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Maharashtra: शिंदे के विज्ञापन से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व खफा, CM को दी हिदायत-फडणवीस को नीचा दिखाने की कोशिश न करें
Maharashtra Politics: मुख्यमंत्री शिंदे को हिदायत दी गई है कि वे राज्य के डिप्टी सीएम और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को कमजोर या नीचा दिखाने की कोशिश ना करें।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना की ओर से अखबारों में दिए गए विज्ञापन को लेकर पैदा हुआ विवाद अब दिल्ली पहुंच गया है। इस विज्ञापन को लेकर शिंदे गुट और भाजपा के बीच खींचतान बढ़ने के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी इस मामले में दखल दिया है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी इस विज्ञापन से नाराज है और पार्टी आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्री शिंदे को कड़ा संदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री शिंदे को हिदायत दी गई है कि वे राज्य के डिप्टी सीएम और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को कमजोर या नीचा दिखाने की कोशिश ना करें। शिंदे गुट और भाजपा के बीच बढ़ती खींचतान के बाद बुधवार को महाराष्ट्र के मराठी दैनिकों में नया विज्ञापन देकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की गई है।
इस नए विज्ञापन में शिवसेना के कई मंत्रियों के साथ बाल ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की तस्वीर भी दी गई है। सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा नेतृत्व और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की नाराजगी के बाद यह नया विज्ञापन देकर विवाद से पैदा हुई आग को ठंडा करने की कोशिश की गई है। हालांकि शिंदे गुट की ओर से दिए गए इस नए विज्ञापन को लेकर उद्धव के करीबी सांसद संजय राउत और एनसीपी की नई कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने तंज भी कसा है।
भाजपा आलाकमान का कड़ा संदेश
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के बीच पैदा हुए विवाद को लेकर भाजपा का आलाकमान भी नाराज है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से मुख्यमंत्री शिंदे को चेतावनी दी गई है कि उन्हें लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी चाहिए। राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के कद की ओर इशारा करते हुए यह भी कहा गया है कि उन्हें कमजोर दिखाने की कोई कोशिश नहीं होनी चाहिए।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक पार्टी आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्री शिंदे को शिवसेना की ओर से दिए गए विज्ञापन पर नाराजगी जताते हुए कड़ा संदेश दिया गया है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से नाराजगी जताए जाने के बाद मुख्यमंत्री शिंदे भी सतर्क हो गए हैं।
विज्ञापन के बाद पैदा हुआ विवाद
दरअसल शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना की ओर से मंगलवार को महाराष्ट्र के प्रमुख अखबारों में एक पेज का विज्ञापन दिया गया था। इस विज्ञापन में सर्वे के हवाले से मुख्यमंत्री पद के लिए शिंदे को फडणवीस की अपेक्षा अधिक लोगों की पसंद बताया गया था। विभिन्न अखबारों में प्रकाशित इस विज्ञापन का शीर्षक था-राष्ट्र में मोदी, महाराष्ट्र में शिंदे सरकार। इस विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तस्वीरें तो थीं मगर फडणवीस की तस्वीर को जगह नहीं दी गई थी।
इस विज्ञापन के प्रकाशन के बाद ही महाराष्ट्र में भाजपा ने आंख तरेरनी शुरू कर दी थी। इसके बाद शिंदे ने यह कह कर माहौल सुधारने की कोशिश की थी कि वे और फडणवीस लोगों के दिलों में हैं और दोनों नेता मिलकर काम कर रहे हैं। हालांकि इस विज्ञापन के प्रकाशन के बाद फडणवीस की नाराजगी को इसी से समझा जा सकता है कि उन्होंने कोल्हापुर का दौरा रद्द कर दिया जहां उन्हें मुख्यमंत्री शिंदे के साथ मंच साझा करना था। वे बुधवार को मुंबई में महाराष्ट्र परिवहन निगम के स्थापना दिवस के कार्यक्रम में भी हिस्सा लेने के लिए नहीं पहुंचे। बाद में कहा गया कि उनके कान में तकलीफ है।
मेढक फूलकर हाथी नहीं बन सकता
भाजपा और शिंदे गुट के बीच तनातनी को भाजपा सांसद अनिल बोंडे के बयान से भी समझा जा सकता है। बोंडे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि मेढक कितना भी फूल जाए मगर वह हाथी नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि शिंदे के सलाहकार उन्हें गलत सलाह देने में जुटे हुए हैं। उद्धव ठाकरे मुंबई को पूरा महाराष्ट्र समझा करते थे और अब शिंदे ठाणे को पूरा महाराष्ट्र समझने की गलती कर रहे हैं।
बोंडे की इस टिप्पणी पर शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने कहा कि भाजपा को यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि राज्य में पार्टी का विकास शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की वजह से ही संभव हो सका। उन्होंने यहां तक कह डाला कि शिवसेना और एकनाथ शिंदे शार हैं और 50 शेरों की वजह से ही भाजपा के कई नेताओं को कैबिनेट में जगह मिल सकी है।
नए विज्ञापन से डैमेज कंट्रोल की कोशिश
हालांकि अब शिवसेना की ओर से इस विवाद को ठंडा करने की कोशिश भी की जा रही है। शिवसेना की ओर से बुधवार को मराठी अखबारों में एक और विज्ञापन छपवाया गया जिसमें शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के साथ डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की भी तस्वीर है। इस विज्ञापन में कहा गया है कि महाराष्ट्र के 49.3 फ़ीसदी मतदाता शिवसेना और भाजपा गठबंधन को पसंद करते हैं।
62 फीसदी मतदाताओं का मानना है कि राज्य में डबल इंजन की सरकार विकास कार्यों को तेजी से पूरा करने में जुटी हुई है। 84 फीसदी लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश को विकास की नई दृष्टि दी है। शिवसेना के नए विज्ञापन को डैमेज कंट्रोल की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
राउत और सुप्रिया सुले का तंज
उद्धव ठाकरे के करीबी सांसद संजय राउत ने इसे लेकर तंजी भी कसा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है और यह सरकार ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगी। शिंदे और भाजपा के बीच छद्म युद्ध चल रहा है। एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने भी शिवसेना के नए विज्ञापन को लेकर व्यंग कसा है।
उन्होंने कहा कि लगता है कि दिल्ली से डिजाइन आने के बाद यह विज्ञापन प्रकाशित कराया गया है। उन्होंने शिवसेना की ओर से दिए गए पहले विज्ञापन पर भी हैरानी जताते हुए कहा कि यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किसकी ओर से सर्वे किया गया और सर्वे का आकार क्या था। उन्होंने कहा कि दोनों दलों के बीच खटपट की शुरुआत हो चुकी है।