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परंपरा के नाम पर आज भी यहां 14 की उम्र में ही तवायफ बना दी जाती हैं लड़कियां

इस मामले पर बरेली जोन के एडीजी अविनाश चंद्र ने कहा कि मामला गंभीर है। नाबालिग लड़कियों की शादी गैरकानूनी है। मुरादाबाद समेत बरेली जोन के जिस भी जिले में ऐसा कुकृत्य हो रहा है, उस पर सख्ती से नकेल कसी जाएगी।

Shivakant Shukla
Published on: 17 March 2019 9:57 AM GMT
परंपरा के नाम पर आज भी यहां 14 की उम्र में ही तवायफ बना दी जाती हैं लड़कियां
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लखनऊ: 21वीं सदी के इस आधुनिकता भरे युग में जहां भारत देश विकसित देशों की तरह दिन प्रतिदिन प्रगति कर रहा है। तो वहीं देश के यूपी से आज भी एक वर्ग परंपरा के नाम पर रूढिय़ों को ढो रहा है।

बंजारा नट वर्ग के ​लोग अपनी नाबालिग बेटियों का न सिर्फ बाल विवाह करा रहे हैं, बल्कि जीविकोपार्जन की खातिर उन्हें तवायफ भी बनाने में संकोच नहीं कर रहे हैं। कुछ ऐसे ही हालात पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, बरेली, बदांयू, लखनऊ, सीतापुर... में भी हैं।

दिल को झकझोर देगी इनकी दर्दनाक कहानी

यहां के सैकड़ों गांवों में ऐसी अनेक बेटियों के बालिका वधु से तवायफ बनने की कहानी दिल को झकझोर देने वाली है। हैरानी की बात तो ये है कि प्रशासन से लेकर बच्चों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्थाएं इससे अनजान बनी हुईं हैं।

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मुरादाबाद जिले का भानपुर मजरा के रहने वाले बंजारा नट मनोज की मानें तो समाज में बेटियों की उम्र 14 वर्ष पार होते ही दरवाजे पर रिश्ते दस्तक देने लगते हैं। यही नहीं नाबालिग बेटियों को दहेज भी मिलता है। भानपुर मजरा के प्रधान चंद्रपाल सिंह की मानें तो शादी का प्रस्ताव मिलते ही बेटी का पिता परंपरा के मुताबिक एक सवाल करता है। पूछता है कि शादी के बाद क्या मेरी बेटी कोठे पर नाचेगी? जवाब में यदि हां मिला, तो शादी का प्रस्ताव देने वाले परिवार को बेटी के पिता की ओर से मांगी गई रकम पहले ही अदा करनी होती है। तब शादी पर मुहर लगती है।

बालिका वधू दस लाख रुपये तक में बिकती है। रुपये देते ही बालिका वधू ससुरालियों के हाथ की कठपुतली बन जाती है। ससुराल पहुंचते ही उसे अपने पांव में घुंघरू बांधने होते हैं। फिर तो परंपरा, कुरीतियां, रिश्ते व जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी एक बेटी ताउम्र पैरों में घुंघरू बांध कर मुजरा करने के लिए मजबूर होती है। बंजारा नट समुदाय की 60 वर्षीय वृद्धा मुन्नी देवी बताती हैं कि यह परंपरा बचपन से ही वह देख रही हैं। उनके बाप-दादा के काल से ही बेटियों के तवायफ बन नाचने की परंपरा चली आ रही है।

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जिम्मेदारियों ने पैर में बांध दिए घुंघरू: मुजरा कर अय्याशों का दिल बहलाने वाली महिला

मुजरा कर अय्याशों का दिल बहलाने वाली महिला का कहना है कि जिम्मेदारियों ने पैर में घुंघरू बांधने पर मजबूर कर दिया है। यह काम मेरी बेटियों को न करना पड़े, इसी कोशिश में रुपये कमा रही हूं। बच्चों को पढ़ा लिखाकर बड़ा इंसान बनाऊं, यही मेरा प्रयास है। पूर्व के सापेक्ष बदले हालत उत्साहित करते हैं। समाज में कई ऐसे लड़के हैं, जिन्हें सरकारी नौकरियां मिली हैं। उन्हें देख कर बहुत से लोगों ने सैकड़ों साल से चली आ रही कुरीति से किनारा भी किया है।

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मामला गंभीर है: एडीजी

इस मामले पर बरेली जोन के एडीजी अविनाश चंद्र ने कहा कि मामला गंभीर है। नाबालिग लड़कियों की शादी गैरकानूनी है। मुरादाबाद समेत बरेली जोन के जिस भी जिले में ऐसा कुकृत्य हो रहा है, उस पर सख्ती से नकेल कसी जाएगी। बच्चों के कल्याणार्थ काम करने वाली संस्थाओं की मदद से रूढिय़ां खत्म करने और कानून का उल्लंघन करने वालों को सजा दिलाने का पुरजोर प्रयास किया जाएगा।

Shivakant Shukla

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