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जो काम सरकार नहीं कर पाई वो सुप्रीम कोर्ट के जरिए करा रही है: किसान नेता राजेवाल

किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं।

Aditya Mishra
Published on: 12 Jan 2021 7:12 PM IST
जो काम सरकार नहीं कर पाई वो सुप्रीम कोर्ट के जरिए करा रही है: किसान नेता राजेवाल
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किसान नेता राजेवाल ने कहा कि सोमवार को हमने प्रेस नोट में बताया था कि अगर सुप्रीम कोर्ट कोई कमेटी बनाएगा तो हमें मंजूर नहीं है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार के कृषि कानूनों पर रोक लगाने और 4 सदस्यीय कमेटी गठित करने देने से किसानों का आन्दोलन खत्म नहीं हुआ है। बल्कि ये आन्दोलन आगे भी जारी रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी का हम लोग विरोध करते हैं और हमारा आंदोलन सरकार के साथ चलता रहेगा।

ये बातें किसान नेता राजेवाल ने सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कांफ्रेस करते हुए कही।

राजेवाल ने कहा कि सभी कमेटी सदस्य सरकार के पक्ष में हैं। लेख लिख-लिखकर कमेटी सदस्यों ने कानूनों को जस्टिफाई किया है।

FARM LAW 4 सदस्यीय कमेटी में ये लोग हैं शामिल (फोटो:सोशल मीडिया)

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सुप्रीम कोर्ट कोई कमेटी बनाएं हमें मंजूर नहीं: किसान नेता

आज हमने पंजाब किसान संगठनों के साथ बैठक की कल हम पूरे संयुक्त किसान मोर्चे की बैठक करेंगे। सोमवार को हमने प्रेस नोट में बताया था कि अगर सुप्रीम कोर्ट कोई कमेटी बनाएगा तो हमें मंजूर नहीं है।

हमें लगता है कि जो सरकार नहीं कर पाई वो सुप्रीम कोर्ट के जरिए करा रही है। हमें लगता है कि ये सरकार की ये शरारत है, ये सुप्रीम कोर्ट के जरिए कमेटी लेकर आए हैं।

कमेटी के सारे सदस्य सरकार को सही ठहराते रहे हैं। ये लोग प्रेस में लेख लिखकर कानूनों को सही ठहराते रहे हैं तो ऐसी कमेटी के सामने क्या बोलें। हमारा ये आंदोलन चलता रहेगा।

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kisan rakesh tikait किसान नेता राकेश टिकैत (फोटो- सोशल मीडिया)

कमेटी में शामिल लोग कृषि कानूनों के समर्थक रहे हैं: किसान नेता

किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं।

अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी। देश का किसान इस फैसले से निराश है। राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है। जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

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Aditya Mishra

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