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देश के मेडिकल कॉलेजों पर लटकी इमरजेंसी की तलवार, इस साल तक मिला अल्टीमेटम
देश में अकस्मात चिकित्सा सेवा में सुधार करने के उद्देश्य से, सरकार ने 2022 तक सभी मेडिकल कॉलेजों में आपातकालीन चिकित्सा विभाग (इमरजेंसी) को जरुरी कर दिया है। जो कॉलेज इस नियम को नहीं मानेंगे। उस कॉलेज की एमबीबीएस की पढ़ाई मान्य नहीं होगी।
जयपुर: देश में अकस्मात चिकित्सा सेवा में सुधार करने के उद्देश्य से, सरकार ने 2022 तक सभी मेडिकल कॉलेजों में आपातकालीन चिकित्सा विभाग (इमरजेंसी) को जरुरी कर दिया है। जो कॉलेज इस नियम को नहीं मानेंगे। उस कॉलेज की एमबीबीएस की पढ़ाई मान्य नहीं होगी। एमसीआइ का काम संभाल रहे बीओजी ने यह फैसला लिया है। इसके अनुसार 31 मार्च 2022 तक सभी मेडिकल कॉलेजों को तक एमसीआइ के मापदंड के अनुरूप इमरजेंसी विभाग खोलना जरुरी होगा।
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विभाग का कहना है कि इमरजेंसी चिकित्सा विशेषज्ञों का एक कैडर विकसित हो जाए ताकि किसी को इमरजेंसी सेवा समय पर मिले व रेफरल पर निर्भर न होना पड़े। देश में बड़ी संख्या में हो रही सड़क दुर्घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं में लोग घायल होते है और महामारी के शिकार होते है।बीओजी नए मेडिकल आयोग के गठन तक देश में चिकित्सा शिक्षा देता रहेगा। इस फैसले के जल्द ही स्वास्थ्य विभाग से अधिसूचित किए जाने की उम्मीद है।
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मेडिकल शिक्षा में इमरजेंसी इलाज की विशेषज्ञता की पढ़ाई शुरू करने का प्रावधान भी किया जा रहा है। इसके लिए मेडिकल शिक्षा में पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर इमरजेंसी चिकित्सा की पढ़ाई के लिए नया कोर्स भी शुरू किया जा रहा है। ताकि देश में गुणवत्तापूर्ण इमरजेंसी इलाज करने वाले डाक्टरों की कमी को दूर किया जा सके। इसके साथ ही एमबीबीएस के कोर्स में भी इमरजेंसी चिकित्सा को शामिल किया जाएगा। 2022 तक है खोलने की तारीख
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जहां सभी पुराने मेडिकल कॉलेजों को मार्च 2022 तक इमरजेंसी विभाग खोलने को कहा गया है, वहीं 2021-22 के शैक्षिक सत्र से नए मेडिकल कॉलेजों को एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने की अनुमति तभी मिलेगी, जब उसके पास इमरजेंसी विभाग मौजूद होगा।