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किसान आंदोलन: सरकार के प्रस्ताव को किसानों ने ठुकराया, 10वें दौर की बातचीत ख़त्म
किसान संगठन और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत खत्म हो गई है। सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया कि एक निश्चित समय के लिए कानून पर रोक लगा दी जाए और एक कमेटी का गठन किया जाए, जिसमें सरकार और किसान दोनों हो, लेकिन किसान संगठन इस प्रस्ताव पर नहीं राजी हुए।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीनों से दिल्ली की सरहदों को घेर कर बैठे देशभर के हजारों किसानों की मांगे पूरी न होने के बाद उन्होंने 26 जनवरी के दिन गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली निकालने का एलान किया था। मामले में अनुमति का अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दिया।
किसान आंदोलन: सरकार के प्रस्ताव को किसानों ने ठुकराया, 10वें दौर की बातचीत ख़त्म
किसान संगठन और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत खत्म हो गई है। सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया कि एक निश्चित समय के लिए कानून पर रोक लगा दी जाए और एक कमेटी का गठन किया जाए, जिसमें सरकार और किसान दोनों हो, लेकिन किसान संगठन इस प्रस्ताव पर नहीं राजी हुए। साथ ही सरकार की ओर से ये भी अपील की गई कि इस प्रस्ताव के साथ-साथ आपको आंदोलन भी खत्म करना होगा।
लंच के बाद बैठक शुरू
किसान संगठन और सरकार के बीच लंच के बाद दोबारा बैठक शुरू हो गई है।
लंच ब्रेक के बाद अब तक नहीं शुरू हुई बातचीत
किसान संगठन और सरकार के बीच लंच ब्रेक खत्म होने के बाद अब तक बैठक नहीं शुरू हो पाई है। 10वें दौर की बातचीत में 40 किसान नेता शामिल हुए हैं।
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लंच से पहले क्या हुई बात?
लंच से पहले बैठक में सरकार ने एक बार फिर किसानों को तीनों बिलों के फायदे बताएं और कहा कि देश के बाकी राज्यों के किसान इन बिलों का समर्थन कर रहे हैं। यह उनके हित के लिए हैं।
आप लोग जो भी संशोधन चाहते हैं हम संशोधन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन किसानों की तरफ से साफ-साफ आज फिर बैठक में कहा गया कि हम तीनों बिलों की वापसी चाहते हैं। इससे कम हम को मंजूर नहीं है।
किसानों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पिछले बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि आपने कई बार संसद में और बाहर भी ये कहा है कि कृषि स्टेट सब्जेक्ट है तो आप लोग इसमें क्यों हस्तक्षेप कर रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि हम किसानों के हितों के बारे में सोच रहे हैं, किसानों के लिए अच्छा कर रहे हैं। मामला अभी आगे नहीं बढ़ा है। वहीं पर बात अटकी पड़ी है। किसानों ने एमएसपी की बात करनी चाही तो सरकार की तरफ से कहा गया कि पहले तीनों कानूनों पर बात कर लेते हैं।
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NIA के टारगेट पर आंदोलनकारी किसान
किसानों ने कहा है कि सरकार NIA का इस्तेमाल कर प्रदर्शन और समर्थन करने वाले लोगों को टारगेट कर रही है। वहीं, सरकार ने जवाब में कहा कि अगर कोई निर्दोष है तो उनकी लिस्ट दें, हम देखेंगे।
किसान बोले- एक राउंड बैठक और होनी है
किसानों ने कहा है कि बैठक का वैन्यू और मिनिस्टर्स वही हैं, बातें भी पुरानी हो रही हैं। इसका मतलब है कि एक राउंड बैठक और होनी है। पंजाब के किसानों ने कहा कि समय, संस्था और बातें वही हैं। एक और मीटिंग अब हो सकती है।
लंच ब्रेक शुरू
किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच आज 10वें दौर की बातचीत हो रही है। अभी लंच ब्रेक हुआ है। लंच ब्रेक से पहले MSP के मुद्दे पर चर्चा हुई। किसानों ने NIA का मुद्दा भी उठाया।
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बैठक में अब MSP पर बातचीत शुरू
बैठक में अब MSP पर बातचीत शुरू हो गई है। इससे पहले किसान नेताओं ने NIA का मुद्दा उठाया। शिमला में जो किसान कल गिरफ्तार हुए हैं, उसका मुद्दा भी बैठक में उठाया गया। कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया है कि किसी निर्दोश के साथ गलत नहीं होगा।
किसानों और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत जारी
कृषि कानून के मसले पर सरकार और किसान संगठनों के बीच दसवें दौर की वार्ता जारी है। विज्ञान भवन में ये बैठक हो रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल सरकार की ओर से बैठक में हिस्सा ले रहे हैं।
