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GST काउंसिल ने मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ाया

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण (एनएए) का कार्यकाल दो साल के लिए नवंबर, 2021 तक बढ़ा दिया है।

Aditya Mishra
Published on: 21 Jun 2019 4:30 PM GMT
GST काउंसिल ने मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ाया
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नई दिल्ली: माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण (एनएए) का कार्यकाल दो साल के लिए नवंबर, 2021 तक बढ़ा दिया है।

इसके साथ ही परिषद ने जीएसटी पंजीकरण हासिल करने के लिए आधार के प्रमाण के रूप में इस्तेमाल की अनुमति दी हैं बिजली चालित वाहनों और उनके चार्जरों पर जीएसटी दर में कटौती का मामला अधिकारियों की एक समिति को भेजा गया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में शुक्रवार को यहां हुई जीएसटी परिषद की बैठक में दरों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को नहीं देने वाली कंपनियों पर 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगाने की भी मंजूरी दी गई है। अभी तक इसमें 25,000 रुपये तक का अधिकतम जुर्माना लगाया जा सकता है।

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जीएसटी परिषद की 35वीं बैठक के बाद राजस्व सचिव ए बी पांडेय ने संवाददाताओं से कहा कि जीएसटी व्यवस्था के तहत वार्षिक रिटर्न जमा कराने की तारीख दो महीने बढ़ाकर 30 अगस्त कर दी गयी है।

उन्होंने बताया कि इसके साथ जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों के लिए माल के परिवहन को दो लगातार महीने तक ई-वे बिल निकालने की रोक को दो माह के लिए बढ़ाकर 21 अगस्त, 2019 कर दिया गया है।

पांडेय ने यह भी बताया कि नई जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की प्रणाली एक जनवरी, 2020 से लागू हो जाएगी। परिषद ने एक जनवरी, 2020 से इलेक्ट्रानिक इनवॉयस प्रणाली को पायलट आधार पर शुरू करने की भी मंजूरी दी है।

पांडेय ने कहा कि परिषद ने इसके साथ ही जीएसटी पंजीकरण वाले मल्टीप्लेक्सों के लिए ई-टिकट जारी करना अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि लॉटरियों पर जीएसटी दर के बारे में अटार्नी जनरल की राय मांगी गई है।

पांडेय ने कहा कि केंद्र ने बोगस इनवॉयस से संबंधित ब्योरा राज्यों के साथ साझा किया है। परिषद ने ई-इनवॉयस पर एक जनवरी से पायलट परियोजना शुरू करने की सैद्धान्तिक मंजूरी दे दी है।

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प्रस्ताव के अनुसार 50 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली इकाइयों को बी2बी बिक्री के लिए सरकारी पोर्टल पर इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस निकालना होगा।

लॉटरियों पर कर को लेकर अटॉर्नी जनरल की राय मांग जाने के बारे में सीतारमण ने कहा कि जीएसटी के तहत कराधान का सिद्धान्त यह है कि देशभर में कर की एक दर होनी चाहिए जबकि लॉटरियों के मामले में कर की दो दरें हैं।

ऐसे में अनुच्छेद 340 पर स्थिति को स्पष्ट करने के लिए सलाह मांगने का फैसला किया गया है। अभी राज्य प्रायोजित लॉटरी पर 12 प्रतिशत और राज्य अधिकृत लॉटरी पर 28 प्रतिशत का कर लगता है।

यह पूछे जाने पर कि क्या दरों को और तर्कसंगत बनाने पर चर्चा हुई, सीतारमण ने कहा, ‘‘इस पर कुछ विशेष नहीं है...हम पूरी तरह स्पष्ट कर चुके हैं कि सभी राज्य इस बात पर सहमत हैं कि सरलीकरण के जरिये हमें इस पर आगे बढ़ना चाहिए। लक्ष्य सरलीकरण का होना चाहिए।’’

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली परिषद में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल हैं। पांडेय ने बताया कि बिजली चालित यानी इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी की दर को 12 से घटाकर पांच प्रतिशत और इलेक्ट्रिक चार्जर पर 18 से घटाकर 12 प्रतिशत करने का प्रस्ताव फिटमेंट समिति को भेजा गया है।

इसके राजस्व पर प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर पांडेय ने कहा कि अभी देश में ई-वाहनों का बहुत अधिक विनिर्माण नहीं हो रहा है। सरकार ई-वाहनों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देना चाहती है।

वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘सीतारमण ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि जीएसटी परिषद को जीएसटी नियमों के सरलीकरण, जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने और जीएसटी के दायरे में और उत्पादों को लाने को लेकर अभी काफी काम करने की जरूरत है।’’

परिषद ने एक प्रस्ताव पारित कर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की जीएसटी में भूमिका की सराहना की और उनका आभार जताया। परिषद ने कहा कि जेटली ने जीएसटी परिषद को सहकारिता के संघवाद का चमकता उदाहरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भाषा

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