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जन्मदिन विशेष: भारत में आर्थिक सुधारों के जनक हैं मनमोहन सिंह
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गुरुवार को 87 साल के हो गए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के 'गाह' नामक गांव में हुआ था। गाह अब पाकिस्तान के पंजाब सूबे में पड़ता है।
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गुरुवार को 87 साल के हो गए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के 'गाह' नामक गांव में हुआ था। गाह अब पाकिस्तान के पंजाब सूबे में पड़ता है।
मनमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री बने और प्रधानमंत्री बनने वाले पहले सिख हैं। कांग्रेस की अगुवाई में 2004 में यूपीए को बहुमत मिला। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की इच्छा से मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना गया।
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद मनमोहन सिंह का परिवार भारत आ गया। मनमोहन सिंह एक कुशल राजनेता के साथ-साथ एक विद्वान, अर्थशास्त्री और विचारक भी हैं।
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पूर्व पीएम की पत्नी का नाम गुरशरण कौर है और उनकी तीन बेटियां है। मनमोहन सिंह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। 12 साल तक वह गांव में रहे और कहा जाता है कि वहीं केरोसिन लैंप में वह पढ़ाई करते थे। मनमोहन सिंह की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से 10वीं पास की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन के कैब्रिज विश्वविद्यालय चले गए।
1957 में अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी फिल किया। जो उच्च शिक्षा मनमोहन सिंह ने हासिल की उसे उन्होंने खुद तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने भारत लौटने पर शिक्षक के तौर पर कई सालों तक पढ़ाने काम किया।
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मनमोहन सिंन नेपंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में बतौर शिक्षक पढ़ाया। फिर उन्होंने यूएनसीटीएडी जो व्यापार, निवेश, और विकास के मुद्दों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का हिस्सा है, उसमें काम किया। इसी दौरान उन्हें 1987 में जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में नियुक्ति किया गया।
मनमोहन सिंह लोकसभा चुनाव 2009 में यूपीए को मिली जीत के बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री बने। वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के ऐसे प्रधानमंत्री बन जो सफलतापूर्वक पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए।
21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक मनमोहन सिंह ने नरसिंह राव की सरकार के दौरान वित्त मंत्री बने। मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की।
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गौरतलब है कि मनमोहन सिंह के बाद भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार दूसरी प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला है।
बता दें कि अपने राजनीतिक जीवन में मनमोहन सिंह वर्ष 1991 से भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) के सदस्य रहे हैं, जहां वह वर्ष 1998 और 2004 के दौरान विपक्ष के नेता थे। वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों का श्रेय मनमोहन सिंह को जाता है।
1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इस पद पर उन्होंने लगातार 5 सालों तक कार्य किया, जबकि 1990 में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए।
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इसी दशक में उदारवादी नीतियों को लागू किया और वह मध्यवर्ग के प्रिय बन गए। इस सुधारों की वजह से भारतीय बाजार खुला और यहां का मध्यवर्ग समृद्ध हुआ। बता दें कि भारतीय योजना आयोग को खत्म कर नीति आयोग कर दिया गया है।
मिले हैं ये सम्मान
-1987 में मनमोहन सिंह को 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया।
-1995 में इंडियन साइंस कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार।
-1993 और 1994 का एशिया मनी अवार्ड फॉर फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर।
-1994 का यूरो मनी अवार्ड फॉर द फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर।
-1956 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का 'ऐडम स्मिथ पुरस्कार।