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Government House Allotment: सांसदों को बंगलों में मिलती हैं ये खास सुविधाएं, जानें- सरकारी आवास आवंटन के क्या हैं नियम?

Government House Allotment Rules: सांसदों को उनकी कैटेगरी के हिसाब से अलग-अलग टाइप के मिलते हैं बंगले। बंगले के रख-रखाव का भी भत्ता मिलता है। बंगला खाली कराने का भी सख्त नियम है, नहीं मानने पर जुर्माना भरना होता है।

Hariom Dwivedi
Published on: 22 April 2023 3:39 PM GMT
Government House Allotment: सांसदों को बंगलों में मिलती हैं ये खास सुविधाएं, जानें- सरकारी आवास आवंटन के क्या हैं नियम?
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सांसदों को उनकी कैटेगरी के हिसाब से अलग-अलग टाइप के बंगले आवंटित होते हैं।

Government House Allotment Rules: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली के 12 तुगलक लेन स्थित सरकारी आवास छोड़ दिया है। मानहानि केस में सजा मिलने के बाद उनकी लोकसभा सदस्यता छिन गई थी। 27 मार्च 2023 को लोकसभा की हाउसिंग कमेटी ने उन्हें अपना आधिकारिक आवास खाली करने का नोटिस भेजा था। कानूनन, नोटिस मिलने के 30 दिनों के भीतर बंगले को खाली करना होता है। राहुल गांधी साल 2004 से यहां रह रहे थे। यह बंगला उन्हें तब आवंटित हुआ था जब वह पहली बार सांसद बने थे। आइये जानते हैं कि सांसदों को सरकारी बंगले कैसे और किस टाइप के बंगले मिलते हैं? इसको लेकर क्या नियम हैं? कौन इन्हें बंगले आवंटित करता है और पूरी प्रक्रिया क्या है?

कैसे आवंटित होते हैं सरकारी आवास?

1922 में गठित डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट सरकारी आवासों के आवंटन, रख-रखाव और किराये का काम देखता है। मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन एंड हाउसिंग अफेयर्स के तहत ये विभाग आता है। अलॉटमेंट ऑफ गवर्नमेंट रेसिडेंज रुल्स 1963 के तहत दिल्ली में सरकारी आवास आवंटित किये जाते हैं। बंगलों का बंटवारा सैलरी और सीनियॉरिटी के आधार पर होता है। हाउसिंग कमेटी दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को आवास बांटने का काम करती है। टाइप I से टाइप IV के सरकारी आवास आमतौर पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों को मिलते हैं जबकि, टाइप VI से टाइप VIII तक के बंगले सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों को आवंटित किए जाते हैं।

टाइप 8 सबसे बड़े बंगले

सबसे उच्च श्रेणी का बंगला टाइप आठ माना जाता है। आमतौर पर ये बंगले कैबिनेट मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व प्रधानमंत्रियों, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व उप-राष्ट्रपति और वित्त आयोग के चेयरमैन को मिलते हैं। ऐसे बंगलों में 5 बेडरूम होते हैं। इन बंगलों में सर्वेंट क्वार्टर, लॉन और गैरेज भी होता है। टाइप 8 बंगले जनपथ, त्यागराज मार्ग, कृष्णमेनन मार्ग, अकबर रोड, सफदरजंग रोड, मोतीलाल नेहरू मार्ग और तुगलक रोड पर हैं।

टाइप 7 बंगले में रहते हैं राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी टाइप 7 बंगले में रहते हैं। करीब 19 साल पहले 2004 में उन्हें यह बंगला तब आवंटित किया गया था, जब वह पहली बार अमेठी से लोकसभा सांसद बने थे। टाइप 7 के बंगलों में 4 बेडरूम, सर्वेंट क्वार्टर, लॉन और गैरेज होता है। आमतौर पर इस तरह के बंगले राज्य मंत्रियों, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीशों, कम से कम पांच मर्तबा सांसद रहे नेताओं को आवंटित होता है। इस श्रेणी के बंगले अशोका रोड, लोधी इस्टेट, कुशक रोड, कैनिंग लेन, तुगलक लेन आदि में बने हैं।

