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स्वास्थ्य क्षेत्र में क्या बढ़ेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल, जानें इसके बारें में
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित ऐप पहले से ही मौजूद है, जो लोगों को समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए उनकी दैनिक जीवन शैली पर लगातार काम करने में मदद करता है।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)को लेकर हुए राइज 2020 सम्मेलन में कहा कि हम चाहते हैं कि भारत एआई का वैश्विक केंद्र बने।
उन्होंने कहा, ''कई भारतीय पहले से ही इस पर काम कर रहे हैं। मैं आशा करता हूं कि आने वाले समय में और भी काम करेंगे।''
वहीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि नीति आयोग ने जैव प्रौद्यौगिकी विभाग (डीबीटी) के साथ मिलकर कैंसर रोगियों के 20 हजार से अधिक प्रोफाइल तैयार करने का लक्ष्य रखा है।
कैंसर संबंधी रेडियोलॉजी और पैथोलॉजी इमेज का डाटाबैस तैयार तैयार किया जाएगा। ताकि कैंसर प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभावशाली इस्तेमाल किया जा सके।
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स्वास्थ्य क्षेत्र में क्या बढ़ेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल, जानें इसके बारें में (फोटो:सोशल मीडिया)
क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसा तकनीकी सिस्टम होता है, जिसमें साफ्टवेयर के जरिए कंप्यूटर को इंसानों की तरह सोचने, समझने, काम करने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता विकसित की जाती है। यह आर्टिफिशियल तरीके से सोचने, समझने और सीखने की क्षमता रखता है।
हालांकि लोग रोबोट को ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समझ लेते हैं, जबकि रोबोट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डाला जाता है।
मनुष्य की तरह इंटेलिजेंस तरीके से सोचने वाला सॉफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह इंटेलिजेंस तरीके से सोचने वाला सॉफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका है।
यह इसके बारे में अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में क्या बढ़ेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल, जानें इसके बारें में (फोटो:सोशल मीडिया)
ऐसे हुई थी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था, लेकिन इसकी महत्ता को 1970 के दशक में पहचान मिली। जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की थी।
इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी। इसके बाद अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया।
ब्रिटेन ने इसके लिये 'एल्वी' नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया। यूरोपीय संघ के देशों ने भी 'एस्प्रिट' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
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स्वास्थ्य संसाधनों के बीच की खाई को भरने के लिए आवश्यक
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज स्वास्थ्य संसाधनों के बीच की खाई को भरने के लिए आवश्यक है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसा समाधान प्रदान करता है, जो स्वास्थ्य परामर्श प्राप्त करने के लिए वंचितों को एक प्राथमिक परत के रूप में कार्य कर सकता है।
मोबाइल फोन और किफायती डेटा के साथ बढ़ती कनेक्टिविटी, सामाजिक परिवर्तन और सस्ती स्वास्थ्य देखभाल लाकर जनता को लाभान्वित किया जा सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को शुरू करके सामर्थ्य और पहुंच की बाधाओं को दूर किया जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल अगर भारत में किया जाए, तो निम्न कमियों को नियंत्रित किया जा सकता है।
1. स्वास्थ सुविधाएं निवारक
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित ऐप पहले से ही मौजूद है, जो लोगों को समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए उनकी दैनिक जीवन शैली पर लगातार काम करने में मदद करता है।
एआई-आधारित ऐप या तो स्मार्टफोन पर आप, डेटा रिकॉर्ड और स्टोर कर सकते हैं और ऐसे स्वास्थ्य डेटा के विशिष्ट रूप से दृश्य प्रदान कर सकते हैं, जो व्यक्तियों के लिए अपील कर रहे हैं और आसानी से पालन कर सकते हैं।
2. समय पर रोग का पता लगाने और उसका रोकथाम
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बीमारियों के बारे में समय पर संकेत मिल जाते हैं- जैसे कि सांस लेने का अनियमित पैटर्न, रक्तचाप के पैटर्न में बदलाव, एसपीओ 2 स्तर, या वजन में तेजी से कमी, हृदय, मधुमेह और कुछ मामलों में कैंसर से संबंधित बीमारी के संकेतों का भी पता लगाया जा सकता है।
स्तन कैंसर के रोगियों की मेमोग्राफी के ऐतिहासिक डेटा का उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए किया जा सकता है।
3. निदान में चिकित्सा समुदाय की सहायता करना
कई मामलों में, डॉक्टर आज अपने खुद के अनुभव के आधार पर इलाज करते हैं। हालांकि, अक्सर वे सही होते हैं, लेकिन ऐसा कई बार हुआ है जब गलत डायग्नोसिस के कारण गलत उपचार किया गया है।
डॉक्टर अक्सर बीमारी को समझने के लिए पैथोलॉजिकल रिपोर्ट, एक्स-रे, एमआरआई और अन्य उन्नत परीक्षणों का उपयोग करते हैं, लेकिन परिणाम काफी हद तक उनके प्रयोगों पर आधारित होते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल को ग़लत डेटा पर जनसंख्या वर्गीकरण या रोग पैटर्न प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में क्या बढ़ेगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल, जानें इसके बारें में (फोटो:सोशल मीडिया)
4. स्वास्थ सुविधा सिस्टम को जन-जन तक पहुंचाने में मदद
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-असिस्टेड चैट बॉट, रूपांतरण-संबंधित एआई उपकरण स्वास्थ्य मुद्दों को एक लंबी और अधिक दूरस्थ आबादी तक ले जा सकते हैं।
यह सस्ता भी होगा और विज्ञापनदाताओं को साथ में सब्सिडी भी दी जा सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल के माध्यम से सहायता प्राप्त कृत्रिम हथियारों या चश्मे के विकास से विकलांग लोगों को बहुत मदद मिल सकती है।
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