बेकाबू हुए किसान, रोकने के चक्कर में BJP के दर्जनों नेताओं ने खाई पुलिस की लाठियां

किसानों ने कुर्सियां तोड़ दी। मामला बढ़ता देख और पुलिस बल बुलाया गया। किसानों का विरोध कर रहे भाजपा नेताओं के साथ पुलिस बल ने धक्का मुक्की की।

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Published on: 25 Dec 2020 10:46 AM GMT
बेकाबू हुए किसान, रोकने के चक्कर में BJP के दर्जनों नेताओं ने खाई पुलिस की लाठियां
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किसान यूनियन के नेता हरजिंदर सिंह, सुखविन्द्र सिंह ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को केंद्र सरकार वापस नहीं लेती, तब तक वे सरकार का विरोध जारी रखेंगे। 

बठिंडा: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली बॉर्डर से लेकर पंजाब तक हर जगह किसानों के विरोध प्रदर्शन की आवाजें शुरू दे रही हैं। किसानों के आन्दोलन का दायरा धीरे-धीरे बढ़ने लगा है।

शुक्रवार को बठिंडा में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जयंती के मौके पर अमरीक सिंह रोड पर एक समागम का अयोजन किया जाना था। इसे लेकर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए थे। रोड पर बड़े बड़े बैरिकेड भी लगा रखे थे और भारी पुलिस फोर्स तैनात थी।

जैसे ही समागम के बारे में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां और अन्य किसान यूनियनों को पता चला तो करीब 100 किसानों ने पहले भाजपा सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी की और फिर पुलिस की मौजूदगी में बैरिकेड तोड़कर समागम स्थल में दाखिल हो गए।

kisan andolan बेकाबू हुए किसान, रोकने के चक्कर में BJP के दर्जनों नेताओं ने खाई पुलिस की लाठियां (फोटो:सोशल मीडिया)

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किसानों ने तोड़ दी दर्जनों कुर्सियां

इसके बाद किसानों ने कुर्सियां तोड़ दी। मामला बढ़ता देख और पुलिस बल बुलाया गया। किसानों का विरोध कर रहे भाजपा नेताओं के साथ पुलिस बल ने धक्का मुक्की की।

किसान यूनियन के नेता हरजिंदर सिंह, सुखविन्द्र सिंह ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को केंद्र सरकार वापस नहीं लेती, तब तक वे सरकार का विरोध जारी रखेंगे।

वहीं भाजपा नेता सुनील सिंगला ने आरोप लगाया कि पुलिस ने किसानों को रोकने के बजाय भाजपा की महिला वर्करों पर ही लाठियां चला दी। इस पूरी घटना के बारे में पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता और भाजपा प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा को बता दिया गया है।

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farmer protest किसान आन्दोलन (फोटो: सोशल मीडिया)

सरकार ने की बातचीत करने की अपील

बता दें कि सरकार की तरफ से गुरुवार को किसानों को एक और खत भेज बातचीत करने की अपील की गई है। चिट्ठी में लिखा गया है कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए सरकार गंभीर है।

साथ ही सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) से जुड़ी कोई भी नई मांग जो नए कृषि कानूनों के दायरे से बाहर है, उसे बातचीत में शामिल करना तर्कसंगत नहीं होगा।

बुधवार को ही किसानों ने सरकार के पिछले न्योते को ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि सरकार के प्रस्ताव में दम नहीं, नया एजेंडा लाएं तभी बात होगी।

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