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बिजली को लेकर सरकार उठाने जा रही ऐसा कदम, कंपनी-ग्राहक दोनों को होगा फायदा
ऊर्जा मंत्रालय राज्यों की बिजली वितरण कम्पनियों को पूंजी उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही मंत्रालय केंद्रीय मंत्रिमंडल को सुधार आधारित प्रोत्सााहन पैकेज योजना से जुड़ा प्रस्ताव भेज सकता है।
नई दिल्लीे: ऊर्जा मंत्रालय राज्यों की बिजली वितरण कम्पनियों को पूंजी उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही मंत्रालय केंद्रीय मंत्रिमंडल को सुधार आधारित प्रोत्सााहन पैकेज योजना से जुड़ा प्रस्ताव भेज सकता है। इस बार सुधार आधारित प्रोत्साहन योजना फंड के तहत 3.12 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का प्रस्ताव रखा गया है।
जिसके बाद केंद्र सरकार हर डिस्कॉम के परफार्मेंस को ध्यान में रखते हुए उसके बेसिस पर पावर सेक्टर को पूंजी उपलब्ध कराएगी। यहां ये भी बता दें कि बिजली सेक्टर को आर्थिक पैकेज देने के पीछे सरकार का मकसद जनता को राहत पहुंचाना है।
बल्ब की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)
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कई राज्यों की डिस्कॉम का होगा प्राइवेटाईजेशन
सरकार बिजली कम्पनियों की मदद के लिए कई सारे प्रयास कर रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की डिस्कॉम का वित्त वर्ष 2020-21 में प्राइवेटाइजेशन किया जाएगा। जिसमें अंडमान-निकोबार और चंडीगढ़,की डिस्कॉेम भी सम्मिलित हैं।
इतना ही नहीं आगे चलकर दादर नागर हवेली और दमन-दीव की डिस्कॉम का भी प्राइवेटाईजेशन किया जाएगा। सूत्रों का तो ये तक कहना है कि रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन की ओर से राज्यों की डिस्कॉम में 68,000 करोड़ रुपये डालने को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।
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स्मार्ट पावर मीटर की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)
2.28 लाख करोड़ का हो चुका है नुकसान
बताते चलें कि जून 2020 तक बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों के लिए लिए गए उधार में से राज्यों की डिस्कॉम पर 2.63 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हैं। जिसमें उत्तर प्रदेश का 13,715 करोड़ रुपये, राजस्थान डिस्कॉम पर 35,042 करोड़ रुपये, तमिलनाडु का 18,970 करोड़ बकाया है।
उम्मीद की जा रही है कि साल 2020 के अंत तक सभी डिस्कॉम का नुकसान घटाकर 1.4 लाख करोड़ रुपये तक लाया जाएगा। बता दें कि डिस्कॉम को वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 2.28 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सूत्रों के मुताबिक, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से उधार लेने की सीमा बढ़ाने के साथ ही 1.2 लाख करोड़ रुपये की पूंजी की मांग की जा सकती है।
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