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कौन है किसान नेता! जो हैं मोदी के साथ और क्या है इनकी सच्चाई

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नए कानूनों के समर्थन में एक पत्र ट्वीट किया था। कृषि मंत्री ने कहा था कि यह पत्र राष्ट्रीय युवा वाहिनी का था। इसे प्रचारित करने के लिए तोमर ने अपने ट्वीट को "हैशटैगविद मोदी" से जोड़ा था।

Vidushi Mishra
Published on: 12 Jan 2021 6:58 PM IST
कौन है किसान नेता! जो हैं मोदी के साथ और क्या है इनकी सच्चाई
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रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ। किसान आंदोलन कर रहे 40 संगठनों के नेताओं से वार्ता के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नए कानूनों के समर्थन में एक पत्र ट्वीट किया था। कृषि मंत्री ने कहा था कि यह पत्र राष्ट्रीय युवा वाहिनी का था। इसे प्रचारित करने के लिए तोमर ने अपने ट्वीट को "हैशटैगविद मोदी" से जोड़ा था। तोमर ने 12 ऐसे पत्र साझा किए, जो उनके मंत्रालय को दिसंबर के आखीर में दिल्ली में एक समारोह में "किसान संगठनों" के नेताओं से मिले थे। ये सभी संगठन किसान विधेयकों पर मोदी सरकार की स्थिति का समर्थन करते थे कि तीन नए कृषि कानून, जो बहुत अधिक संसदीय जांच के बिना अधिनियमित किए गए, देश भर में किसानों को बेहतर और लाभान्वित करने के लिए लाए गए हैं और ये कृषि क्षेत्र में सुधार करेंगे।

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नए कानूनों को निरस्त करने के लिए विरोध

जबकि अधिकांश किसान यूनियनों ने इसे खारिज करते हुए अपने तर्क में कहा कि कानूनों को कृषि को कॉर्पोरेट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो निजी व्यवसायों को उनकी लागत पर लाभान्वित करेंगे।

वे नए कानूनों को निरस्त करने के लिए विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार ऐसा करने से इनकार कर रही है। किसान यूनियनों और मोदी सरकार के प्रतिनिधियों के बीच अब तक तमाम दौर की बातचीत विफल रही है। गतिरोध बरकरार है।

अगर देखा जाए तो एक दर्जन "किसान समूहों" के नेताओं, जिन्होंने अपने पत्रों के जरिये नए कानूनों पर मोदी सरकार को समर्थन दिया है क्या किसान आंदोलन को तोडने का हथियार हैं?



शायद इसलिए कि उनमें से कई का कृषि या किसानों से कोई लेना-देना नहीं है। उनमें से कुछ तो अपने स्वयं के समूहों का प्रतिनिधित्व भी नहीं करते हैं। किसान कानूनों का समर्थन करने वाले 12 समूहों में से कम से कम पांच के नेता भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं।

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सरकार का पूरा समर्थन

कृषि मंत्री तोमर ने जो पहला पत्र ट्वीट किया था, उस पर राष्ट्रीय युवा वाहिनी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित हरीश गौतम के हस्ताक्षर हैं। पत्र में लिखा है, “राष्ट्रीय युवा वाहिनी ने हमेशा भाजपा का समर्थन किया है। आज राष्ट्रीय युवा वाहिनी कृषि कानूनों पर सरकार का पूरा समर्थन करती है।”

वास्तव में यह पत्र खुद घोषित करता है कि राष्ट्रीय युवा वाहिनी भाजपा से जुड़ी हुई है। और कृषि मंत्री ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया कि समर्थन का यह पत्र उनकी ही पार्टी से जुड़े समूह से आया था।

राष्ट्रीय युवा वाहिनी किसानों का प्रतिनिधित्व करने का दावा भले करती है, लेकिन इसका उद्देश्य "गौशालाओं और अनाथालयों का निर्माण, गोरक्षा और भ्रष्टाचार उन्मूलन में सहयोग" है। ये किसानों से जुड़े मुद्दे तो नहीं हैं।



तोमर ने लखनऊ के राष्ट्रीय अन्नदाता संघ" का समर्थन पत्र भी साझा किया। तोमर ने दावा किया, "वे कहते हैं कि वे पूरी तरह से सरकार के साथ हैं।"

यह पत्र किसान यूनियन नेताओं को फर्जी बताता है जो मोदी के मंत्रियों से बात कर रहे हैं और "कृषि कानूनों में किसी भी बदलाव का विरोध करता है। पत्र में कहा गया है कि ये कानून किसानों का पक्ष लेते हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख राम निवास यादव के हस्ताक्षरित पत्र में यह घोषणा की गई है। यादव 22 दिसंबर 2019 तक भाजपा संगठन में लखनऊ जिला अध्यक्ष रहे।

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हम किसान यूनियन नहीं

कृषि मंत्री एक पत्र हरियाणा के प्रगतिशील किसान क्लब और दूसरा उन्नतशील किसान क्लब, गुरुग्राम से लाया। लेकिन पत्र प्रगतिशील किसान क्लब ने नहीं भेजा था, बल्कि इसके पलवल जिले के प्रमुख बिजेंद्र सिंह दलाल ने भेजा था।

