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देश के पहले शिक्षा मंत्री 'मौलाना अबुल कलाम आजाद', नहीं भुला सकते उनका योगदान

आज देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि है। वह भारत के पहले शिक्षा मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्, पत्रकार और लेखक थे। मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था।

Ashiki
Published on: 22 Feb 2021 6:54 AM GMT
देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद, नहीं भुला सकते उनका योगदान
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देश के पहले शिक्षा मंत्री 'मौलाना अबुल कलाम आजाद', नहीं भुला सकते उनका योगदान

लखनऊ: आज देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि है। वह भारत के पहले शिक्षा मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्, पत्रकार और लेखक थे। मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। उनका असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था लेकिन वह मौलाना आजाद के नाम से मशहूर हुए।

13 साल की उम्र में हुई शादी

मौलाना अबुल कलाम आजाद के पिता का नाम मौलाना सैयद मोहम्मद खैरुद्दीन बिन अहमद अलहुसैनी था। उनके पिता एक विद्वान थे जिन्होंने 12 किताबें लिखी थीं और उनके सैकड़ों शिष्य थे। कहा जाता है कि वे इमाम हुसैन के वंश से थे। उनकी मां का नाम शेख आलिया बिंते मोहम्मद था जो शेख मोहम्मद बिन जहर अलवत्र की बेटी थीं। साल 1890 में उनका परिवार मक्का से कलकत्ता शिफ्ट हो गया था। 13 साल की उम्र में उनकी शादी खदीजा बेगम से हो गई।

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आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री

भारत की आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम आजाद को कैबिनेट स्तर के पहले शिक्षा मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ जहां उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की और अनेक उपलब्धियां भी हासिल की। उन्होंने ने ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना की थी। मौलाना आजाद 35 साल की उम्र में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सबसे नौजवान अध्यक्ष बने थे। उनके जन्मदिन को भारत में नैशनल एजुकेशन डे यानी राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

हमेशा सादगी का जीवन पसंद किया

मौलाना अबुल कलाम आजाद ने हमेशा सादगी का जीवन पसंद किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने बड़े लोकप्रिय नेता होने के बावजूद भी उनके पास सम्पति के नाम पर कुछ नहीं था। जब उनका निधन हुआ था, उस दौरान भी उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी और न ही कोई बैंक खाता था। उनकी निजी अलमारी में कुछ सूती अचकन, एक दर्जन खादी के कुर्ते पायजामें, दो जोड़ी सैंडल, एक पुराना ड्रैसिंग गाऊन और एक उपयोग किया हुआ ब्रुश मिला किंतु वहां अनेक दुर्लभ पुस्तकें थी जो अब राष्ट्र की सम्पत्ति हैं।

Maulana Abul Kalam Azad

मौलाना अबुल कलाम आजाद को लोग कलम के सिपाही के नाम से भी जानते हैं। आईये जानते हैं उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं...

रचनाएं...

इंडिया विन्स फ्रीडम अर्थात् भारत की आज़ादी की जीत,

राजनीतिक आत्मकथा, उर्दू से अंग्रेज़ी में अनुवाद

साहित्य अकादमी द्वारा छ: संस्करणों में प्रकाशित क़ुरान का अरबी से उर्दू में अनुवाद

तर्जमन-ए-क़ुरान के कई संस्करण

अन्य पुस्तकें- गुबारे-ए-खातिर, हिज्र-ओ-वसल, खतबात-ल-आज़ाद, हमारी आज़ादी और तजकरा

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मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित

22 फरवरी, 1958 को हृदय आघात से मौलाना अबुल कलाम आजाद का निधन हो गया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने आईआईटी, आईआईएम और यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन) जैसे संस्थानों की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उनके योगदानों को देखते हुए मरणोपरांत 1992 में उनको भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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