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कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले, अब हफ्ते में 4 दिन होगा काम, तीन दिन होगी छुट्टी

कर्मचारियों के लिए काम करने के दिन सप्ताह में 5 दिन से कम हो सकते हैं। अगर यह 4 होता है तो 3 दिन की छुट्टी दी जाएगी। पहले भी एक सप्ताह में काम करने की लिमिट 48 घंटे की है और इसे अब भी जारी रखा जाएगा।

Dharmendra kumar
Published on: 9 Feb 2021 2:51 PM GMT
कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले, अब हफ्ते में 4 दिन होगा काम, तीन दिन होगी छुट्टी
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केंद्र सरकार नए श्रम कानूनों के तहत कई बड़े बदलाव करने जा रही है। नए लेबर कोड के तहत कामगारों को हफ्ते में तीन दिन छुट्टी मिल सकती है।

नीलमणि लाल

नई दिल्ली: केंद्र सरकार नए श्रम कानूनों के तहत कई बड़े बदलाव करने जा रही है। नए लेबर कोड के तहत कामगारों को हफ्ते में तीन दिन छुट्टी मिल सकती है। केंद्र सरकार के श्रम सचिव ने बताया है कि केंद्र सरकार हफ्ते में चार वर्किंग डे और उसके साथ तीन दिन सैलरी के साथ छुट्टी का ऑप्शन देने की तैयारी कर रही है।

नए लेबर कोड में ये आप्शन भी रखा जाएगा जिसमें कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से ये फैसला ले सकते हैं कि हफ्ते में कितने दिन काम करना है। नए नियमों के तहत सरकार ने काम के घंटों को बढ़ाकर 12 तक करने को शामिल किया है। काम करने के घंटों की हफ्ते में अधिकतम सीमा 48 है, ऐसे में कामकाजी दिनों का दायरा पांच से घट सकता है।

कर्मचारियों के लिए काम करने के दिन सप्ताह में 5 दिन से कम हो सकते हैं। अगर यह 4 होता है तो 3 दिन की छुट्टी दी जाएगी। पहले भी एक सप्ताह में काम करने की लिमिट 48 घंटे की है और इसे अब भी जारी रखा जाएगा। कर्मचारियों और नियोक्ताओं को इस बदलाव के लिए सहमत होना होगा। नए नियम का पालन करने के लिए कोई दबाव नहीं होगा।

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New Job Code

पीएफ पर टैक्स

सरकार ने ईपीएफ पर टैक्स लगाने को लेकर इस बार के बजट में जो ऐलान हुए हैं उसके मुताबिक ढाई लाख रुपये से ज्यादा निवेश होने के लिए टैक्स सिर्फ कर्मचारी के योगदान पर लगेगा। कंपनी की तरफ से होने वाला अंशदान इसके दायरे में नहीं आएगा या उस पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा। साथ ही छूट के लिए ईपीएफ और पीपीएफ भी नही जोड़ा जा सकता। ज्यादा वेतन पाने वाले लोगों की तरफ से होने वाले बड़े निवेश और ब्याज पर खर्च बढ़ने की वजह से सरकार ने ये फैसला लिया है। श्रम मंत्रालय के मुताबिक 6 करोड़ में से सिर्फ एक लाख 23 हजार अंशधारक पर ही इन नए नियमों का असर होगा।

पेंशन नहीं बढ़ेगी

न्यूनतम ईपीएफ पेंशन को बढ़ने का कोई प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा ही नहीं गया था। जो प्रस्ताव श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने भेजे थे, उन्हें केंद्रीय बजट में शामिल कर लिया गया है। श्रमिक संगठन लंबे समय से मासिक न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि सामाजिक सुरक्षा के नाम पर सरकार न्यूनतम 2000 रुपये या इससे अधिक पेंशन मासिक रूप से दे रही है जबकि ईपीएफओ के अंशधारकों को अंश का भुगतान करने के बावजूद इससे बहुत कम पेंशन मिल रही है।

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पिछले साल सितंबर महीने में संसद में पास हो चुके 4 लेबर कोड को तय प्लान के मुताबिक 1 अप्रैल से पहले ही लागू किया जा सकता है। ये चार कोड - इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड 2020, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020, ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडिशन कोड 2020 हैं, जिन्हें सितंबर 2020 को संसद में पास किया जा चुका है। जबकि, वेजेज कोड को 2019 के मॉनसून सत्र में ही पास कर दिया गया था। केंद्रीय स्तर पर कुल 29 श्रम कानून को मिलाकर 4 नये कोड बनाये गए हैं। इसके पहले तैयारी थी कि इन सभी चारों कानून को 1 अप्रैल 2021 तक लागू कर दिया जाए।

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Working Hour

कामगारों के लिए नया वेब पोर्टल

श्रम मंत्रालय एक वेब पोर्टल बनाने की प्रकिया में है। जून 2021 तक असंगठित क्षेत्र के कामगार अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे ताकि उन्हें कई तरह की सुविधा मुहैया कराई जा सके। इसमें गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और प्रवासी मजदूर भी शामिल हो सकेंगे।

नए कोड को लागू करने से पहले लेबर ब्यूरो के पास प्रवासी मजदूरों का सर्वे करना एक बड़ी चुनौती होगी। इसमें घरेलू कामगार, प्रोफेशनल सेक्टर और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को भी शामिल किया जाना है। लेबर ब्यूरो ऑल इंडिया इस्टैब्लिशमेंट बेस्ड एम्प्लॉयमेंट सर्वे को भी कमीशन करेगा। लेबर पोर्टल पर रजिस्टर हो चुके कामगारों को मंत्रालय की तरफ से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत एक साल के लिए दुर्घटना या विकलांगता होने की स्थिति में मुफ्त कवरेज मिलेगा।

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