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नशे का चेन: कर्फ्यू-लॉकडाउन भी नहीं तोड़ पाया इसे, बर्बादी की कगार पर युवा

करीब डेढमाह के कर्फ्यू , दो माह के लॉकडउन और अब रात्रि कर्फ्यू के बाद भी पंजाब में न तो नशा तस्‍करी के मामलों में कोई कमी आई और ना ही नशा करने वालों में।

Roshni Khan
Published on: 9 Jun 2020 12:24 PM IST
नशे का चेन: कर्फ्यू-लॉकडाउन भी नहीं तोड़ पाया इसे, बर्बादी की कगार पर युवा
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दुर्गेश पार्थ सारथी

अमृतसर : करीब डेढमाह के कर्फ्यू , दो माह के लॉकडउन और अब रात्रि कर्फ्यू के बाद भी पंजाब में न तो नशा तस्‍करी के मामलों में कोई कमी आई और ना ही नशा करने वालों में। कुछ समय तक तो माना जा रहा था कि कोरोना काल में लगे कर्फ्यू की वजह से नशा तस्‍करों की चेन टूटेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस अवधि में भी नशे का कारोबार चलता रहा। इस बीच लुधियाना जिले के खन्‍ना में नकली शराब का कारखाना पकड़ा जाना और इसमें कांग्रेस नेताओं का नाम आना यह बताने के लिए काफी है कि सरकार अकाली-भाजपा की रही हो या अब कांग्रेस की।

हर समय काल में नशा तस्‍करी का कारोबार फल-फूल रहा है। यही नहीं कर्फ्यू के दौरान कर्फ्यू पास का स्‍टीकर लगे वाहनों में भी शराब और अफीम की तस्‍करी होती रही। रही सही कसर, भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर स्थित सीमावर्ती जिले फिरोजपुर, फाजिल्‍का, तरनतारन, अमृतसर और गुरदासपुर से आए दिन सीमापार से आ रही अफीम की खेप पूरी कर रही है।

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किशोर भी आ रहे नशे की जद में

गुरदासपुर जिले में 12 साल के एक बच्‍चे को नशे की ऐसी लत लगी कि वह चरस को सिगरेट में भर कर पीने लगा। यही नहीं इस लत को पूरा करने के लिए वह छोट-मोटी चोरियां भी करने लगा था। आठवी कक्षा में पढ़ने वाला यह किशोर शराब और अफीम और भुक्‍की का भी सेवन करता है। इसी के उम्र के इसके चार और दोस्‍त भी हैं जो इसी तरह के नशा करते हैं। इस बात की भनक जब बच्‍चे के परिजनों को लगी तो उन्‍होंने उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवाया। नशा मुक्ति केंद्र में दाखिल इस बच्‍चे ने बताया कि वह नशा छोड़ना गायक बनना चाहता है। लेकिन, क्‍या करे। जितनी बार वह नशा छोड़ने की कोशिश करता है उसकी हालत खराब हो जाती है। जिस कारण उसे दोबारा नशा करना पड़ता है। नशे की गिरफ्त में बुरी तरह से जकड़े इस बच्‍चे ने बताया कि वह नशे की तलब पूरी करने के लिए 7-8 सिगरेट में चरसभर कर पील लेता है। लेकिन, अब वह नशाछोड़ अच्‍छा बच्‍चा बनना चाहता है।

नशे की आदी थी बेटी, मां ने जंजीरों में जकड़ा

इसी तरह अमृतसर की एक कॉलोनी में रह रही एक मां को अपनी बेटी को जंजीरों से बांधना पड़ा। क्‍योंकि बेटी नशे की आदी थी। बेटी को बेडि़यों बांधने के पीछे की जो कहानी मां ने बताई वह वाकई हैरान करने वाली थी। मां के अनुसार उसकी बेटी व्‍यूटी पार्लर का कोर्स कर चंडीगढ़ में नौकरी करती थी। इसी दौरान उसे नशे की लत लग गई। नौकरी से मिली पगार के अलावा घर के सामान तक बेच कर उसने नशा करना शुरू कर दिया था। यहां तक कि उसे नया छुड़ाओ केंद्र भी भेजा गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसलिए वह अपने बेटी को जंजीरों में बांध कर रखने लगी।

हर माह सौ से अधिक युवाओं की होती है मौत

कृषि प्रधान प्रदेश में नशे की वजह से हर महीने सौ से अधिक लोगों की मोत हो जाती है। इसमे वे लोग भी शामिल है जो नशा जनित बीमारी या कारणों से मरते हैंत्र यदि एनबीसी की तीन साल पुरानी रिपोर्ट (2007-2017) पर गौर करें तो पंजाब में हर साल करीब 1300 लोगों की मौत हो जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में प्रतिवर्ष 25 हजार से अधिक लोग नशा न मिलने से खुदकशी कर लेते हैं। इसमें करीब 72 प्रतिशत मामले अकेले पंजाब से हैं। नशे की गिरफ्त में केवल ट्रक ड्राइवर ही नही बल्कि इस में पुलिस विभाग से लेकर अन्‍य सरकारी महकमें में तैनात मुलाजिमों के अलावा स्‍कूल और कॉलेज के स्‍टूडेट्स भी शामिल हैं। अगर रिपोर्ट पर यकीन करें तो प्रदेश में हर तीसरा छात्र और 10वीं छात्रा ड्रग्‍स लेती है। इसमें 15 प्रतिशत अफीम और 20 प्रतिशत भुक्‍की (चूरा पोस्‍त) के आदि हैं।

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प्रदेश का ऐसा कोई भी जिला नहीं जहां न बिकता हो नशा

पंजाब में नशा तस्‍करी का आलम यह है कि सूबे का कोई भी ऐसा जिला नहीं है जहां नशा तस्‍कर न पकड़े जाते हों। यह नशा अफीम, हेरोइन, शराब आदि की है। पिछले साल की बारमदगियों पर नजर डालें तो गत एक साल में सूबे में 5350:67 ग्राम अफीम बरामद की गई। इसके अलावा 196450 प्रतिबंधित दवाओं की बरामदगी की गई। जिसे नशेड़ी नशा के तौर पर इस्‍तेमाल करते हैं।

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