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कंपनी गोदामों के लिए अलर्टः अगर किसानों ने ध्वस्तीकरण शुरू किया तो क्या करेगी सरकार
भारतीय किसान यूनियन नेता, राकेश टिकैत ने मंगलवार को धमकी जारी करते हुए कहा कि अगर तीन कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है, तो किसान 40 लाख ट्रैक्टरों को लेकर संसद तक मार्च करेंगे। वह राजस्थान के सीकर में एक किसान रैली को संबोधित कर रहे थे।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: किसान आंदोलन एक बार फिर तेजी पकड़ता दिख रहा है। इस बार किसानों के स्वर ज्यादा तीखे हैं। आक्रोश गहराया हुआ है। दरअसल किसान नेताओं के सामने समस्या किसानों को जोड़े रखने की है। लगातार गतिरोध से किसानों का मनोबल टूटने लगा है। ऐसे में किसानों में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत है जिसमें की सहभागिता दिखे। मौजूदा समय में कारपोरेट घरानों और बड़ी कंपनियों के लिए खतरे की घंटी बज गई है।
40 लाख ट्रैक्टरों से संसद को घेरने का एलान
राकेश टिकैत का कारपोरेट घरानों या बड़ी बड़ी कंपनियों के गोदामों के ध्वस्तीकरण का एलान किसान आंदोलन का एक बड़ा कदम माना जा रहा है हालांकि उन्होंने कहा है कि इसकी तारीख संयुक्त किसान मोर्चा जल्द ही तय करेगा। लेकिन केंद्र सरकार के लिए किसानों का ये कदम परेशानी का सबब बन सकता है। इसके साथ ही 40 लाख ट्रैक्टरों से संसद घेरने का एलान सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
भारतीय किसान यूनियन नेता, राकेश टिकैत ने मंगलवार को धमकी जारी करते हुए कहा कि अगर तीन कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है, तो किसान 40 लाख ट्रैक्टरों को लेकर संसद तक मार्च करेंगे। वह राजस्थान के सीकर में एक किसान रैली को संबोधित कर रहे थे। टिकैत ने कहा है, "अगर कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है तो हमारा अगला आह्वान संसद के लिए मार्च का होगा। हम मार्च करने से पहले उन्हें बताएंगे। इस बार चार लाख नहीं बल्कि 40 लाख ट्रैक्टर होंगे।"
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नया कानून बनाने की मांग
टिकैत ने न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करते हुए एक नया कानून बनाने की मांग भी की। इससे पहले वह 18 फरवरी को हरियाणा के खरक पुनिया में एक महापंचायत में कह चुके हैं कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ केंद्र सरकार अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो प्रदर्शनकारी किसान आंदोलन को पश्चिम बंगाल तक ले जाएंगे। इसके बाद एक अन्य रैली में उन्होंने पश्चिम बंगाल में भी ट्रैक्टर रैली की बात कही थी।
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कहा ये जा रहा है कि दिल्ली पुलिस के लगातार दबाव,आंदोलन को बदनाम करने की कोशिशों, किसानों को जाति व संप्रदाय में बांटने की कोशिशों, गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की गिरफ्तारी और टिकरी बॉर्डर पर लगाये गए नोटिसों ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे किसानों के गुस्से को भड़का दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार की कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताया है।
किसानों को बदनाम करने की साजिश-टिकैत
संयुक्त किसान मोर्चा ने इन कार्रवाइयों को किसानों को बदनाम करने की साजिश बताया है और कहा है कि इस तरह की कार्रवाई से किसान आंदोलन कमजोर होने के बजाय मजबूत होता जाएगा। इस बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल नेता अजित सिंह भी खुलकर सरकार के विरोध में सामने आ गए हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार कुछ भी कर ले अब किसानों का विरोध थमेगा नहीं।
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