Poet Allama Iqbal: डीयू के सिलेबस से हटेगा इस मशहूर शायर का चैप्टर, जिन्हें कहा जाता है पाकिस्तान का जनक

Poet Muhammad Allama Iqbal:मशहूर शायर अल्लामा मोहम्मद इकबाल के चैप्टर को हटाने का प्रस्ताव पास किया है। डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने बताया कि इसे हटाने के लिए विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल को जानकारी दी जाएगी।

Krishna Chaudhary
Published on: 27 May 2023 1:11 PM GMT
Poet Allama Iqbal: डीयू के सिलेबस से हटेगा इस मशहूर शायर का चैप्टर, जिन्हें कहा जाता है पाकिस्तान का जनक
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Poet Allama Iqbal (photo: social media )

Poet Muhammad Allama Iqbal: दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने सिलेबस से पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि और सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा लिखने वाले मशहूर शायर अल्लामा मोहम्मद इकबाल के चैप्टर को हटाने का प्रस्ताव पास किया है। डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने बताया कि इसे हटाने के लिए विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल को जानकारी दी जाएगी। वही अंतिम निर्णय लेगी। काउंसिल की बैठक 9 जून को होगी। जानकारी के मुताबिक, इकबाल से जुड़ा चैप्टर बीए राजनीति विज्ञान के छठे सेमेस्टर का हिस्सा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मॉडर्न इंडियन पॉलिटिकल थॉट्स नाम का चैप्टर बीए के राजनीति विज्ञान विषय में पढ़ाया जाता है। सिलेबस में कुल 11 चैप्टर शामिल हैं। इनमें राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर और पंडित रमाबाई जैसी शख्सियत शामिल हैं। इनमें शायर मोहम्मद इकबाल के नाम से भी एक चैप्टर है, जिसे हटाने का प्रस्ताव पारित किया गया है।

पांच सदस्यों ने किया विरोध

पाकिस्तानी शायर इकबाल के चैप्टर को हटाने के लिए शुक्रवार को डीयू की अकादमिक परिषद की बैठक काफी देर तक चली। बैठक में जब यह प्रस्ताव पेश किया गया तो सदस्यों के बीच इस पर काफी चर्चा हुई। काउंसिल के 100 सदस्यों में से पांच सदस्यों ने प्रस्ताव का विरोध किया था। उन्होंने इसे विभाजनकारी फैसला बताया था। प्रस्ताव के समर्थन में 95 लोगों ने अपनी बात रखी, इसी तरह बहुमत के साथ प्रस्ताव काउंसिल से पास हो गया।

एबीवीपी ने किया प्रस्ताव का समर्थन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने डीयू के सिलेबस से शायर मोहम्मद इकबाल के चैप्टर को हटाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। एबीवीपी ने ट्वीट कर कहा कि इकबाल पाकिस्तान के फिलॉसोफिकल फादर और कट्टरपंथी सोच रखने वाले व्यक्ति थे। जिन्ना को मुस्लिम लीग का नेता बनाने के पीछे उनका बड़ा था। भारत के विभाजन के लिए जिन्ना जितने जिम्मेदार हैं, इकबाल भी उतने ही हैं।

कौन थे अल्लामा इकबाल ?

मोहम्मद इकबाल जो कि बाद में अल्लामा इकबाल के नाम से मशहूर हुए, के दो अवतार थे। एक जब वे एकजुट भारत के हिमायती थे और साल 1905 में उन्होंने एक खूबसूरत तराना ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’, पेश कर इसे साबित भी किया था। लेकिन कुछ सालों बाद उनके विचारधारा में परिवर्तन आया और चीन-ओ-अरब हमारा, हिन्दोस्तां हमारा; मुस्लिम है वतन है, सारा जहाँ हमारा..." के जरिए उन्होंने एक अलग मुस्लिम देश की वकालत करनी शुरू कर दी।

29 दिसंबर 1930 को इलाहाबाद में आयोजित इंडियन मुस्लिम लीग के 21वें सत्र में भारत के विभाजन और पाकिस्तान की स्थापना का विचार सबसे पहले इकबाल ने ही उठाया था। इन्हीं के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग उठानी शुरू कर दी थी। वे पंजाब, सिंध, ब्लूचिस्तान और उत्तर पश्चिम फ्रंटियर प्रांत को मिलाकर एक देश बनाने की अपील करने वाले पहले शख्स थे। वो इकबाल ही थे, जिन्होंने जिन्ना को मुस्लिम लीग के इस मुहिम के लिए तैयार किया था। इसलिए पाकिस्तान में उन्हें राष्ट्र कवि का दर्जा प्राप्त है। उन्हें मुफ्फिकर – ए- पाकिस्तान (पाकिस्तान का विचारक), अल्लामा इकबाल (विद्वान इकबाल), शायर-ए-मशरिक (पूरब का शायर) और हकीम-उल-उम्मत ( उम्मा का विद्वान) भी कहा जाता है।

कश्मीरी पंडित थे इकबाल के पूर्वज

मोहम्मद इकबाल के पूर्वज कश्मीरी पंडित थे। उनके दादा सहज सप्रू कश्मीर से सियालकोट आ गए और हिंदू धर्म छोड़ इस्लाम कबूल कर लिया था। यहीं पर 9 नवंबर 1877 को मोहम्मद इकबाल का जन्म हुआ था। इकबाल की मृत्यु 21 अप्रैल 1938 को लाहौर में हुई थी। मरने से पहले इकबाल पाकिस्तान आंदोलन की बागडोर सभलतापूर्वक मोहम्मद जिन्ना को सौंप चुके थे।

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