TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

जानिए क्यों पाक अपने ही पूर्वजों के हत्यारों पर रखता है मिसाइलों के नाम?

इतिहास की किताबों में महमूद ग़ज़नवी को मंदिरों को ध्वस्त करने और लूटने वाले के रूप में चित्रित किया गया है। कहा जाता है कि महमूद ग़ज़नवी ने सत्रह बार भारत पर हमला किया था।

Aditya Mishra
Published on: 30 Aug 2019 5:25 PM IST
जानिए क्यों पाक अपने ही पूर्वजों के हत्यारों पर रखता है मिसाइलों के नाम?
X

लखनऊ: पाकिस्तान ने सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल 'गजनवी' का सफल परीक्षण किया है। यह 290 किलोमीटर की दूरी तक अनेक आयुध ले जाने में सक्षम है।

इस मिसाइल का नाम मुगल आक्रान्ता गजनवी के नाम पर रखा गया है। जिसने सोमनाथ मंदिर पर हमला कर तोड़फोड़ और लूटपाट की थी।

ऐसा पहली बार नहीं है जब पकिस्तान ने ऐसा किया हो बल्कि इसके पूर्व में भी पाकिस्तान ऐसी हरकतें करते आया है।

वह बाबर, गौरी, अब्दाली नाम से कई अन्य मिसाइलें पहले ही लांच कर चुका है। ये सभी मुगल आक्रान्ताओं के नाम पर रखें गये है। आइये हम आपको इसके पीछे की पूरी कहानी बताते है।

ये भी पढ़ें...फटीचर पाकिस्तान! भीख में नहीं मिला कुछ, फिर भी चल रहा ऐसी चालें

मुगल आक्रान्ताओं के नाम पर मिसाइलों के नाम क्यों?

पाकिस्तान की आक्रामक सैन्य रणनीति और लगातार न्युक्लियर हथियारों का निर्माण ना सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के देशों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।

पिछले कुछ समय में पाकिस्तान ने अपने मिसाइल अभियान में काफी जबरदस्त इजाफा किया है और उसे इसमे सफलता भी मिली है। पाकिस्तान अब्दाली, गजनवी, गौरी, शाहीन, बाबर नाम की तमाम मिसाइलों का निर्माण कर चुका है।

लेकिन इन सबके बीच एक सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान ऐसे लोगों के नाम पर ही अपने मिसाइल कार्यक्रम का नाम क्यों रखता है जिसने भारत पर समय-समय पर आक्रमण करके उसकी ऐतिहासिक, सांस्कृति औऱ धार्मिक धरोहर को नुकसान पहुंचाया।

महमूद गजनवी, मोहम्मद गोरी औऱ तैमूर लंग ने भारत में बर्बर आक्रमण करके काफी खून खराबा किया, लूटपाट की और स्थानीय लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इन लोगों ने मंदिरों को तोड़ा, लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया।

पाकिस्तान इस तर्क से सहमत नहीं है

इतिहास की किताबों में महमूद ग़ज़नवी को मंदिरों को ध्वस्त करने और लूटने वाले के रूप में चित्रित किया गया है।

कहा जाता है कि महमूद ग़ज़नवी ने सत्रह बार भारत पर हमला किया था। अब्दाली मिसाइल का नाम 17वीं शताब्दी के मुस्लिम योद्धा अहमद अब्दाली के नाम पर रखा गया है।

हालांकि पाकिस्तान ने इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा है कि मिसाइलों को ये नाम क्यों दिए गए हैं, लेकिन नामकरण से देश की अधिकारिक सोच के बारे में कुछ संकेत ज़रूर मिलते हैं।

और इन संकेतों के अनुसार पाकिस्तान के लिए भारत के साथ मौजूदा संघर्ष विगत में मुस्लिम योद्धाओं और भारत के हिंदू राजाओं के बीच संघर्ष की ही वर्तमान कड़ी है।

पाकिस्तान में इतिहास की किताबों में इन मुस्लिम योद्धाओं को न्यायप्रिय तो उनके प्रतिद्वंद्वी हिंदू राजाओं को क्रूर करार दिया गया है।

ये भी पढ़ें...इतना गिरा पाकिस्तान! जबरन करा रहा धर्म-परिवर्तन, इमरान जानकर भी अंजान

स्कूल के पाठ्यक्रम में भी मुस्लिम शासक

ऐसे में पाकिस्तान में मिसाइल कार्यक्रम का नाम ऐसे आक्रमणकारियों के नाम पर रखे जाने के पीछे की वजह को अगर तलाशे तो यह बात सामने आती है कि पाकिस्तान आज भी इस सोच से बाहर निकलने को तैयार नहीं है कि मुस्लिम शासकों ने जो भी किया सही किया और वह सही थे।

यहां तक कि पाकिस्तान में जो इतिहास पढ़ाया जाता है उसमे भी मुगल काल के दौरान इस्लामिक काल के बारे में ज्यादा पढ़ाया जाता है बजाए वेदिककाल या स्वतंत्रता आंदोलन के।

मुस्लिम शासकों को बेहतर बताने का प्रयास

महात्मा गांधी का भी जिक्र पाकिस्तान की स्कूल की किताबों में बहुत कम मिलता है, उनके अलावा अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का भी जिक्र बहुत कम है।

यहां के पाठ्यक्रम के जरिए यह बताए जाने की कोशिश होती है कि मुस्लिम शासक बेहतर थे औऱ हिंदुओं ने उनसे सत्ता छीन ली।

1947 के विभाजन के बाद पाकिस्तान का निर्माण हुआ और यह पूरी तरह से इस्लाम धर्म को लेकर हुआ। ऐसे में इन आक्रमणकारियों के नाम पर मिसाइल का नाम रखकर एक बार फिर से पाकिस्तान उसी सोच को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है कि मुस्लिम शासक बेहतर थे।

ये भी पढ़ें...भारत उठा लें ये कदम तो पाकिस्तान का हुक्का-पानी हो जाएगा बंद

इन मुगल आक्रान्ताओं ने पहुंचाया था बड़ा नुकसान

गजनवी ने 11वीं शताब्दी में भारत पर हमला किया और उसने भारत पर लगातार 17 बार हमला किया, उसने सोमनाथ मंदिर को भी तोड़ा और जमकर लूटपाट की। वहीं अहमद शाह अब्दाली ने 18वीं शताब्दी में सिखों को बड़ी संख्या में मौत के घाट उतारा।

1748 से 1765 के बीच उसने भारत पर 7 बार हमला किया। वहीं तैमूर लंग ने 1398 में दिल्ली पर हमला किया और बड़ी संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार दिया। हालांकि बाबर इन आक्रमणकारियों से अलग था, लेकिन उसने भी कई मंदिरों को तोड़ा।

Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story