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किसान आंदोलन: दिल्ली की सभी सीमाएं सील, पुलिस ने बढ़ाई चौकसी

किसान आंदोलन के चलते दिल्ली से सटी कई छोटी-बड़ी सीमाओं को सील कर दिया गया है, तो कइयों पर आवाजाही भी सीमित कर दी गई है। सरकार के साथ गुरुवार को चौथे चरण की नाकाम वार्ता के बाद दिल्ली की सीमाओं पर चौकसी भी बढ़ा दी गई है। 

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Published on: 4 Dec 2020 3:11 AM GMT
किसान आंदोलन: दिल्ली की सभी सीमाएं सील, पुलिस ने बढ़ाई चौकसी
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किसान आंदोलन: दिल्ली की छोटी-बड़ी सभी सीमाएं सील, चारो ओर कड़ी निगरानी

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों को मनाने के लिए सरकार की ओर से लगातार कोशिश की जा रही है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली से सटी कई छोटी-बड़ी सीमाओं को सील कर दिया गया है, तो कइयों पर आवाजाही भी सीमित कर दी गई है। सरकार के साथ गुरुवार को चौथे चरण की नाकाम वार्ता के बाद दिल्ली की सीमाओं पर चौकसी भी बढ़ा दी गई है।

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ये रस्ते हुए बंद

बता दें, एनएच 24 पर गाजीपुर बॉर्डर बंद कर दिया गया है। वहीं गाजियाबाद से दिल्ली आने वाले ट्रैफिक को पूरी तरह से रोक दिया गया है। साथ ही दिल्ली आने वाले लोगों को अप्सरा बॉर्डर से गुजरने की सलाह दी गई है। किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए सिंघु, लामपुर, औचंदी, साफियाबाद, पियाओ मनियारी और सबोली बॉर्डर भी सील कर दिये गए हैं। इसके अलावा एनएच 44 पर दोनों तरफ से आवाजाही बंद है। मिली जानकरी के मुताबिक टिकरी और झरौंदा बॉर्डर भी सील हैं। झटीकरा और बदोसराय बॉर्डर केवल दोपहिया और हल्के वाहनों के लिए खुला है।

वहीं अगर गुरुवार की बात करें तो इस दिन भी किसान आंदोलन की वजह से मुकरबा चौक से सिंघु बॉर्डर तक बसों का आवागमन बंद होने की वजह से करीब 20 किलोमीटर के दायरे में पूरे दिन अफरा-तफरी का माहौल रहा। दोपहर के वक्त डीटीसी व कलस्टर बसें जैसे ही जीटीके डिपो से आगे बढ़ी, आगे रास्ता बंद होने की वजह से दूसरे रूटों से होकर कुछ बसें अलीपुर तक पहुंची।

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गुरुवार की बैठक में क्या निकला निष्कर्ष

गौरतलब है कि कल कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के नेतृत्व में तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल की हुई बैठक हुई थी, लेकिन ये बैठक भी बेनतीजा रही। करीब आठ घंटे चली इस बैठक में किसान नेता नए कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े रहे। वहीं सरकार की ओर से कहा गया कि बैठक सकारात्मक रही। सरकार ने कहा कि एक बार फिर ज्यादा स्पष्टता के लिए बैठेंगे। अब किसान और सरकार के बीच 5 दिसंबर को फिर पांचवें दौर की बातचीत होगी।

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