोषी बच चुके हैं फांसी से
इससे पहले राजीव गांधी के हत्यारों ने फांसी देने में देरी होने पर अनुच्छेद 21 के तहत अपने मौलिक अधिकारों का हनन बताया था और अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस पी सदाशिवम, रंजन गोगोई और शिव कीर्ति सिंह की बेंच ने फैसला सुनाते हुए राजीव गांधी के हत्यारों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।