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MSP पर नया फॉर्मूला लाने की तैयारी, बातचीत से पहले रणनीति बनाने में जुटी सरकार

केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से जारी किसान आंदोलन को समाप्त कराने के लिए जुट गई है। सरकार और किसान संगठनों के बीच बुधवार को बातचीत होनी है और इससे पहले सरकार किसानों की शंकाओं को दूर करने की कोशिश में जुटी हुई है।

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Published on: 29 Dec 2020 10:59 AM IST
MSP पर नया फॉर्मूला लाने की तैयारी, बातचीत से पहले रणनीति बनाने में जुटी सरकार
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MSP पर नया फॉर्मूला लाने की तैयारी, बातचीत से पहले रणनीति बनाने में जुटी सरकार

नई दिल्ली: केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से जारी किसान आंदोलन को समाप्त कराने के लिए जुट गई है। सरकार और किसान संगठनों के बीच बुधवार को बातचीत होनी है और इससे पहले सरकार किसानों की शंकाओं को दूर करने की कोशिश में जुटी हुई है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि बुधवार को होने वाली बातचीत में सरकार की ओर से एमएसपी पर नया फॉर्मूला लाया जा सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से बात करने वाले केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक करके किसानों के साथ होने वाली बातचीत के संबंध में रणनीति तैयार की है। सरकार की ओर से की गई तमाम कोशिशों के बाद किसान संगठन बातचीत करने के लिए तैयार हुए हैं और ऐसे में सरकार इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहती।

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किसान नेताओं को संतुष्ट करने की कोशिश

नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है मगर अभी तक बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है। ऐसे में बुधवार को होने वाली बातचीत से पहले सरकार की ओर से गतिरोध को समाप्त करने के लिए तैयारियां की जा रही हैं।

किसान संगठन तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने की मांग कर अड़े हुए हैं। किसान नेताओं को संतुष्ट करने के लिए बुधवार की बैठक में सरकार की ओर से एमएसपी को लेकर नया फॉर्मूला किसानों के सामने रखने की तैयारी है।

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कानूनी गारंटी नहीं देगी सरकार

जानकार सूत्रों के मुताबिक सरकार एमएसपी व्यवस्था के तहत सरकारी खरीद को आगे भी जारी रखने के संबंध में लिखित गारंटी देने को तैयार है मगर वह इसे कानून का अंग नहीं बनाना चाहती। सरकार किसानों की राय भी जानना चाहती है कि वे सरकार की ओर से उठाए जाने वाले इस कदम से संतुष्ट होते हैं या नहीं। इसके साथ ही सरकार की ओर से किसान संगठनों को यह कहकर भी संतुष्ट करने का प्रयास किया जाएगा कि कानून लागू होने के बाद जिन प्रावधानों से उन्हें दिक्कतें होगी, उनमें भविष्य में बदलाव किया जा सकता है।

बातचीत की रणनीति तैयार करने में जुटी सरकार

कई दौर की बातचीत विफल होने के बाद सरकार इस बार पूरी तैयारी के साथ किसान संगठनों के साथ वार्ता करना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक पहले यह बातचीत मंगलवार को ही होनी थी मगर पूरी तैयारी के लिए बातचीत का समय एक दिन आगे बढ़ाया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने वार्ता की रणनीति तैयार करने के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ मैराथन बैठक की है। मंगलवार को भी वार्ता की तैयारी के लिए ऐसी उच्चस्तरीय बैठक होने की संभावना है।

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किसान संगठन सरकार के रुख से संतुष्ट नहीं

किसान संगठनों का कहना है कि सरकार बातचीत को लेकर दुष्प्रचार करने में जुटी हुई है और यही कारण है कि किसान संगठन बातचीत के लिए तैयार हुए हैं। किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा कि बातचीत को लेकर सरकार की नीयत साफ नहीं है और सरकार घुमा फिराकर फिर वही पुरानी बातें दोहराना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार से पहले भी पांच दौर की बातचीत हो चुकी है मगर सरकार के अड़ियल रुख के कारण कोई नतीजा नहीं निकल सका है।

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किसान संगठनों की भी आज होगी बैठक

किसान नेता ने कहा कि हम इस शर्त के साथ बातचीत में शामिल हो रहे हैं कि हमारी मांगों को पूरा किया जाए। सरकार को अड़ियल रवैया छोड़कर किसानों की मांग मान लेनी चाहिए। सरकार की ओर से किसान संगठनों को भेजे गए पत्र पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को किसान नेताओं की बैठक होगी। बैठक में किसान संगठनों की एक राय कायम की जाएगी ताकि सरकार के साथ होने वाली बैठक में मजबूती के साथ तर्क रखे जा सकें।

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किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग

दूसरी ओर कांग्रेस ने एक बार फिर कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए वापस लेने की मांग की है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि किसान विरोधी तीनों कानूनों को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। प्रियंका ने कहा कि किसानों के आंदोलन को राजनीतिक साजिश बताना पूरी तरह गलत है। सरकार की देश के किसानों के प्रति जवाबदेही है और सरकार को इस जवाबदेही को पूरा करना चाहिए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि देश तब तक आत्मनिर्भर नहीं हो सकता जब तक किसान आत्मनिर्भर नहीं होंगे। इसलिए किसान विरोधी नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए।

अंशुमान तिवारी



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