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किसान चाहते हैं MSP पर गारंटी, पीएम कह रहे हैं बनी रहेगी, तो कहां फंसा है पेंच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी। ऐसे में किसानों की मांग मानने में दिक्कत क्या है। क्योंकि एक तरफ सरकार किसानों को एमएसपी पर विश्वास में लेना चाहती है उनकी आशंकाएं दूर करना चाहती है।
रामकृष्ण वाजपेयी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार बार कह रहे हैं कि एमएसपी था, है और रहेगा। किसान कह रहा है कि सरकार इसी बात की गारंटी दे ताकि ये बात एक जुमला न बन जाए। किसानों को आशंका है कि तीन नये कानून लागू होने के बाद एमएसपी धीरे धीरे इतिहास बन जाएगी। ऐसे में ये बात समझ पाना थोड़ा कठिन है कि जो किसान मांग रहे हैं मोदी कह रहे हैं उसे कोई खतरा नहीं फिर किसानों की बात मान लेने में दिक्कत कहां है पेंच कहां फंसा है।
किसानों की मांग मानने में क्या दिक्कत?
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी। ऐसे में किसानों की मांग मानने में दिक्कत क्या है। क्योंकि एक तरफ सरकार किसानों को एमएसपी पर विश्वास में लेना चाहती है उनकी आशंकाएं दूर करना चाहती है।
कहती है बातचीत के लिए दरवाजे खुले हैं लेकिन दूसरी तरफ तीनों नये कृषि कानूनों और एमएसपी पर बात करने से भी कतरा रही है। सरकार जिद पर अड़ी है कृषि कानून नहीं बदलेंगे, न वापस लेंगे। आगे दिक्कत आएगी तब देखा जाएगा। यही हाल एमएसपी का है उस पर भी सरकार किसानों की मांग मानने को तैयार नहीं है।
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(फोटो- ट्विटर)
सरकार की जिद के चलते पैदा हो रहे आंदोलनजीवी किसान
मोदी की बात किसानों नेताओं की बुरी लगनी थी और लगी वह कहते हैं सरकार की जिद और अहंकार के चलते ही आंदोलनजीवी किसान पैदा हो रहे हैं। किसानों ने तो यहां कह दिया कि हमारे पूर्वजों ने तो आंदोलन के सहारे ही देश को आजादी दिलाई थी। जबकि भाजपा और उसके पूर्वजों ने तो देश के लिए कोई आंदोलन ही नहीं किया। किसान देश के भविष्य को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और आंदोलन जीवी होने पर उन्हें गर्व है।
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एमएसपी पर बने कानून, तभी बात बनेगी
इसी तरह एमएसपी के मुद्दे पर किसानों का कहना है कि इस तरह के बयान से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। किसानों को फायदा तभी होगा जब एमएसपी पर कानून बने। वह कहते हैं जब एमएसपी बनी रहेगी तो सरकार इस पर कानूनी गारंटी क्यों नहीं दे देती।
फसल की कीमत क्यों नहीं तय की जा सकती
किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि जब विमानों के टिकटों की कीमत दिन में तीन से चार बार बदली जा सकती है लेकिन किसान की फसल की कीमत क्यों नहीं तय की जा सकती। टिकैत कहते हैं मुद्दे से भटकाएं नहीं कानून किसान से पूछकर नहीं बनाए गए हैं। आंदोलन को राज्य धर्म और जाति में बांटने के प्रयासों की भी उन्होंने निंदा की।
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