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New Parliament: देश में नई संसद बनने की ये पांच वजहें, मौजूदा भवन का अब क्या होगा? पद्मश्री आर्किटेक्ट ने दी डिजाइन, जानें सब-कुछ

New Parliament: देश की नई संसद की इमारत बनकर तैयार हो गई है। अत्याधुनिक तकनीकों से लैस इस संसद को बनाने के पीछे कई वजह हैं। देश के बड़े पद्मश्री से सम्मानित अर्किटेक्ट ने डिजाइन दी है। संसद पर पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Snigdha Singh
Published on: 19 May 2023 7:22 PM IST (Updated on: 19 May 2023 10:37 PM IST)
New Parliament: देश में नई संसद बनने की ये पांच वजहें, मौजूदा भवन का अब क्या होगा? पद्मश्री आर्किटेक्ट ने दी डिजाइन, जानें सब-कुछ
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Image: Social Media

New Parliamant: दिल्ली के राजा अनंगपाल तोमर से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने देश की मौजूदा संसद से अपनी सत्ता चलाई। कई बार तबाह हुई इस इमारत में विदेश शासकों से लेकर कई बड़े नेताओं ने इबारत लिखी है। अब देश की नई संसद बनकर तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को उद्घाटन भी करेंगे। नई संसद का प्रस्ताव जैसे रखा गया वैसे ही कई सवाल खड़े हुए। दरअसल, नई संसद बनाने के पीछे कई अहम वजह हैं। नए संसद भवन का निर्माण आधुनिक तकीनीकों के उपयोग से हुआ है। इसमें छोटी से लेकर कई बड़ी सुविधाओं से लैस है। प्रोजेक्ट का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर होगा। यह मौजूदा संसद भवन से 17,000 वर्ग मीटर से अधिक है।

सौ वर्ष के करीब मौजूदा संसद

देश की मौजूदा संसद का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को हुआ था। जबकि इसका निर्माण कार्य लगभग 1921-22 से शुरू हो गया था। इस हिसाब से संसद भवन का करीब समय पूरा हो चुका। चल रहे वर्ष से जोड़ेते हैं तो 96 साल हो गए हैं। वहीं नई इमारत का जीवन 150 से अधिक वर्षों का होगा। इसे भूकंप प्रतिरोधी बनाया गया है। यह भारत के विभिन्न हिस्सों से वास्तुशिल्प शैलियों का प्रतिनिधित्व करेगा।

बैठने की समस्या

देश जनसंख्या के मामले में नंबर वन पर पहुंच गया है। आने वाले समय में उम्मीद है कि संसद सदस्यों को संख्या बढ़ाई जाए। वहीं, मौजूदा संसद इस लिहाज से छोटी है। लोकसभा को 2026 तक 888 सदस्यों की आवश्यकता हो सकती है। नए परिसर में लोकसभा कक्ष में 888 सीटें और राज्यसभा कक्ष में 384 सीटें हैं। इसमें मौजूदा संसद की तरह एक केंद्रीय हॉल नहीं होगा बल्कि लोकसभा कक्ष में ही संयुक्त सत्र के मामले में 1224 सदस्य सम्मलित हो सकेंगे।

सुरक्षा के नजरिए से चाक-चौबंद

नई इमारत में मंत्रियों नेताओं की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान दिया गया है। इमारत 4 मंजिल की है। इसके बाकी हिस्सों में मंत्रियों और समिति के कमरों के साथ 4 मंजिलें होंगी। इसके अंदर ही लाइब्रेरी, विश्राम कक्ष, मंत्रियों और सांसदों के दफ्तर है। ताकि बार-बार आवागमन से समय बचे। इसके साथ ही संसद से लाल किले तक अंदर से रास्ता बनाया गया है। इससे सुरक्षा के साथ साथ आम लोगों को भी ट्रैफिक की समस्या नहीं होगी।

ब्रिटिश कालीन संसद में नहीं थी ये सुविधाएं

ब्रिटिश कालीन संसद के जल्द सौ वर्ष पूरे हो जाएंगे। इस संसद भवन में अत्याधुनिक सुविधाएं नहीं थी। इसके साथ ही मौजूदा संसद में सिर्फ 790-800 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। मंत्रियों और सांसदों के लिए अन्य सुविधाएं भी नहीं है।

संविधान हॉल भी

संसद और संविधान। दोनों ही एक दूसरे से जुड़े हैं। इसलिए नई संसद में संविधान हाल तैयार किया गया है। इसमें संविधान की सभी प्रतियां रखी जाएंगी। इसके साथ ही इस भवन में पुस्तकालय भी तैयार हुआ है। यहां मौजूद दस्तावेजों के मारफत देश के संविधान और संसद से जुड़े इतिहास को जानना आसान होगा।

नए संसद भवन में ये बड़ी सुविधाएं

सभी सांसदों का आधुनिक और डिजिटल सुविधाओं के साथ पेपरलेस दफ्तर है

नई इमारत में एक भव्य कॉन्स्टीच्यूशन हॉल या संविधान हॉल होगा, मूल प्रति को भी रखा गया

सांसदों के बैठने के लिए बड़ा हॉल और पुस्तकालय भी है

समितियों के लिए कई कमरे, कैफेटेरिया और पार्किंग सुविधा भी

इमारत में 150 से अधिक वर्षों का जीवन होगा।

मौजूदा संसद का अब आयोजनों के लिए होगा उपयोग

राजधानी दिल्ली के गोकुल नगर जनपथ में 566 मीटर व्यास वाले संसद भवन का निर्माण 1921 में शुरू हुआ था। इसकी डिजाइन और निर्माण एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने किया। इस भवन के निर्माण में करीब छह साल का समय लगा था। उस समय इसे बनाने में लगभग 83 लाख रुपये की लागत आई थी। मौजूदा संसद का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था। वहीं, अधिकारियों की माने तो इस संसद के उपयोग अब संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा।

नई संसद को किसने दी डिजाइन

नई संसद की इमारत बनाने का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला है। सितंबर 2020 में 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाकर यह ठेका लिया था। इस प्रोजेक्ट का खाका गुजरात स्थित एक आर्किटेक्चर फर्म एचसीपी डिज़ाइन्स ने तैयार किया है। इसे अहमदाबाद के आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने तैयार किया। बिमल पटेल ने CEPT से आर्किटेक्चर में प्रोफेशनल डिग्री हासिल कर पीएचडी किया। इसके बाद कई विदेशी नामचीम कंपनियों में कार्यरत रहे। इन्होंने अर्बन री-डेवलपमेंट, कंकारिया लेक डेवलपमेंट और साबरमती रिवरफ्रंट जैसे अर्बन प्रोजेक्ट्स को डिजाइन दी। मालूम हो कि इन्हें संयुक्त राष्ट्र के अवॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस समेत 2019 में आर्किटेक्चर और प्लानिंग में बेहतरीन कार्यों के लिए इनको पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है।



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Snigdha Singh

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