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कोरोना पर बड़ी खबर: JBRC ने खोज ली ये चीज, वैक्सीन बनाने में मिल सकती है सफलता

गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र (जीबीआरसी) के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के पूरे जीनोम क्रम और तीन नए म्यूटेशन का पता लगाया है। किसी भी कोशिका या वायरस की अनुवांशिक संरचना में बदलाव म्यूटेशन कहलाता है। कोशिका की अनुवांशिक संचना डीएनए से बनती है

suman
Published on: 17 April 2020 3:12 PM GMT
कोरोना पर बड़ी खबर: JBRC ने खोज ली ये चीज, वैक्सीन बनाने में मिल सकती है सफलता
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हमदाबादगुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र (जीबीआरसी) के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के पूरे जीनोम क्रम और तीन नए म्यूटेशन का पता लगाया है। किसी भी कोशिका या वायरस की अनुवांशिक संरचना में बदलाव म्यूटेशन कहलाता है। कोशिका की अनुवांशिक संचना डीएनए से बनती है और इसमें होने वाला बदलाव स्थायी तो नहीं होता लेकिन अपना प्रभाव डालता है। इससे दुनियाभर में फैले घातक कोरोना वायरस की दवाई या टीका बनाने में मदद मिल सकती है।

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पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के बाद गांधीनगर में स्थित जीबीआरसी देश का दूसरा ऐसा संस्थान बन गया है जिसने वायरस के पूरे जीनोम सीक्वेंस को डिकोड किया है। देश के कई अन्य संस्थान ऐसा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा, कोरोना वायरस का पहला जीनोम सीक्वेंस बीजिंग में चीन के डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सेंटर ने 10 जनवरी को खोज लिया था। इसे चीन ने सार्वजनिक किया था। इसके बाद जीबीआरसी ने भी इसे यहां किया। यहां इसके जीनोम सीक्वेंस में कुल नौ म्यूटेशन मिले हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि जीबीआरसी द्वारा खोजे गए जीनोम सीक्वेंस को वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा किया जाएगा।

इनमें से छह म्यूटेशन का पता दुनिया के दूसरे संस्थान पहले लगा चुके हैं। जीबीआरसी द्वारा खोजे गए नौ म्यूटेशन में से तीन नए हैं और इस बात का निर्धारण करने में सहायता मिलेगी कि वायरस परिस्थितियों के अनुसार खुद को कैसे बदल रहा है। जीबीआरसी के निदेशक चैतन्य जोशी ने कहा कि वायरस विभिन्न परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए म्यूटेट होता रहता है। हमने कोविड-19 के एक मरीज का सैंपल लिया था और उस पर काम किया। उन्होंने कहा, विभिन्न परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए वायरस खुद को बदलता है या म्यूटेट करता है। यह तब भी म्यूटेट करता है जब दवा इसे नियंत्रित करने की कोशिश करती है। यह वायरस बाकी के मुकाबले ज्यादा तेजी से खुद को बदल रहा है।

इससे पहले भी आईसीएमआर

वहीं, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) के डॉ. रमन गंगाखेडकर का कहना है कि यह पहला सीक्वेंस नहीं है। पहले भी ये सीक्वेंस पाए जा चुके हैं। ये वायरस अलग-अलग देशों से आया है, इसलिए सभी के सीक्वेंस अलग-अलग हैं। चीन वाले अलग, ईरान वाले अलग। इटली के वायरस में अमेरिका समेत पूरे यूरोप से सीक्वेंस दिखाई दिए थे।

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अपने देश में अलग-अलग कोड के वायरस अभी भी हैं। सवाल यहा है कि भारत में ज्यादा संख्या किसकी है और इसका असर किस पर पड़ेगा, दवा पर असर पड़ेगा या नहीं। यह वायरस बहुत जल्दी म्यूटेशन नहीं करता है। यह वायरस भारत में तीन महीने से है और म्यूटेशन इतनी जल्दी नहीं होता। जो भी वैक्सीन सामने आएगी वह वायरस पर तब भी प्रभावी होगी यदि वह म्यूटेट हुआ होगा।

कोरोना वायरस के इलाज के लिए बीसीजी वैक्सीन के इस्तेमाल के सवाल पर डॉ. रमन ने कहा, आईसीएमआर इस पर अगले सप्ताह से अध्ययन शुरू करेगा। तब तक हमारे पास कोई निश्चित परिणाम नहीं हैं। हम स्वास्थ्य कर्मियों को भी इसका इस्तेमाल करने की सलाह नहीं देंगे।

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