भारत के इन 4 संस्थानों में हो रहा कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च, जानिए इनके बारे में

कोरोना वायरस दुनिया में ताबही मचा रहा है। इस किलर वायरस की अभी तक कोई दवा नहीं बन पाई है। दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। भारत में भी कोरोना का इलाज खोजने में देश के चार अग्रणी संस्थान जुटे हुए हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 17 April 2020 2:33 PM GMT
भारत के इन 4 संस्थानों में हो रहा कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च, जानिए इनके बारे में
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस दुनिया में ताबही मचा रहा है। इस किलर वायरस की अभी तक कोई दवा नहीं बन पाई है। दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। भारत में भी कोरोना का इलाज खोजने में देश के चार अग्रणी संस्थान जुटे हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने की तरफ से शुक्रवार को जानकारी दी गई कि इन संस्थानों में कोरोना के वैक्सीन को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों की टीम रिसर्च में जुटी हुई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि भारत में चार संस्थान काउंसिल फॉर साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉलजी, डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी, डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी में कोरोना वायरस के वैक्सीन को लेकर रिसर्च का काम चल रहा है।

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काउंसिल फॉर साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च

भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंर्तगत आने वाले इस संस्थान की स्थापना 1942 में की गई थी। इसके अंतर्गत 39 लैब और 50 फील्ड स्टेशन हैं जो भारत के कोने-कोने में फैले हुए हैं। यह संस्थान सांइंस और टेक्नोलॉजी के विभिन्न क्षेत्रों में शोध का काम करता है।

डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी

यह संस्थान भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंर्तगत आता है। इसकी स्थापना 1986 में भारत में बायोसाइंस और तकनीकी के क्षेत्र में काम करने के लिए हुई थी।

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डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलाजी

इस संस्थान की स्थापना मई 1971 में देश में साइंस ऐंड टेक्नॉलाजी के नए क्षेत्रों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से और देश में एक नोडल विभाग की भूमिका निभाने के लिए हुई थी। यह संस्थान विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतियों का निर्माण के अलावा जैव ईंधन उत्पादन, प्रसंस्करण, मानकीकरण और अनुप्रयोगों के स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास के लिए कई मंत्रालयों और विभागों के बीच में तालमेल बैठाना है।

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डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी

इस विभाग की स्थापना 3 अगस्त 1954 को की गई थी। यह विभाग न्यूक्लियर एनर्जी की टेक्नोलॉजी के विकास, रेडिएशन टेक्नोलॉजी के विभिन्न क्षेत्रों जैसे- कृषि, चिकित्सा, उद्योग, फंडामेंटर रिसर्च आदि के क्षेत्र में सक्रिय है।

Dharmendra kumar

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