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कोरोना वायरस: ऐसे होगा अंतिम संस्कार, सरकार ने बनाए ये नियम

Ashiki
Published on: 15 March 2020 6:43 AM GMT
कोरोना वायरस: ऐसे होगा अंतिम संस्कार, सरकार ने बनाए ये नियम
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नई दिल्ली: कोरोना की दहशत अब अंतिम संस्कार पर भी दिखने लगा है। कोरोना से संक्रमित 68 वर्षीय एक महिला की दिल्ली में मौत होने के बाद शनिवार को निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार को लेकर विवाद हो गया। महिला की अंत्येष्टि को लेकर हुए विवाद के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वायरस का शिकार होने वाले लोगों के शवों की अंत्येष्टि के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने पर काम शुरू कर दिया है।

इसलिए दिए जा रहे हैं निर्देश-

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि शव के अंतिम संस्कार से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की आशंका नहीं है। लेकिन ऐसे में दिशा-निर्देश इस गलत धारणा को खत्म करने के लिए और किसी मृतक से रोग के नहीं फैलने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए तैयार किए जा रहे हैं।

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क्‍या था विवाद-

अंतिम संस्कार के लिए पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ शव को लेकर निगम बोध घाट पहुंची टीम और परिजनों को करीब दो घंटे का इंतजार करना पड़ा। वहां मौजूद लोगों का कहना था कि सीएनजी से दाह संस्कार होने पर वायरस फैल सकता है। एहतियातन निगम बोध घाट की संचालन समिति ने शव को अंतिम संस्कार के लिए लोधी रोड स्थित इलेक्ट्रिक श्मशान घाट ले जाने को कहा। बाद में विवाद और बढ़ने पर स्वास्थ्य विभाग ने हस्तक्षेप कर श्मशान घाट प्रशासन को तुरंत अंतिम संस्कार करने के निर्देश दिए। मौके पर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी पहुंच गए। इसके बाद किसी तरह से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई।

इस तरह अंत्येष्टि करने से नहीं होगा कोई नुकसान-

देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 84 मामलों की अब तक पुष्टि हुई है, जिनमें दिल्ली और कर्नाटक में हुई दो मौतें भी शामिल हैं। नई दिल्ली एम्स के फोरेंसिक मेडिसीन विभाग के प्रमुख ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते मरने वाले व्यक्ति की किसी भी तरीके से अंत्येष्टि करने का कोई नुकसानदेह प्रभाव नहीं है। ये तरीके इलेक्ट्रिक, गैस से शवदाह करना या दफनाना आदि हो सकते हैं।

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वहीँ अधिकारी ने कहा कि कोरेना वायरस संक्रमण एक श्वसन रोग है, जो किसी व्यक्ति के श्वसन तंत्र से छोड़ी जाने वाली नमी की बूंदों से दूसरे व्यक्ति में संचारित होता है और मृतक के शव से मुर्दाघर या अंत्येष्टि कर्मी के संक्रमित होने की संभावना नहीं है। जबकि इबोला और निपाह जैसे अत्यधिक खतरनाक रोगाणुओं के मामलों में मृतक के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से संक्रमण फैलने की बहुत अधिक गुंजाइश होती है।

डब्ल्यूएचओ ने दिया सुझाव-

मुर्दाघर में शव की देखभाल और पोस्टमार्टम जांच के बारे में डब्ल्यूएचओ ने श्वसन संक्रमण वाले शव को शवदाह गृह या कब्रिस्तान तक पहुंचाने के लिए पैकेजिंग एवं परिवहन को लेकर कुछ सिफारिशें की हैं। इनमें शव को एक थैले में पूरी तरह से सील बंद रखने को कहा गया है ताकि शव से तरल पदार्थ के किसी तरह के रिसाव को टाला जा सके। इनमें कहा गया है, शव को थैले में पैककर मुर्दाघर से सुरक्षित रूप से शवदाहगृह भेजा जाएगा या अंत्यष्टि के लिए ताबूत में रखा जाएगा। डब्लूएचओ ने शव को संभालने वालों के लिए नष्ट किए जा सकने वाले लंबे आस्तीन के कफ वाले गाउन जैसे निजी सुरक्षा उपकरणों के इस्तेमाल की सलाह दिया है। अगर शव के बाहरी हिस्से पर बॉडी फ्लूइड्स, मल या कोई स्त्राव दिखाई दे रहा हो तो ऐसी स्थिति में गाउन वाटरप्रूफ होना चाहिए।

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