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बैठक से पहले किसानों के सख्त तेवर कहा- सरकार हमपर दबाव बना रही
किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने सरकार संग बातचीत से पहले कहा है कि वो एनआईए के सामने पेश नहीं होंगे, अगर उनका संगठन उन्हें कह देगा तो वो चले जाएंगे। सरकार एक ओर बात कर रही है और दूसरी तरफ इस तरह से हमपर दबाव बना रही है। बलदेव सिंह बोले कि उनके बैंक खाते बिल्कुल ठीक हैं, सरकार को पहले छानबीन करनी चाहिए थी फिर नोटिस भेजना था। हम अपनी ट्रैक्टर रैली निकालकर रहे हैं।
कृषि कानून पर बनी कमेटी पर उठ रहे सवालों से खफा हुए CJI
कृषि कानून पर जारी विवाद को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, जिसको लेकर अब सर्वोच्च अदालत ने नाराजगी व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि कमेटी के सभी सदस्य अपने क्षेत्र में एक्सपर्ट हैं, ऐसे में उनपर किसी तरह का सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है।
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ट्रैक्टर रैली पर SC का दखल से इनकार, पुलिस के पाले में गेंद, टिकैत बोले- रैली होकर रहेगी
गणतंत्र दिवस पर किसानों द्वारा ट्रैक्टर रैली निकालने वाले मामले पर बुधवार को फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सर्वोच्च अदालत ने इस विवाद में दखल देने से इनकार किया है और कहा है कि दिल्ली पुलिस ही इस पर इजाजत दे सकती है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लगातार कमेटी पर उठ रहे सवालों पर नाराजगी व्यक्त की गई।
सरकार और किसान संगठनों में कुछ देर में बात
किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अब से कुछ देर में दसवें दौर की वार्ता शुरू होगी। किसान नेता विज्ञान भवन पहुंच गए हैं, तो वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर-पीयूष गोयल बैठक से पहले अमित शाह से मिलने पहुंचे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज सरकार के साथ होने वाली बातचीत में किसान अपने फोन लेकर नहीं जाएंगे। किसानों की लगातार मांग है कि सरकार तुरंत तीनों कानून वापस ले।
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ट्रैक्टर रैली को लेकर कोर्ट का दखल देने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर किसानों की ट्रैक्टर रैली को लेकर दखल देने से इनकार कर दिया है। बुधवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस की ओर से कहा गया कि ये मामला पुलिस के हाथ में है, पुलिस ही इसपर इजाजत देगी।
ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली पुलिस के अधिकारियों संग किसानों की बैठक
26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली को निकालने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की गयी थी, जिसपर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ़ कहा कि ये तय करने का अधिकार और काम पुलिस का है कि दिल्ली में कौन आ सकता है और कौन जा सकता है। कोर्ट के इस फैसले के बाद आज दिल्ली पुलिस के पदाधिकारियों और किसानों के बीच बैठक हो रही है। इस दौरान किसान दिल्ली पुलिस से ट्रैक्टर रैली की अनुमति लेने के साथ ही उस दिन के अपने पूरे कार्यक्रम की जानकारी देंगे।
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सरकार और किसान नेताओं के बीच आज 10वें चरण की वार्ता
इसके अलावा कृषि कानूनों पर बातचीत के जरिये किसानों संग सुलह में जुटी सरकार आज 10वे दौर की वार्ता करेंगी। दोपहर दो बजे दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार और किसानों नेताओं के बीच बैठक होनी है। सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछली बैठक बेनतीजा रही थी, जिसके बाद एक बैठक आज के लिए टल गयी थी।
10वें राउंड की बैठक से पहले किसान नेता ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों पर समाधान नहीं निकाल रही है। बस तारीख पर तारीख दे रही है।
23-24 जनवरी को किसान संसद का आयोजन
वहीं अब किसानों ने 23-24 जनवरी को 'किसान संसद' का आयोजन करने का ऐलान किया है। आयोजन सिंघु बॉर्डर के पास गुरु तेग बहादुर मेमोरियल में किया जाएगा। बताया जा रहा है कि किसान संसद मे आंदोलन से जुड़े मुद्दों और MSP पर बात होगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के कुछ रिटायर्ड जज, कुछ पूर्व सांसद, पत्रकार पी साईंनाथ, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण कार्यक्रम में शामिल होंगे।
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