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फिर विवादों में घिरे जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक
श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक अपने बयानों के कारण बीच-बीच में विवादों में घिरते रहे हैं। हाल में उन्होंने एक बार फिर भाषण में ऐसी बात कह दी जिसे लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इसे लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस ने राज्यपाल पर हमला बोला। बाद में राज्यपाल ने एक बयान जारी कर कहा कि राज्यपाल के रूप में मुझे ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए थी। यह मेरी निजी राय थी। भ्रष्टाचार के प्रति गुस्से के कारण ऐसी बात मेरे मुंह से निकल गई।
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बेगुनाहों को नहीं बल्कि भ्रष्ट लोगों को मारो
लद्दाख संभाग के करगिल में एक पर्यटन कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे मलिक ने आतंकवादियों से अपील करते हुए कहा कि बेगुनाहों को मत मारो बल्कि उन लोगों को निशाना बनाओ जिन्होंने सालों तक कश्मीर की सम्पदा को लूटा है। भ्रष्ट नेताओं को निशाना बनाओ। मलिक ने यह बयान दिया ही था उनकी चौतरफा आलोचना होने लगी कि राज्यपाल पद पर बैठा व्यक्ति ऐसी बात कैसे कह सकता है। मलिक ने कहा कि ये लड़के जिन्होंने हथियार उठाए हैं वे अपने ही लोगों की हत्या कर रहे हैं। वे पीएसओ और एसपीओ (विशेष पुलिस अधिकारियों) की हत्या कर रहे हैं। इनकी हत्या क्यों कर रहे हो? इन्हें तो उनकी हत्या करनी चाहिए जिन्होंने कश्मीर को लूटा है। वे यहीं नहीं रुके बल्कि यह सवाल तक पूछ डाला कि क्या तुमने इनमें से किसी को मारा है? हालांकि राज्यपाल ने फौरन यह भी कहा कि हथियार उठाना कभी भी किसी समस्या का हल नहीं हो सकता और उन्होंने श्रीलंका में लिट्टे का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार कभी हथियार के आगे घुटने नहीं टेकेगी।
मलिक ने दिया जवाब
उमर के हमले के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जवाब देते हुए उन्हें राजनैतिक नौसिखिया बताया। राज्यपाल ने कहा कि वे हर मुद्दे पर ट्वीट कर रहे हैं। उनके ट्वीट पर आई प्रतिक्रियाएं पढ़ लें, आप खुद ही जान जाएंगे। इसके साथ ही मलिक ने प्रतिष्ठा की बात करते हुए अपनी और अब्दुल्ला की प्रतिष्ठा का जिक्र किया और कहा कि मैं दिल्ली में अपनी रेपुटेशन की वजह से यहां हूं। आप अपनी रेपुटेशन की वजह से वहां हो जहां हो।
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बाद में पेश की सफाई
मलिक ने भ्रष्ट नेताओं पर दिए अपने बयान को लेकर अब सफाई देते हुए कहा कि उन्हें एक संवैधानिक पद पर होते हुए ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। उन्होंने कहा कि उनके वक्तव्य को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। मैं मानता हूं कि मेरी जिम्मेदारी या जो पोजीशन है उस पर ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए थी। लेकिन मेरा फ्रस्टेशन भ्रष्टाचार के प्रति ऐसा था कि यह बात निकल गई। उन्होंने अपने बयान पर अफसोस जताते हुए कहा कि राज्यपाल होते हुए मुझे यह नहीं कहना चाहिए अदरवाइज मैं यही कहूंगा। मलिक ने कहा कि मैंने जो कुछ भी कहा वह बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर गुस्सा और हताशा है। अगर मैं राज्यपाल के पद में नहीं होता तो मैं बिल्कुल ऐसा ही कहता और उसके बाद जो कुछ भी होता उसे भुगतने के तैयार रहता।
पहले भी रहे हैं विवादों में
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब मलिक ने विवादित बयान दिया हो। इससे पहले मलिक ने कहा था कि अगर मैंने दिल्ली की तरफ देखा होता तो मुझे सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनाना पड़ता और इसके लिए मैं इतिहास में एक 'बेईमान आदमी' के रूप में याद किया जाता। बाद में उन्होंने अपनी बात को गलत तरीके से पेश करने का आरोप मीडिया पर लगाया। एक बार उन्होंने बयान दिया कि जब कोई आतंकवादी मारा जाता है तो मुझे दुख होता है। इस पर भी उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी। उन्होंने कहा था कि पुलिस अपना काम बहुत अच्छे से कर रही है, लेकिन अगर एक भी जान जाती है अगर वो आतंकी की भी क्यों न हो तो मुझे तकलीफ होती है। इससे पहले उन्होंने आतंकियों से हथियार छोड़कर वार्ता का अनुरोध किया था। विवादित बयानों के कारण उन्हें पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर से हटाने की आशंका भी जताई गई थी मगर वे अभी तक राज्यपाल बने हुए हैं।
मलिक ने दिया जवाब
उमर के हमले के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जवाब देते हुए उन्हें राजनैतिक नौसिखिया बताया। राज्यपाल ने कहा कि वे हर मुद्दे पर ट्वीट कर रहे हैं। उनके ट्वीट पर आई प्रतिक्रियाएं पढ़ लें, आप खुद ही जान जाएंगे। इसके साथ ही मलिक ने प्रतिष्ठा की बात करते हुए अपनी और अब्दुल्ला की प्रतिष्ठा का जिक्र किया और कहा कि मैं दिल्ली में अपनी रेपुटेशन की वजह से यहां हूं। आप अपनी रेपुटेशन की वजह से वहां हो जहां हो।
उमर व कांग्रेस ने किया हमला
राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला भड़क गए। उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार संवैधानिक पद पर काबिज व्यक्ति आतंकवादियों को भ्रष्ट समझे जाने वाले नेताओं की हत्या के लिए कह रहा है। उन्होंने ट्वीट किया कि लिखा कि इस ट्वीट को सहेज लें-आज के बाद जम्मू-कश्मीर में किसी भी मुख्यधारा के नेता या सेवारत/सेवानिवृत्त नौकरशाह की अगर हत्या होती है तो समझा जाएगा कि यह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के आदेशों पर की गयी है। उमर ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने भी ऐसे बयान को लेकर राज्यपाल पर हमला बोला। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख जी.ए. मीर से पूछा कि क्या वह राज्य में जंगलराज को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है। संवैधानिक पद पर बैठे मलिका का यह बयान पद की गरिमा के खिलाफ है।