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राजनयिकों के दौरे से पहले पाक का कश्मीर राग, भारत देगा मुंहतोड़ जवाब

यूरोप व अफ्रीका के राजनयिकों के जम्मू-कश्मीर दौरे पर पहुंचने से पहले ही पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया है।

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Published on: 17 Feb 2021 6:10 AM GMT
राजनयिकों के दौरे से पहले पाक का कश्मीर राग, भारत देगा मुंहतोड़ जवाब
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। यूरोप व अफ्रीका के राजनयिकों के जम्मू-कश्मीर दौरे पर पहुंचने से पहले ही पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया है। ये राजनयिक जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर बुधवार को पहुंच रहे हैं। अपनी आदत के मुताबिक दौरे से पहले ही पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भटकाने के लिए ही राजनयिकों का यह दौरा करवा रही है। दूसरी ओर भारत दौरे के जरिए जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के आरोपों का जवाब देने की कोशिश में जुटा हुआ है।

दुनिया को भटकाने का पाक का आरोप

पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर का मामला अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाकर हमेशा भारत को घेरता रहा है। इस बार भी विदेशी राजनयिकों के दौरे से पहले पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति जताई है।

पाकिस्तान का कहना है कि भारत जम्मू-कश्मीर को लेकर दुनिया को भ्रमित करने की साजिश रच रहा है और यही कारण है कि विदेशी राजनयिकों को जम्मू-कश्मीर का दौरा कराया जा रहा है। पाकिस्तान का कहना है कि अगर इन राजनयिकों को हुर्रियत नेताओं से मिलने की इजाजत दी जाए तो सही मायने में घाटी की असली तस्वीर सामने आ आएगी।

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पाक को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं

पाकिस्तान के बयान पर अभी तक भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है, लेकिन सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान को इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। यह भारत का अंदरूनी मामला है और किसी विदेशी हुकूमत को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक इस दौरे के जरिए भारत जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन किए जाने के पाकिस्तान के कथित दावों का जवाब भी देगा। भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिखाना चाहता है कि कश्मीर घाटी में कुछ भी नहीं बदला है और पहले की तरह ही सब कुछ व्यवस्थित तरीके से चल रहा है।

योजनाओं की भी दी जाएगी जानकारी

जानकारों का कहना है कि विदेशी राजनयिकों के इस दौरे के दौरान सरकारी अधिकारियों की ओर से केंद्र शासित प्रदेश में विकास से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं की जानकारी भी दी जाएगी।

जम्मू-कश्मीर में हाल में हुए डीडीसी चुनाव के बारे में भी प्रतिनिधिमंडल को अवगत कराया जाएगा। विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल में 20 सदस्य शामिल हैं। इनमें यूरोपीय यूनियन के भारत में राजदूत उगो अस्तूतो और फ्रांस के राजदूत इमैनुअल लीनेन भी शामिल है।

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विदेश मंत्री ने लगाया था यह आरोप

जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की ओर से उठाए जाने वाले हर कदम के पहले पाकिस्तान की ओर से वहां मानवाधिकारों के उल्लंघन का राग अलापा जाता है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी पिछले महीने यूरोपीय राजदूतों से मुलाकात कर जम्मू-कश्मीर की स्थिति को बदहाल बताया था।

यूरोपीय देशों से मांगी थी मदद

उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत की सरकार वहां बर्बरतापूर्ण तरीके से काम कर रही है। पाकिस्तान ने इस मामले में यूरोपीय देशों से मदद भी मांगी थी। उन्होंने कश्मीर सॉलिडेरिटी डे पर संयुक्त राष्ट्र को चिट्ठी लिखकर भी जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया था। उनका कहना था कि जम्मू-कश्मीर में रहने वाले लोगों के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई की जा रही है और इसे रोका जाना चाहिए।

पाक इसलिए अलाप रहा कश्मीर राग

पाकिस्तान के आरोपों पर भारत हमेशा अपना पक्ष मजबूती से प्रस्तुत करता रहा है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान सीमा पार से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है। यही कारण है कि वह लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाता है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि विदेशी राजनयिकों को दौरे में पूरी सच्चाई का पता चल जाएगा।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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