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किसान आंदोलन: सरकार सिर्फ संशोधनों पर राजी, इस बैठक पर टिकी नजर
बुधवार का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि किसानों के मुद्दे पर राहुल गांधी और शरद पवार सहित विपक्ष के नेता राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे तो दूसरी ओर मोदी कैबिनेट की बैठक में भी किसानों की समस्याओं पर चर्चा की जाएगी।
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और किसान नेताओं के बीच मंगलवार को बैठक बेनतीजा समाप्त होने के बाद आज का दिन काफी अहम माना जा रहा है। शाह के साथ हुई बैठक में सरकार की ओर से साफ कर दिया गया है कि वह कानून वापस नहीं लेगी, लेकिन सरकार कृषि कानूनों पर संशोधन के लिखित प्रस्ताव देने के लिए तैयार है। किसान संगठनों और सरकार के बीच आज प्रस्तावित बैठक तो रद्द कर दी गई है मगर सरकार के लिखित प्रस्ताव पर विचार करने के लिए किसान संगठनों की सिंधु बॉर्डर पर महत्वपूर्ण बैठक होगी।
बुधवार का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि किसानों के मुद्दे पर राहुल गांधी और शरद पवार सहित विपक्ष के नेता राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे तो दूसरी ओर मोदी कैबिनेट की बैठक में भी किसानों की समस्याओं पर चर्चा की जाएगी। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सरकार के साथ सकारात्मक बातचीत का संकेत दिया है। ऐसे में बुधवार का दिन काफी अहम माना जा रहा है।
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आज नहीं होगी छठे दौर की बातचीत
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद किसान नेता हनन मुल्ला ने कहा कि बुधवार को सरकार के साथ प्रस्तावित छठे दौर की वार्ता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने कहा है कि वह कानून वापस नहीं लेगी, लेकिन कानून में कुछ संशोधन किए जा सकते हैं। दूसरी ओर किसान नेता कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। किसान नेताओं का तर्क है कि जिस कानून में इतनी ज्यादा खामियां हों, उसे बनाए रखने का क्या औचित्य रह जाता है। दूसरी ओर सरकार का साफ तौर पर करना है कि कानून वापस नहीं लिया जाएगा मगर किसान नेताओं के सुझावों के मुताबिक इसमें संशोधन जरूर किए जा सकते हैं।
(Photo- Social Media)
सरकार के प्रस्तावों पर होगी बैठक
सरकार और किसान संगठनों के बीच बुधवार को होने वाली बैठक तो रद्द कर दी गई है मगर सूत्रों के मुताबिक सरकार की ओर से बुधवार को किसान संगठनों को लिखित प्रस्ताव दिया जाएगा। सरकार की ओर से दिए जाने वाले संशोधन प्रस्ताव पर किसान संगठनों की सिंधु बॉर्डर पर महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। अब हर किसी की नजर बुधवार को होने वाली इस बैठक पर टिकी है कि इसमें किसान नेता क्या फैसला लेते हैं।
शाह के आगे आने से बढ़ी उम्मीद
वैसे कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि अब गृह मंत्री अमित शाह के वार्ता के लिए आगे आने के बाद समाधान की उम्मीद कुछ बढ़ती दिख रही है। इसकी वजह मानी जा रही है कि किसान संगठनों की ओर से कई बार यह मांग की जा चुकी है कि कृषि कानूनों के मसले पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को किसान नेताओं के साथ बात करनी चाहिए। अभी तक सरकार की ओर से सिर्फ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य व रेल मंत्री पीयूष गोयल ही किसान नेताओं से बातचीत करते रहे हैं।
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विपक्षी नेता आज राष्ट्रपति से मिलेंगे
दूसरी ओर कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्ष ने राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी के मुखिया शरद पवार और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी सहित विपक्ष के नेता शाम 5 बजे राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। इस महत्वपूर्ण मुलाकात से पहले विपक्षी नेताओं की बैठक भी हो सकती है।
शरद पवार ने पहले ही संकेत दिया था कि राष्ट्रपति से मुलाकात से पहले विभिन्न सियासी दलों के नेता कृषि कानूनों पर आपसी चर्चा करके सामूहिक रुख अपनाएंगे। कोरोना संकट की वजह से सिर्फ पांच नेताओं को ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने की इजाजत दी गई है।
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राहुल और प्रियंका ने फिर बोला हमला
इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कृषि कानूनों को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी किसानों से चोरी बंद करें। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि उन्हें इस आंदोलन में किसानों का साथ देना चाहिए।
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी प्रदर्शनकारी किसानों की मांगों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी मेहनत से फसल उगाकर देशवासियों की थालियों को भरता है मगर इन किसानों की अनदेखी करके भाजपा सरकार अपने अरबपति मित्रों की थाली भरने में जुटी हुई है।
अंशुमान तिवारी