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उमड़ा जनसैलाब: रो पड़ी हर किसी की आँखें, ऐसे विदा हुए हमारे शहीद जवान

पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में देश के 20 वीर जवान शहीद हो गए। इन्ही जवानों में से एक झारखंड साहिबगंज के कुंदन कुमार ओझा ने भी देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।

Vidushi Mishra
Published on: 19 Jun 2020 12:42 PM GMT
उमड़ा जनसैलाब: रो पड़ी हर किसी की आँखें, ऐसे विदा हुए हमारे शहीद जवान
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नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में देश के 20 वीर जवान शहीद हो गए। इन्ही जवानों में झारखंड साहिबगंज के कुंदन कुमार ओझा ने भी देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। वीर जांबाज कुंदन की लेह में पोस्टिंग थी। जिस दिन गलवानी घाटी में हिंसक झड़प हुई, इनकी ड्यूटी वहीं पर लगी थी। देश की रक्षा के लिए वीर जवानों में आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी थी।

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बेटे की शहादत पर गर्व

शहीद हुए कुंदन के ही सिर्फ परिवार आंखे नम नहीं हैं बल्कि पूरे देश की आंखें नम हैं। कुंदन के न रहने से उनके घर में मातम पसरा हुआ है। जहां पिता को बेटे की शहादत पर गर्व था तो वहीं, उनके जाने का गम भी है। जिसे वे अपने आंसूओं से ही बयां कर पा रहे थे।

शहीद बेटे का शव जैसे ही पैतृक घर पहुंचा, मां का कलेजा फट पड़ा और पिता का दिल चीख-चीखकर रो पड़ा। अपने बेटे के शव को देखकर परिजनों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। देश के वीर बेटे की एक झलक देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। 12 किलोमीटर तक का रास्ता जैसे लोगों से भर गया था।

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कुंदन की अंतिम यात्रा

शहीद हुए कुंदन की अंतिम यात्रा में पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से 10 लाख रुपये नगद साथ ही शहीद की पत्नी या परिजन को पेट्रोल पंप देने की अनुशंसा भारत सरकार से की जाएगी।

बता दें, शहीद जवान कुंदन कुमार ओझा की उम्र 26 साल थी। वे साहिबगंज जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के डिहारी गांव के रहने वाले हैं। शहीद कुंदन रविशंकर ओझा के पुत्र हैं। शहीद के दो भाई और एक बहन है। कुंदन ओझा की शादी दो साल पहले सुल्तानगंज में हुई थी। और बस एक महीने पहले ही वह बेटी के पिता बने थे।

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