×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

मिला सोने का खदान: नदियां उगल रही स्वर्ण भंडार, सरकार की कड़ी नजर

नदियों से सोना निकलने की वजह से केंद्र सरकार का इस ओर ध्यान गया और साल 2010 में केंद्र ने इसे गंभीरता से लिया। खनिज मंत्रालय ने दो निजी कंपनियों के जरिए सोने की संभावनाओं के मद्देनजर सर्वे कराया लेकिन तब ज्यादा कुछ पता नहीं चला।

Newstrack
Published on: 11 Aug 2020 6:32 PM IST
मिला सोने का खदान: नदियां उगल रही स्वर्ण भंडार, सरकार की कड़ी नजर
X
मिला सोने का खदान: नदियां उगल रही स्वर्ण भंडार, सरकार की कड़ी नजर

नई दिल्ली: नदियों से सोना मिलने की घटना को सुनकर आपको हैरानी होगी लेकिन ये सच है। छत्तीसगढ़ की दो नदियों में सोने के कण सदियों से मिलते चले आ रहे हैं। इस लिए छत्तीसगढ़ के जशपुर में सोने की खान मिलने की संभावनाहै। अब यहां सोने की खानों के जल्द सर्वे करने के बात सामने आ रही है। बता दें कि स्वर्ण उत्खनन की संभावना तलाशने के लिए नए सिरे से सर्वे की तैयारी हो रही है। हालांकि जिम्मेदार विभाग इस पर बात करने के लिए तैयार नहीं है।

केंद्र सरकार ने मामले को संज्ञान में लिया

एक खबर के मुताबिक जशपुरनगर की ईब व उसकी सहायक सोनाजोरी नदी की रेत से स्वर्ण कण निकालने का काम सालों से झोरा जनजातीय समुदाय करता आया है। यहां की नदियों से स्वर्ण कण निकलते भी हैं। नदियों से सोना निकलने की वजह से केंद्र सरकार का इस ओर ध्यान गया और साल 2010 में केंद्र ने इसे गंभीरता से लिया। खनिज मंत्रालय ने दो निजी कंपनियों के जरिए सोने की संभावनाओं के मद्देनजर सर्वे कराया लेकिन तब ज्यादा कुछ पता नहीं चला।

मिला सोने का खदान: नदियां उगल रही स्वर्ण भंडार, सरकार की कड़ी नजर

सर्वे के बाद स्वर्ण भंडार होने की पुष्टि हुई, सर्वे कराए जाने की तैयारी

बताया जा रहा है कि करीब 6 माह तक चले सर्वे के बाद स्वर्ण भंडार होने की पुष्टि तो हुई लेकिन सोना कितनी मात्रा में है और भंडार के स्थान कहां है, उसका पता नहीं चल सका। सर्वे को उत्खनन उद्योग के विरोध की वजह से बीच में रोक भी दिया गया था। अब एक बार फिर से जिले में सोने के भंडार के स्त्रोत की ठोस जानकारी हासिल करने के लिए सर्वे कराए जाने की तैयारी है।

ये भी देखें: बड़े काम के रसगुल्ले: पीलिया में हैं सबसे ज्यादा लाभकारी, जानें क्या हैं गुण

पानी से स्वर्ण कण निकालने का काम झोरा जनजाति के लोग करते हैं

बता दें कि यहां की ईब और सोनाजोरी नदी के पानी से स्वर्ण कण निकालने का काम झोरा जनजाति के लोग सदियों से करते आ रहे हैं। जिले के कांसाबेल और फरसाबहार इलाके में नदी से सोना निकालने का काम बारिश का मौसम शुरू होते ही चालू हो जाता है। यहां के लोग नदी की रेत को छानकर सोना निकालते हैं।

मिला सोने का खदान: नदियां उगल रही स्वर्ण भंडार, सरकार की कड़ी नजर

ये भी देखें: बन गई वैक्सीन: तेजी से शुरू होगा उत्पादन, WHO ने की चौंकाने वाली बात

लकड़ी के पात्र को दोबायन कहा जाता है, जिससे सोना निकलता है

स्वर्ण कण निकालने के लिए स्थानीय रहवासी लकड़ी से बने हुए अनोखे औजार का प्रयोग करते हैं। लकड़ी के इस पात्र को दोबायन कहा जाता है। आयताकार इस अनोखे यंत्र का बीच का भाग कटोरानुमा होता है। इसमें नदी के पानी और मिट्टी को लेकर छाना जाता है। इससे स्वर्ण कण इस पात्र के बीच में बने छेद में जमा हो जाते हैं।

ये भी देखें: वाहन चालकों को झटका: सिर्फ इतना मिलेगा पेट्रोल-डीजल, सरकार का बड़ा आदेश

तीन दिन की मेहनत, धान के एक दाने के बराबर सोना

नदियों के पानी और मिट्टी से स्वर्ण कण निकालने वाले लोग अंतरराज्यीय तस्करों और स्थानीय दलालों के जाल में उलझे हुए हैं। यहां कि एक स्थानीय निवासी ने बताया कि तीन दिन की मेहनत के बाद धान के एक दाने के बराबर सोना जमा कर पाते हैं। इस सोने को स्थानीय दलाल 400 से 500 रुपये में खरीदते हैं, जबकि बाजार मूल्य एक हजार रुपये तक होता है।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story