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बेघर हुआ नेताः एमएलए रहने के बाद भी रहने को नहीं घर, गिर गया कच्चा मकान

दरअसल रविवार रात को बारिश में गोरखपुर जिले के मानीराम स्थित खपरैल का मकान गिर जाने से पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय बेघर हो गए हैं।

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Published on: 14 July 2020 3:43 PM IST
बेघर हुआ नेताः एमएलए रहने के बाद भी रहने को नहीं घर, गिर गया कच्चा मकान
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आमतौर पर राजनीति में ये माना जाता है कि राजनीति मतलब भ्रष्टाचार। ऐसा माना जाता है कि जो एक बार विधायक या सांसद बन गया उसकी ज़िंदगी संवर गई। उसका घर उसका रहम-सहन सबकुछ बदल जाता है। लेकिन आपको यकीन नहीं होगा कि आज एक पूर्व विधायक बघर हैं। उनके पास रहने को घर नहीं है। जी हां हम बात कर रहे हैं पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय की। जो बारिश में खपरैल से बने मकान के गिर जाने के बाद अब बेघर से हो गए हैं।

बारिश के बाद गिरा घर

दरअसल रविवार रात को बारिश में गोरखपुर जिले के मानीराम स्थित खपरैल का मकान गिर जाने से पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय बेघर हो गए हैं। स्थिति ये हो गई है कि बहू और चार पोते-पोतियों के साथ पूरा परिवार बरामदे में रहने को मजबूर है। ऐसे में अब य़ूपी कांग्रेस के महासचिव विश्वविजय सिंह पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय के घर पहुंचे और उन्हें हर संभव मदद की बात कही और कहा कि पार्टी हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ी है।

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गौरतलब है कि हरिद्वार पांडेय1980-85 में मानीराम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी से विधायक रहे। 88 साल की उम्र में उनके पास जमापूंजी के नाम पर मानीराम में करीब ढाई बीघा जमीन और एक खपरैल का मकान है। रविवार रात खपरैल का मकान भी बारिश की भेंट चढ़ गया। चारों कमरे भरभरा कर गिर गए। बस एक बरामदा बचा रह गया।

आज की राजनीति के अपवाद हैं हरिद्वार पांडेय

पूर्व कांग्रेस विधायक हरिद्वार पांडेय आज की चकाचौंध वाली राजनीति के अपवाद हैं। ईमानदारी की भावना इतनी प्रबल रही कि विधायक रहने के बावजूद वह एक ठीकठाक मकान तक नहीं बनवा सके। हरिद्वार पांडेय पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीर बहादुर सिंह के घनिष्ठ मित्र रहे हैं। कांग्रेस के स्वर्णिम काल में विधायक रहने और वीर बहादुर सिंह का बेहद नजदीकी हरिद्वार पांडेय की नैतिकता के मानदंड कितने ऊंचे हैं, यह आसानी से समझा जा सकता है।

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उन्होंने कहा कि 88 साल की उम्र में भी वह कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं। पूर्व विधायक हरिद्वार पांडेय ने कहा कि ढाई बीघा जमीन है, उसी से जीवन-यापन कर लेते हैं। मकान गिरने के बाद अब थोड़ी मुश्किल होगी। टाट-पट्टी बांधकर इसी में रहना पड़ेगा। बरामदा खुला हुआ है, इसलिए ठंड भी लग रही है। देखते हैं, आगे क्या होता है।



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