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चीन ने भारत को दिखाई आंख, सरकार ने भेजी भारी फोर्स, सेना पीछे हटने को तैयार नहीं

भारत ने पिथौरागढ़ से लगी चीन सीमा तक सड़क पहुंचाने में सफलता पा ली है। बीआरओ ने घटियाबगड़ से लिपूपास सड़क का निर्माण पूरा कर लिया है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑनलाइन इस सड़क का बीते दिनों उद्घाटन किया था।

Aditya Mishra
Published on: 19 May 2020 7:48 AM GMT
चीन ने भारत को दिखाई आंख, सरकार ने भेजी भारी फोर्स, सेना पीछे हटने को तैयार नहीं
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नई दिल्ली: भारत ने पिथौरागढ़ से लगी चीन सीमा तक सड़क पहुंचाने में सफलता पा ली है। बीआरओ ने घटियाबगड़ से लिपूपास सड़क का निर्माण पूरा कर लिया है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑनलाइन इस सड़क का बीते दिनों उद्घाटन किया था।

जब से भारत ने चीन के नजदीक सड़क बनाई है दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। इस बीच खबर आ रही है कि पूर्वी लद्दाख और उत्तहरी सिक्किम में सैनिकों के बीच टकराव के बाद भारत-चीन में तनाव पहले से और भी ज्यादा बढ़ता जा रहा है।

इसके बाद, भारत को भी अतिरिक्त सेना वहां भेजनी पड़ी। अक्सांई चिन के इलाके पर कब्जाी करने वाले चीन ने अब 'उल्टाि चोर कोतवाल को डांटे' वाले अंदाज में भारत पर आरोप लगाया है कि वह अवैध डिफेंस फैसलिटी बना रहा है।

यहां ये भी समझना होगा कि 2017 में डोकलाम के बाद लाइन ऑफ एक्चुजअल कंट्रोल पर पहली बार इतनी ज्यादा टेंशन देखने को मिल रही है। लद्दाख में गलवा फ्लैशपॉइंट के पास चीन ने तंबू गाड़कर अपने सैनिकों को लगाया है।

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क्या है चीन का ताजा आरोप

चीनी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि 'भारत के चीनी सीमा के भीतर ताजा, अवैध फैसलिटीज के कंस्ट्र क्शंन' के जवाब में चीन ने बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ाई है।

भारत ने गलवां घाटी में अवैध डिफेंस फैसिलिटी बनाई है। इस इलाके में भारत और चीन के बीच कई बार टकराव हो चुका है। भारत ने चीन पर आरोप लगाया है कि चीनी सैनिक उन इलाकों में अपने टेंट लगा रहे हैं जहां भारत रेगुलरली पैट्रोल करता है।

लद्दाख में हजारों जवान मौजूद

चीन ने वहां पर 80 से ज्याादा तंबू लगाए हैं। गलवां में 5 मई से तनाव शुरू हुआ। चीनी मीडिया का कहना है कि यह 2017 के डोकलाम विवाद के बाद सबसे ज्यांदा तनाव वाली बात है।

गलवां नदी के फ्लैशपॉइंट पर इस वक्त भारत और चीन के सैकड़ों सैनिक तैनात हैं। चीनी एक्संपर्ट्स की ओर से वहां के सरकारी मीडिया में धमकी दी गई थी कि 'अगर भारत अब तनाव को बढ़ाता है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।' गलवां में तनाव को सुलझाने के लिए लोकल लेवल पर बातचीत हुई है।

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भारत से उलझना चीन की पुरानी आदत

पांगोंग झील के उत्तीरी किनारे पर 5-6 मई को भारत और चीन के सैनिक भिड़ गए थे। उसी के बाद सीमा पर दोनों देशों ने फोर्स बढ़ा दी है। फिलहाल तनाव का केंद्र बनी गलवां घांटी 1962 की जंग का भी एक ट्रिगर पॉइंट थी।

विवादित इलाकों में टेंट लगाना चीन की पुरानी आदत है। इसके बाद वह कंस्ट्रनक्शंन शुरू कर देता है। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर देमचोक, चूमर और दौलत बेग ओल्डीर में भी सैनिक तैनात किए गए हैं।

डोकलाम जैसा ही ये मामला

भारत-चीन-भूटान के ट्राई-जंक्शन पर चीन एक सड़क बना रहा था जिसकी खिलाफत में भारतीय सैनिक भीतर घुस गए थे। इसके बाद, दोनों देशों ने वहां पर भारी फोर्स तैनात कर दी थी। टॉप लीडर्स की बातचीत के बाद वह विवाद थमा था।

भारत ने उस इलाके में पैट्रोलिंग के लिए सड़क बनाई है। सूत्रों के मुताबिक चीनी सैनिकों की तैनाती इसी के जवाब में हो सकती है। गलवां में तनाव काफी हद तक डोकलाम से मिलता-जुलता है।

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Aditya Mishra

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