वह भाजपा के सदस्य नहीं हैं, लेकिन दलाल के सोशल मीडिया पर पोस्टों में भाजपा के शीर्ष नेताओं जैसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ तस्वीरें भरी पड़ी हैं।



प्रगतिशील किसान क्लब का दावा है “हम किसान यूनियन नहीं हैं। हम प्रगतिशील किसान हैं। हम किसानों को सरकार द्वारा उठाए गए अच्छे कदमों की जानकारी देते हैं। हमारे संगठन में लगभग 500 किसान सदस्य हैं।”

उन्नतशील किसान क्लब, गुरुग्राम, के प्रमुख, मानसिंह यादव, भारतीय राष्ट्रीय लोकदल को छोड़ने के बाद 2019 में भाजपा में शामिल हो गए। यादव ने खुद कहा है "मैं भाजपा में कोई स्थान नहीं रखता, लेकिन मैं उनका समर्थक हूं।"

इसी तरह अखिल भारतीय बंग परिषद के एक पत्र को ट्वीट करते हुए, तोमर ने कहा, "वे कहते हैं कि इन कृषि कानूनों से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद मिलेगी।"

अखिल भारतीय बंग परिषद का नेतृत्व दिल्ली निवासी अरुण मुखर्जी करते हैं, जो भाजपा के लिए काम करते हैं और स्वदेशी जागरण मंच, आरएसएस से जुड़े राष्ट्रीय परिषद के सदस्य हैं। डेढ़ साल पहले बनाई गई बंग परिषद “देश में जहां भी बंगाली रहते हैं वहां अपना काम करती है। कृषि और किसान से इनका भी लेना देना नहीं है।

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नए कानूनों को निरस्त नहीं करने का आग्रह

तोमर ने अपने ट्वीट में कहा, '' भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि '' ये कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएंगे। अपने पत्र में, संघ ने सरकार से "किसी भी दबाव में" नए कानूनों को निरस्त नहीं करने का आग्रह किया।

भारतीय किसान संघ दिल्ली में सफदरजंग क्षेत्र में एक कार्यालय के बाहर काम करता है। इसका नेतृत्व उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर निवासी 55 वर्षीय चौधरी राम कुमार वालिया कर रहे हैं।

वालिया एक लंबे समय तक कांग्रेस नेता थे और भाजपा में शामिल होने से पहले उत्तराखंड में मंत्री थे। वालिया का कहना है मैं भाजपा का सदस्य हूं, लेकिन पार्टी में कोई पद नहीं है। इससे पहले, मैं किसान कांग्रेस का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष था।

kisan andolan-government-4 फोटो-सोशल मीडिया

अपने संघ के बारे में, वालिया का कहना है यह संगठन चार-पांच साल पुराना है। देश भर से कम संख्या में लोग जुड़े हैं। हमने गणना नहीं की है लेकिन हजारों जुड़े हुए हैं। नए कृषि कानून पूरी तरह से किसानों के पक्ष में हैं।

कृषि मंत्री ने एक अन्य पत्र को साझा करते हुए लिखा, नए कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के भारतीय किसान समाज से भी एक पत्र मिला है। उन्होंने कानूनों के लिए अपना समर्थन व्यक्त करते हुए इन्हें किसानों के कल्याण के लिए एक बड़ा, साहसी और ऐतिहासिक कदम कहा है।

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सरकार की मंशा पर संदेह

भारतीय कृषक समाज का नेतृत्व कृष्ण वीर चौधरी करते हैं, जो भाजपा के स्वघोषित "साधारण सदस्य" हैं। वह छह साल पहले तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए थे।

kisan andolan-government-2 फोटो- सोशल मीडिया

खुद मोदी का समर्थन करने के अलावा, चौधरी महाराष्ट्र कृषक समाज के प्रकाश मानकर और प्रगतिशील किसान क्लब, पलवल के विजेंद्र सिंह दलाल जैसे लोगों का समर्थन जुटा रहे हैं। मानकर ने पहले ही दो पत्र भेजे हैं, एक तोमर को कृषि कानूनों का समर्थन करने के लिए और दूसरा चौधरी को।

खेत कानूनों को लेकर मोदी सरकार को समर्थन देने वाले बाकी समूहों में जम्मू-कश्मीर किसान परिषद, जम्मू-कश्मीर डेयरी उत्पादक, प्रोसेसर और विपणन सहकारी संघ, कृषि जागरण मंच, कोलकाता, भारतीय किसान संगठन, दिल्ली और किसान कल्याण संघ, मुजफ्फरनगर, यूपी।

कुल मिलाकर देखा जाए तो केंद्रीय कृषि मंत्री को एक भी ऐसा संगठन नहीं मिला जो देश के किसानों में भाजपा या संघ की छाया से इतर अपनी साख रखता हो। ऐसे में यदि सुप्रीम कोर्ट को सरकार की मंशा पर संदेह होता है तो इसमें कोई दो राय नहीं है।

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Vidushi Mishra

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