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20 साल बाद आज दिखेगा फुल हार्वेस्‍ट मून, जानिए इससे क्यों डरते हैं लोग?

अमेरिका में फुल मून अपने चरम पर 14 सितंबर 12:33 am पर पहुंचेगा। हालांकि भारत में फुल मून का नजारा नहीं दिखेगा। भारत में लोग इस खगोलीय घटना की लाइव स्ट्रमिंग देख सकते हैं।

Aditya Mishra
Published on: 21 April 2023 2:57 PM GMT
20 साल बाद आज दिखेगा फुल हार्वेस्‍ट मून, जानिए इससे क्यों डरते हैं लोग?
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नई दिल्ली: 13 सितंबर शुक्रवार यानी आज का दिन बेहद खास है। आज आसमान में करीब 20 साल बाद फुल मून का नजारा दिखाई देगा।फुल मून को हार्वेस्ट मून भी कहते हैं। फुल मून के साथ आज से पितृ पक्ष यानी श्राद्ध की शुरुआत भी हो रही है।

इत्तेफाक से आज Friday the 13th भी है। दुनियाभर में लाखों लोग Friday the 13th को अशुभ दिन मानते आए हैं। हार्वेस्ट मून नाम की खगोलीय घटना सालों में एक बार आती है। न्यूजवीक की रिपोर्ट के मुताबिक अगली बार यह 13 अगस्त, 2049 में आएगी। इससे पहले वर्ष 2000 में फुल मून बना था।

अमेरिका में फुल मून अपने चरम पर 14 सितंबर 12:33 am पर पहुंचेगा। हालांकि भारत में फुल मून का नजारा नहीं दिखेगा। भारत में लोग इस खगोलीय घटना की लाइव स्ट्रमिंग देख सकते हैं।

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क्यों कहा जाता है हार्वेस्ट मून ?

आमतौर पर सूर्यास्त होने के औसतन 50 मिनट बाद चांद उगता है। लेकिन हार्वेस्ट मून के टाइम पर सूर्य ढलने के 5 मिनटों बाद ही चांद उग जाता है। इसके चलते शाम में हल्की सी चांदनी दिखने लगती है।

इससे किसानों को गर्मियों की फसल काटने के दौरान मदद मिलती है। इसलिए फसल शब्द से जोड़ते हुए इस खगोलीय घटना को हार्वेस्ट मून कहा जाता है। नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि लोग इसे देख सकते हैं लेकिन किवदंतियों में इसे 'भयावह' माना गया है।

अमेरिकियों ने दिया था नाम

इस पूर्ण चंद्रमा को फुल हार्वेस्ट मून नाम नेटिव अमेरिकियों ने दिया था। दरअसल, यह चंद्रमा साधारण चंद्र उदय की अपेक्षा जल्द चांदनी बिखेर देता है। चूंकि, बीते जमाने में यह चंद्रमा उनकी गर्मियों में उगाई जाने वाली फसलों की कटाई और मड़ाई में मददगाह होता था इसलिए इसे पश्चिम में फुल हार्वेस्टा मून नाम दिया गया। इसे कॉर्न मून के नाम से भी जानते हैं क्यों कि यह समय ऐसा होता है जब किसान अपने मक्के की फसल की कटाई करते हैं।

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काफी छोटा दिखेगा चांद

यह अन्य फुल मून की अपेक्षा काफी छोटा दिखाई देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह अपनी कक्षा के दूरस्थल बिंदु पर मौजूद होगा। अमूमन माइक्रो मून सुपर मून की तुलना में 14 फीसद छोटा और 30 फीसद कम चमकीला दिखाई देता है।

ऐसा इसलिए क्योंकि यह धरती से 251,655 मील की दूरी पर होता है। लेकिन फुल हार्वेस्ट मून माइक्रो मून से भी दूर (816 मील) मौजूद होगा। इससे उलट सुपर मून माइक्रो मून से 2,039 मील धरती के नजदीक होता है।

कब दिखेगा फुल हार्वेस्ट मून

सितंबर में दिखाई देने वाले इस 'दुर्लभ पूर्ण चंद्रमा' को शरत चंद्रमा भी कहते हैं। इससे पहले जनवरी 2006 में शुक्रवार को फुल मून दिखाई दिया था। अब 13 साल बाद फिर मई 2033 में ऐसा संयोग बनेगा। हालांकि, फुल हार्वेस्टा मून के बारे में अनुमान है कि दोबारा 13 अगस्त 2049 को यह दुर्लभ संयोग बनेगा।

900 मिलियन डॉलर के नुकसान का अनुमान

उत्तरी कैरोलिना के एशविले में स्ट्रे स मैनेजमेंट सेंटर एवं फोबिया इंस्टी्ट्यूट (Stress Management Center and Phobia Institute) के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में अनुमानित 17 से 21 मिलियन लोग इस दिन से डरते हैं। यह किवदंती इसे इतिहास में सबसे अधिक भयभीत दिन बनाती है।

अमेरिकी लोगों में इस दिन को लेकर डर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ लोग डर से आज के दिन व्यापार करने, फ्लाइट पर जाने जैसी सामान्य दिनचर्या से बचते हैं। अनुमान है कि दुनिया में आज के दिन 800 से 900 मिलियन डॉलर तक का व्यापार नहीं होता है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने इसे महज खगोलीय घटना बताया है।

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Aditya Mishra

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