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महिला हिंसा उन्मूलन दिवस: बढ़ते जा रहे अपराध, बिगड़ रहे हालात
भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। एक ओर सरकार महिला सशक्तिकरण के कदम उठा रही है तो दूसरी ओर घर से बाहर निकलने वाली महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम है।
नई दिल्ली: महिलाओं पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिये हर साल 25 नवंबर को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र वर्ष 2008 से 2030 तक महिला हिंसा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ‘यूनाइट अभियान’ चला रहा है। संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में महिलाओं को महफूज़ रखने के लिए अभियान तो चलाया जा रहा है लेकिन महिलाओं की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। आँकड़ों के अनुसार, विश्व भर में हर साल लगभग डेढ़ करोड़ किशोर लडकियाँ (15-19 आयु) अपने जीवन में कभी-न-कभी यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं।
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3 अरब महिलाएँ वैवाहिक बलात्कार की शिकार होती हैं।
करीब 33% महिलाओं व लड़कियों को शारीरिक और यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है।
हिंसा की शिकार 50% से अधिक महिलाओं की हत्या उनके परिजनों द्वारा ही की जाती है।
वैश्विक स्तर पर मानव तस्करी के शिकार लोगों में 50% वयस्क महिलाएं हैं।
प्रतिदिन 3 में से 1 महिला किसी न किसी प्रकार की शारीरिक हिंसा का शिकार होती है।
नहीं बदल रही भारत में महिलाओं की स्थिति
भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। एक ओर सरकार महिला सशक्तिकरण के कदम उठा रही है तो दूसरी ओर घर से बाहर निकलने वाली महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम है। 2018 में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की एक रिपोर्ट में भारत को महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक मुल्क बताया गया था।
193 देशों में हुए इस सर्वे में महिलाओं का स्वास्थ्य, शिक्षा, उनके साथ होने वाली यौन हिंसा, हत्या और भेदभाव जैसे कुछ पैमाने थे, जिन पर दुनिया के 193 देशों का आकलन किया गया था।भारत हर पैमाने में पीछे था। दरअसल, नारी को छोटा व दोयम दर्जा का समझने की मानसिकता भारतीय समाज की रग-रग में समा चुकी है। असल प्रश्न इसी मानसिकता को बदलने का है। अब तो अपराध को छुपाने और अपराधी से डरने की प्रवृत्ति खत्म होने लगी है।
उत्तर प्रदेश का ही उदहारण लें, बुलंदशहर, बस्ती, उन्नाव, मोरादाबाद, आजमगढ़, बलिया ..सब जगह हैवानियत की घटनाएँ हाल में सामने आ चुकीं हैं। समाज और सरकार की प्रतिक्रिया भी सबके सामने है। हालात और मानसिकता सुधरने के बजाये और कठोर व बदतर होते चले जा रहे हैं।
भारत सबसे आगे
छह साल पहले भारत में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा पर एक रिपोर्ट तैयार करते हुए यूएन ने लिखा था - यूं तो पूरी दुनिया में औरतें मारी जाती हैं, लेकिन भारत में सबसे ज्यादा बर्बर और क्रूर तरीके से लगातार लड़कियों को मारा जा रहा है।"
rape (Photo by social media)
बढ़ गए मामले
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल औरतों के साथ होने वाली हिंसा में 7.3 फीसदी का इजाफा हुआ है। इतना ही इजाफा दलित महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा में भी हुआ है।महिलाओं के साथ हिंसा की वारदातों में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है।
2012 में निर्भया कांड के बाद ऐसा लगा था कि महिलाओं की सुरक्षा का सवाल देश की प्रमुख चिंता बन गया है। जस्टिस जेएस वर्मा की अगुआई में बनी कमिटी ने 29 दिनों के भीतर जनवरी 2013 में 631 पन्नों की अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट आने के तीन महीने के भीतर अप्रैल 2013 में संसद के दोनों सदनों से पास होते हुए रेप के खिलाफ सख्त कानून भी बन गया। भारत के लिहाज से ये ऐतिहासिक तेजी थी।
लेकिन अगले साल जब फिर से एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट जारी की, तो पता चला कि औरतों के साथ हिंसा और बलात्कार की घटनाएं 13 फीसदी बढ़ चुकी थीं। उसके बाद से यह ग्राफ लगातार बढ़ता ही गया है। 2016-17 में अकेले देश की राजधानी में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा में 26.4 फीसदी का इजाफा हुआ था।
बिगड़ते हालात
2018 के मुकाबले 2019 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2018 में महिलाओं के खिलाफ हुए 3,78,236 अपराधों के मुकाबले 2019 में 4,05,861 अपराध दर्ज किए गए। प्रति एक लाख महिलाओं पर अपराध की दर 62.14 दर्ज की गई, जो 2018 में 58.8 प्रतिशत थी। सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए (59,853) और असम में प्रति एक लाख महिलाओं पर सबसे ज्यादा अपराध की दर दर्ज की गई (177.8) ।
रोजाना 87 बलात्कार
2019 में भारत में बलात्कार के कुल 31,755 मामले दर्ज किए गए, यानी औसतन प्रतिदिन 87 मामले। सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में दर्ज किए गए (5,997)। उत्तर प्रदेश में 3,065 मामले और मध्य प्रदेश में 2,485 मामले दर्ज किए गए। प्रति एक लाख आबादी के हिसाब से बलात्कार के मामलों की दर में भी राजस्थान सबसे आगे है (15.9 प्रतिशत), लेकिन उसके बाद स्थान है केरल (11.1) और हरियाणा का (10.9)। ये हाल तब है जब केरल सबसे शिक्षित और प्रगतिशील राज्य होने का दावा करता है।
rape (Photo by social media)
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दहेज संबंधी अपराध
देश में दहेज से संबंधित अपराध अभी भी हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में दहेज की वजह से उत्पीड़न के कुल 2,410 मामले दर्ज किए गए और बिहार में 1,210। इसके अलावा 2019 में पूरे देश में कुल 150 एसिड अटैक के मामले दर्ज किए, जिनमें से 42 उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए और 36 पश्चिम बंगाल में।
रिपोर्ट- नीलमणि लाल
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