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इंडिया ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप के अधिकारियों को 'हौंक' दिया है
आगामी लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर सरकार बेहद सतर्कता से काम ले रही है। सूचना प्रोद्यौगिकी पर बनी संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने फेसबुक, व्हॉट्सएप और इंस्टाग्राम के अधिकारियों से सीधे शब्दों में कहा है कि भारतीय चुनाव, राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों के डेटा की सुरक्षा देश की पहली प्राथमिकता है। कमेटी ने सोशल मीडिया की कंपनियों से इस बाबत 10 दिन के भीतर लिखित जवाब सौंपने को कहा गया है।
नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर सरकार बेहद सतर्कता से काम ले रही है। सूचना प्रोद्यौगिकी पर बनी संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने फेसबुक, व्हॉट्सएप और इंस्टाग्राम के अधिकारियों से सीधे शब्दों में कहा है कि भारतीय चुनाव, राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों के डेटा की सुरक्षा देश की पहली प्राथमिकता है। कमेटी ने सोशल मीडिया की कंपनियों से इस बाबत 10 दिन के भीतर लिखित जवाब सौंपने को कहा गया है।
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संसदीय स्टैंडिंग कमेटी ने फेसबुक के अधिकारियों से पूछा, 'आपका मंच समाज के काम आ रहा है या समुदायों को बांटने का काम कर रहा है?' सवाल का जवाब देते हुए फेसबुक के अधिकारी ने कहा कि वो एक हायब्रिड कंपनी हैं। फेसबुक की सामग्री, विज्ञापन और मार्केटिंग से जुड़े कामकाज पर कौन सी नीतियां लागू होती हैं, इसका जवाब देने में कंपनी असमर्थ रही। फेसबुक के वैश्विक नीति प्रमुख ने कुछ कर्मचारियों के पुलवामा हमले और आतंकवाद को लेकर की गई असंवेदनशील टिप्पणियों पर स्टैंडिग कमेटी से माफी भी मांगा।
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संसदीय स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने उनसे कहा कि वो ये सुनिश्चित करें कि उनके मंच का इस्तेमाल समाज को बांटने, हिंसा भड़काने, भारत की सुरक्षा से खिलवाड़ या विदेशी ताकतों के भारतीय चुनाव में दखल को लेकर न हो। इस पर कंपनी के अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि कुछ सुधारों की जरूरत है और वो इसके लिए तैयार हैं और इसके साथ उन्होंने संसदीय समिति को भरोसा दिलाते हुए कहा है कि वो चुनाव आयोग के संपर्क में रहेंगे और संबंधित मंत्रालयों के दिशा निर्देशों पर काम करेंगे।
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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सोशल मीडिया के जरिए प्रभावित करने की हुई थी कोशिश।
अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति चुनाव में कथित तौर पर सोशल मीडिया के जरिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप जैसी कोशिशें भारत के लोकसभा चुनाव के दौरान भी न दोहराई जाएं, इसके लिए संसद की एक स्थायी समिति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के अधिकारियों को तलब किया है।
इससे पहले 25 फरवरी को ट्विटर के कॉलिन क्रॉवेल भी अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता वाले पैनल के सामने पेश हो चुके हैं। उन्हें 6 मार्च को समिति के सामने अपना पक्ष रखने को कहा गया था।