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अब लो! पीएमसी बैंक के बाद अब एक और बड़ा घोटाला, लोगों को झटका
गुडविन ग्रुप की पहली स्कीम में फिक्स्ड डिपॉजिट पर 16% इंट्रेस्ट की पेशकश की गई थी। दूसरी स्कीम में डिपॉजिट के 1 साल पूरे होने पर गोल्ड ज्वैलरी देने की बात कही गई थी।
नई दिल्ली: पंजाब & महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक लिमिटेड-(पीएमसी) घोटाले के बाद महाराष्ट्र में ही एक और बड़े घोटाला जल्द ही सामने आने वाला है। दरअसल मुंबई के एक ज्वैलरी स्टोर, जिसकी कई ब्रांच हैं, उसका मालिक पिछले चार दिनों से अपनी दुकानें बंद कर फरार है। इस ज्वैलरी स्टोर में लोगों ने दो स्कीमों में भारी-भरकम निवेश कर रखा है। इसके बाद से हजारों लोगों की हालत खराब है। इस स्टोर का नाम गुडविन ज्वेलर्स है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब पुलिस ज्वैलरी गुडविन स्टोर्स के मालिकों के डोंबिवली के आवास पर पहुंची तो उसे बंद पाया, जिसके बाद इसी इलाके में स्थित उनके शोरूम को सील कर दिया।
कौन हैं गुडविन ग्रुप के मालिक?
गुडविन के मालिक सुनील तथा सुधीश पिछले 22 वर्षों से जूलरी के कारोबार में हैं। माना जा रहा है कि एक वॉइस मैसेज में चेयरमैन ने निवेशकों से कहा है कि उनका निवेश सुरक्षित है और उन्हें उनकी रकम वापस मिल जाएगी। सुनील तथा सुधीश केरल के रहने वाले हैं और मुंबई तथा पुणे में उनके कम से कम 13 आउटलेट हैं।
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निवेशकों का दावा है कि डोंबिवली ऑफिस 21 अक्टूबर को बंद किया गया और जब उन्होंने फोन पर स्टोर के कर्मचारियों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि स्टोर दो दिन के लिए बंद रहेगा। लेकिन दुकान दिवाली पर भी बंद रही, जिसके कारण चिंता बढ़ गई है।
गुडविन ग्रुप ने कैसे शुरू किया कारोबार
बता दें कि गुडविन ग्रुप ने ज्वैलरी स्टोर, कंस्ट्रक्शन, सिक्यॉरिटी डिवाइसेज तथा आयात-निर्देश में निवेश कर रखा है। 1992 में इसने केरल में ज्वैलरी बनाना शुरू किया और अगले तीन साल में यह ज्वैलरी का होलसेल कारोबार करने लगा। साल 2004 में यह मुंबई के बाजार में उतरा। कंपनी की शाखाएं वाशी, ठाणे, डोंबिवली में दो, चेंबूर, वसई, अंबरनाथ, पुणे में तीन तथा केरल में हैं। इसने विदेश में भी शोरूम खोलने वाला था।
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कंपनी की वो स्कीमें जिसमें निवेशकों ने लगाया था पैसा
गुडविन ग्रुप की पहली स्कीम में फिक्स्ड डिपॉजिट पर 16% इंट्रेस्ट की पेशकश की गई थी। दूसरी स्कीम में डिपॉजिट के 1 साल पूरे होने पर गोल्ड ज्वैलरी देने की बात कही गई थी। कोई निवेशक 1 साल के लिए 1 महीने में चाहे कितनी भी रकम का निवेश कर सकता था। निवेशक अपनी रकम के बराबर गोल्ड ले सकता था या कैश चाहने वालों को 14 महीने के लिए इंतजार करना पड़ता था।