पहली बार सांसदों को टाइप फाइव आवास

पहली बार सांसद बनने वाले सांसदों को आमतौर पर टाइप-5 आवास मिलता है। हालांकि, उन्हें टाइप-6 आवास भी मिल सकता है, बशर्ते वह पहले विधायक व राज्यमंत्री बने हों। टाइप-5 निवास में चार श्रेणियां हैं। पहली श्रेणी टाइप फाइव- A है। इस श्रेणी के आवंटित आवासों में एक ड्राइंग रूम और एक बेडरूम सेट होता है। टाइप फाइव- B श्रेणी के सांसदों को एक ड्राइंग रूम और दो बेडरूम सेट मिलता है। टाइप फाइव-C श्रेणी में ड्राइंग रूम और तीन बेडरूम सेट दिया जाता है जबकि टाइप फाइव- D में ड्राइंग रूम और चार बेडरूम सेट मिलता है। इसके अलावा सांसदों के रहने के लिए संयुक्त फ्लैट टाइप फाइव (ए/ए), संयुक्त फ्लैट टाइप फाइव (ए/बी) और संयुक्त फ्लैट टाइप फाइव (बी/बी) भी उपलब्ध हैं। लेकिन अगर कोई पूर्व सांसद सरकारी आवास में रहते हैं तो मार्केट रेट के हिसाब से उन्हें किराया चुकाना होता है।

बंगले के रख-रखाव का मिलता है भत्ता

बंगले में सांसदों को बिजली, पानी फ्री मिलता है। मुफ्त में पर्दों की धुलाई भी होती है। सांसदों को फ्लैट्स और बंगले के रखरखाव के लिए भत्ता भी दिया जाता है। अगर खर्च 30 हजार से ज्यादा हुआ है तो फिर शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से फंड अप्रूव किया जाता है लेकिन 30 हजार रुपए तक के खर्च का अप्रूवल हाउस कमिटी कर सकती है।

नियमत : खाली करवाए जाते हैं बंगले

पब्लिक प्रिमाइसेस (एविक्शन ऑफ़ अनऑथोराइज्ड ऑक्यूपेंट्स एक्ट ) के तहत पूर्व सांसदों से बंगला खाली कराया जाता है। इसके तहत एक नोटिस दिया जाता है, जिसके 30 दिन बाद बंगला खाली करने को कहा जाता है। अगर नहीं किया तो उन्हें तीन दिन में नोटिस का जवाब देना होता है कि उनके खिलाफ बेदखली का आदेश क्यों न दे दिया जाए। विवाद की स्थिति में शो-कॉज नोटिस भी जारी किया जाता है। नोटिस का जवाब नहीं दने पर बल प्रयोग कर बंगला खाली कराया जाता है। 2019 के बाद से कानून में संशोधन के तहत, समय पर बंगला नहीं खाली करने पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जाता है।

लोकसभा पूल में कुल 517 घर

लोकसभा पूल में कुल 517 घर हैं। इनमें टाइप-आठ बंगलों से लेकर छोटे फ्लैट तक हैं। इन बंगलों को बंगला आवंटित करने संबंधित सभी फैसले हाउस कमेटी लेती है। ये सारे आवास सेंट्रल दिल्ली के नार्थ एवेन्यू, साउथ एवेन्यू, मीना बाग, बिशम्बर दास मार्ग, बाबा खड़क सिंह मार्ग, तिलक लेन और विट्ठल भाई पटेल हाउस में हैं।

रहने का किराया देती है सरकार

केंद्र सरकार सांसदों को रहने के लिए आवास मुहैया कराती है। लेकिन, अगर किसी को घर आवंटित नहीं किया गया है तो उनके होटल में ठहरने का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

Hariom Dwivedi

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