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वायरल पर्चे की सच्चाईः क्या सचमुच मददगार है कोरोना में ये दवा

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के फेमस सर गंगाराम हॉस्पिटल के नाम से एक फर्जी पर्चा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें कोरोना वायरस को लेकर कई दावे किए गए हैं।

Shreya
Published on: 12 Jun 2020 10:51 AM IST
वायरल पर्चे की सच्चाईः क्या सचमुच मददगार है कोरोना में ये दवा
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नई दिल्ली: इस वक्त पूरा देश कोरोना महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहा है। तमाम प्रयासों के बाद भी देश में तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ रहा है। इसी के साथ लोगों की अस्पताल में एडमिट होने और टेस्टिंग के लिए परेशानियां भी बढ़ रही हैं। वहीं इस संकट के समय में भी कुछ लोग धोखाधड़ी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

फर्जी पर्चा सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

दरअसल, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के फेमस सर गंगाराम हॉस्पिटल के नाम से एक फर्जी पर्चा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें कोरोना वायरस को लेकर कई दावे किए गए हैं। इन सब के बीच सर गंगाराम हॉस्पिटल ने एक आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें इस पर्चे के दावे को गलत बताया है।

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क्या बताया गया है इस पर्चे में?

बता दें कि अस्पताल के नाम से जो फर्जी पर्चा वायरल हो रहा है, उसमें कोरोना के इलाज को लेकर कई जानकारियां दी गई है। इसमें लिखा है कि ICMR की गाइडलाइन्स के मुताबिक, जो कोविड पॉजिटिव वालों को होम आइसोलेशन में रहना चाहिए। इसमें लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, हैंड हाइजीन और मास्क पहनने के अलावा कुछ दवाइयों का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है।

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इन दवाओं के इस्तेमाल करने की सलाह

इस पर्चे में हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन के अलावा Crocin व Calpol जैसे कुछ दवाइयां प्रिसक्राइब की गई हैं और दावा किया गया है कि कोरोना की चपेट में आने वाले लोग इन दवाइयों का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये पर्चा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस बीच अस्पताल ने कहा है कि उन्होंने इस तरह का कोई पर्ची जारी नहीं किया है। हॉस्पिटल ने इस पर्चे को फर्जी करार दिया।

सर गंगाराम हॉस्पिटल ने जारी किया ये बयान

अस्पताल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि यह हमारे संज्ञान में लाया गया है कि किसी ने नकली फोटो प्रसारित की है और डॉक्टर के हस्ताक्षर जाली हैं। SGRHIndia इस तरह के संदेशों से खुद को अलग करता है।



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अभी तक किसी दवा की खोज नहीं हुई

बता दें कि अभी तक कोरोना महामारी के लिए किसी सटीक इलाज का खोज नहीं हुआ है। मतलब अभी तक इस बीमारी से लड़ने के लिए कोई दवा नहीं बनाया गया है। ऐसे में ये दावा गलत साबित होता है।

केवल डॉक्टरों की निगरानी में किया जा रहा दवा का इस्तेमाल

गौरतलब है कि हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल कोरोना के इलाज के लिए किया जा रहा है, लेकिन केवल डॉक्टरों की निगरानी और एक्सपर्ट की सलाह में ही। ऐसे में मरीज को इस दवा का खुद इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी गई है।

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