TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

झकझोर देने वाला सच: यहां लगती है जिस्म की मंडी, 'बैल' से भी सस्ती हैं 'बच्चियां'

झारखंड के आदिवासी इलाके में देश की बेटियां बिक रही हैं। ना सिर्फ बिक रही है बल्कि बेहिसाब बिक रही है। जिस्म की इस मंडी में लड़कियों की कीमत महज 500 रुपये है, जबकि बैल की कीमत तीन हजार। इन लड़कियों को यहां से खरीदकर दिल्ली जैसे महानगरों में बेचा जाता है।

Shivakant Shukla
Published on: 7 May 2019 11:09 AM IST
झकझोर देने वाला सच: यहां लगती है जिस्म की मंडी, बैल से भी सस्ती हैं बच्चियां
X

नई दिल्ली: आज आज के इस दौर में रोज बलात्कार हिंसा की घटनायें रोज सामने आ रही है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आज भी बेटियां खरीदी और बेची जा रही हैं। और आश्चर्य की बात तो ये है कि इसके लिए बाकायदा दुकानों में इंसानों की मंडी लग रही है? तो आइए जानते हैं इसके बारे में...

झारखंड के आदिवासी इलाके में देश की बेटियां बिक रही हैं। ना सिर्फ बिक रही है बल्कि बेहिसाब बिक रही है। जिस्म की इस मंडी में लड़कियों की कीमत महज 500 रुपये है, जबकि बैल की कीमत तीन हजार। इन लड़कियों को यहां से खरीदकर दिल्ली जैसे महानगरों में बेचा जाता है।

ये वो खौलता हुआ सच है जो आज आपको झकझोर कर रख देगा। आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएंगी, जब आप 21वीं सदी की उस मंडी को देखेंगे जहां आज भी इंसानों को गुलामों और जानवरों की तरह खरीदा और बेचा जाता है। आपको अपनी आंखों पर यकीन नहीं होगा कि कैसे बड़े-बड़े शहरों में बेटियां बिक रही हैं, और खरीदने वाले खरीद भी रहे हैं।

ये भी पढ़ें— आज भी जिन्नातों की लगती कचहरी, शौतानो को मिलती सजा

यहां गरीबी की वजह से लोग ऐसे शातिर लोगों के कर्ज के चंगुल में फंस जाते हैं, जिनकी निगाह कर्ज वापस पाने की जगह उनकी मासूम लड़कियों पर होती है। सूबे की पुलिस ने हाल ही में दो ऐसी नाबालिग लड़कियों को इन तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया था, जिन्हें उनके पिता ने महज 500 के कर्ज के एवज में उनके हवाले कर दिया था। तस्करों ने यह खुलासा किया कि वे लड़कियों को उनकी चंचलता के हिसाब से बोली लगाकर बेचते थे। झारखंड की लड़कियों को देशभर में बेचा जाता है।

झारखंड पुलिस इन दिनों ऑपरेशन मुस्कान-2 चला रही है। इसमें मानव तस्करी की शिकार बनी नाबालिगों के उद्धार और पुनर्वास के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग विंग के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि झारखंड से करीब 25 हजार लड़कियां हर साल इसकी शिकार होती हैं।

ये भी पढ़ें— स्वामी के बाद अब BJP के इस बड़े नेता ने जताई पार्टी को बहुमत न मिलने की आशंका

झारखण्ड के गुमला, सिमडेगा, खूंटी और दुमका ऐसे जिले हैं, जहां से नाबालिग आदिवासी लड़कियों का पलायन सबसे अधिक होता है। गरीबी और भुखमरी के चलते हर साल देश के पिछड़े राज्यों से हजारों लोग दिल्ली सहित देश के तमाम बड़े शहरों की तरफ भागे आते हैं। मानव तस्करी के धंधे से जुड़े लोग गरीबों की इसी मजबूरी का सालों से फायदा उठा रहे हैं। गरीब लड़कियों को घरों या फैक्ट्रियों में काम दिलाने के बहाने बहलाया फुसलाया जाता है।

पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, असम और ओडिशा जैसे राज्यों से पहले मानव तस्करी कर लड़कियों को ट्रेनों में दिल्ली लाया जाता है और फिर यहां से या तो उन्हें दिल्ली में ही बेच दिया जाता है या फिर प्लेसमैंट एजेंसी की मदद से हरियाणा, पंजाब, गुजरात और राजस्थान के अलग-अलग शहरों में पहुंचा दिया जाता है।

ये भी पढ़ें— VPAT पर SC में आज बड़ी सुनवाई, 21 दलों ने की है 50% पर्चियों के सत्यापन की मांग

आंकड़ों में मुताबिक, साल 2009 में मानव तस्करी के जहां तकरीबन 3000 मामले सामने आए थे, वहीं एक साल बाद यानी 2010 में ये 3422 मामले रिकॉर्ड किए गए। इसके बाद अगले साल यानी 2011 में ये आंकड़ा 3517 तक पहुंच गया। मानव तस्करी का शिकार होने वाले इन लोगों में ज्‍यादा लडकियां थी, जिन्हें जिस्मफरोशी के अड्डों तक पहुंचा दिया गया था।

अब सवाल ये उठता है कि क्या ये घृणित कर्म और मानवता को कलंकित करने का धंधा समाज में जिस वजह से पनप रहा है। उसका निदान होगा और दोषियों को सजा मिलेगी। या फिर ऐसे ही 21वीं सदी में भी बेटियां मां बाप के मजबूरी का दंश झेलती रहेंगी।



\
Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

Next Story