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गूगल सर्च ट्रेंड: अब कोरोना से ऊब गए लोग, पहले की तरह इन विषयों में ज्यादा दिलचस्पी
मीडिया और चैनलों में रोज सुबह से शाम तक कोरोना के बारे में पढ़ने और सुनने के बाद अब लोग धीरे-धीरे कोरोना से ऊबने लगे हैं।
नई दिल्ली: मीडिया और चैनलों में रोज सुबह से शाम तक कोरोना के बारे में पढ़ने और सुनने के बाद अब लोग धीरे-धीरे कोरोना से ऊबने लगे हैं। गूगल के सर्च ट्रेंड से पता चला है कि अब लोग पहले की तरह है फिल्म, मौसम और अन्य चीजों के बारे में जानकारी ले रहे हैं। गूगल की मई की ट्रेंड रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि कई हफ्तों तक सबसे ज्यादा सर्च किए जाने वाले कोरोना की रेटिंग गिरने लगी है।
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कोरोना की सर्च गिरकर आधी
मई महीने की गूगल ट्रेंड रिपोर्ट से पता चलता है कि अप्रैल के मुकाबले मई में कोरोना वायरस की सर्च गिरकर आधी रह गई। मई महीने के दौरान सर्चिंग में कोरोना वायरस विषय 12वीं पायदान पर रहा। कोरोना वायरस से अधिक सर्चिंग फिल्म,मीनिंग हिंदी मूवी और मौसम की गई। कोरोना संकट कॉल से पहले आम दिनों में भारत के लोग इन विषयों पर ही ज्यादा सर्च करते रहे हैं।
वेब सीरीज पाताललोक सबसे ऊपर
गूगल का यह सर्च ट्रेंड इस बात का संकेत है कि लोग कोरोना वायरस के बारे में बार-बार पढ़कर और सुनकर धीरे-धीरे ऊबने लगे हैं और अब एक बार फिर कोरोना संकट काल से पहले के दौर में लौटना चाहते हैं। गूगल सर्च ट्रेंड रिपोर्ट से बात का भी पता चला है कि लोगों ने फिल्मों में सबसे ज्यादा वेब सीरीज पाताललोक को खोजा। इसके साथ ही साथ वैक्सीन, लॉकडाउन 4.0 और ईद मुबारक शब्दों की सर्चिंग भी काफी ज्यादा रही।
छोटे राज्यों की कोरोना में ही दिलचस्पी
एक और दिलचस्प बात यह पता चली है कि छोटे राज्यों के लोगों ने कोरोना वायरस के बारे में अधिक सर्च किया। ऐसे राज्यों में गोवा टॉप पर रहा। गोवा के अलावा मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड, जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़, दमन-दीव, सिक्किम, हरियाणा और झारखंड के लोगों ने कोरोना वायरस के बारे में ज्यादा सर्चिंग की। वैसे बड़े राज्यों के रुझान को देखा जाए तो वहां के ज्यादा लोगों की दिलचस्पी अब कोरोना वायरस के संबंध में सर्चिंग में नहीं रही।
वैक्सीन के बारे में जानने की भी इच्छा
कोरोना वायरस के संबंध में सर्च करने वाले लोगों ने ज्यादातर सवाल वैक्सीन और इसके भारत में आने के समय के संबंध में पूछे। इसके अलावा यह जानने में भी लोगों की दिलचस्पी रही कि कौन सी बीमारी कोरोना वायरस से संबंधित है। काफी संख्या में लोग यह भी जानना चाहते थे कि क्या बिना लक्षण वाले लोग भी कोरोना का संक्रमण फैलाने में सक्षम हैं?
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बार-बार सुनने से पैदा हुई अरुचि
दिल्ली के हिंदू कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर रतनलाल का कहना है कि एक ही चीज के बारे में बार-बार सुनने के कारण लोगों में उसके प्रति अरुचि का भाव पैदा हो जाता है। किसी बीमारी के लंबा खींचने पर लोग उसके साथ ही जीने की आदत डाल लेते हैं। कोरोना वायरस के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। अब लोगों ने डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की तरह कोरोना वायरस को भी लेना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि इसी कारण कोरोना के संबंध में लोगों की दिलचस्पी घटती जा रही है और वे इस बाबत कम सर्चिंग कर रहे हैं।
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