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पीओके को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद कराने के लिए भारत ने उठाया ये बड़ा कदम

गिलगित-बाल्टिस्तान के अलग राज्य बन जाने से चीनी कंपनियां सीधे स्थानीय प्रशासन के संपर्क में आ जाएंगी और इससे उन्हें वहां काम करने में और भी ज्यादा आसानी हो जाएगी।

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Published on: 5 Nov 2020 7:13 AM GMT
पीओके को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद कराने के लिए भारत ने उठाया ये बड़ा कदम
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इमरान के एलान का भारत ने कड़ा विरोध किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस पूरे मसले पर बयान जारी कर पाकिस्तान के इस कदम की निंदा की है।

नई दिल्ली: गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के बाद से पाकिस्तान सरकार की मुसीबतें लगातार बढ़ती ही जा रही है। भारत ने पाकिस्तान को गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पूरे पीओके को जल्द से जल्द खाली करने की चेतावनी दी है।

उसने गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पाकिस्तान के कदम को गलत ठहराया है। साथ ही ये भी कहा है कि उसने पीओके पर अपना अवैध कब्जा जमा रखा है। पूरा पीओके भारत का हिस्सा है। जिसे हम लोग लेकर रहेंगे।

भारत की तरफ से बयान आने के बाद से पाकिस्तान की मुसीबतें और भी ज्यादा बढ़ गई हैं। पाकिस्तान अब गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर चौतरफा घिर गया है।

उसका कड़ा विरोध हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन की शह से पाकिस्तान ने यह कदम उठाया है। चीन को मालूम है कि अगर पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में अपना प्रभाव बढ़ता है तो इसका फायदा आगे चलकर उसे ही मिलने वाला है।

Gilgit-Baltistan पीओके को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद कराने के लिए भारत ने उठाया ये बड़ा कदम(फोटो:सोशल मीडिया)

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इमरान ने किया था ये एलान

बताते चलें कि बीते रविवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलगित की रैली में इस इलाके को अस्थाई प्रांत का दर्जा देने का एलान किया था।

इतना ही नहीं इमरान ने इस महीने के आखिर में वहां की विधानसभा के चुनाव कराने की भी बात कही थी। जिसके फौरन बाद से भारत ने बयान जारी कर इस पूरे मसले पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।

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1947 में भारत में हो चुका विलय

प्राप्त जानकारी के अनुसार 1947 में जम्मू-कश्मीर के भारत संघ में वैध, पूर्ण और अटल विलय की वजह से तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान समेत केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं। इमरान के एलान का भारत ने कड़ा विरोध किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस पूरे मसले पर बयान जारी कर पाकिस्तान के इस कदम की निंदा की है।

Xi Jinping and Imran Khan पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फोटो:सोशल मीडिया)

चीन को इससे क्या होगा फायदा

दरअसल पाकिस्तान सरकार चीन के इशारे पर काम कर रही है। चीन का मकसद किसी भी तरह से भारत में अस्थिरता लाना है। इसलिए वह लगातार नापाक कोशिशें कर रहा है लेकिन उसे अपने मकसद में कामयाबी नहीं मिल पा रही है।

आखिर पाक और चीन चाहते क्या हैं

वहीं पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर एक तीर से कई शिकार करना चाहता है। यह इलाका कराकोरम रेंज में हैं और चीन के उत्तर-पश्चिम के प्रांत शिनजियांग के साथ भी सटा हुआ है, जिसके कारण इस इलाके का सामरिक और वाणिज्यिक दोनों ही महत्व है।

पाकिस्तान पहले से ही इस इलाके पर नजर गढ़ाए बैठा था, लेकिन अब चीन की भी नजरें इस पर टिक गई हैं। अगर कभी भारत-पाकिस्तान या चीन के बीच युद्ध हुआ या युद्ध जैसी स्थिति बनी, तो पाकिस्तान या चीन को सैनिकों और साजो-सामान को तुरंत ले जाने में इस रास्ते से काफी सुविधा होगी क्योंकि उसके पास हर मौसम में काम करने वाली चौड़ी सड़क होगी। चीन भी इस सड़क का इस्तेमाल युद्ध के वक्त भारत के खिलाफ कर सकता है।

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चीन को ये होगा फायदा

चीन को एक और बड़ा फायदा गिलगित-बाल्टिस्तान के अलग राज्य बनने से ये होगा कि कराकोरम राजमार्ग से निकलकर गिलगित-बाल्टिस्तान होते हुए ही बलूचिस्तान में दाखिल हुआ जा सकता है। गिलगित-बाल्टिस्तान के अलग राज्य बन जाने से चीनी कंपनियां सीधे स्थानीय प्रशासन के संपर्क में आ जाएंगी और इससे उन्हें वहां काम करने में और भी ज्यादा आसानी हो जाएगी।

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