TRENDING TAGS :
Himachal Rain Alert: हिमाचल में तबाही से मची चीख-पुकार, 52 से ज्यादा लोगों की मौत, चेतावनी जारी
Himachal Pradesh Disaster: राज्य से लैंडस्लाइन और बादल फटने की घटनाओं को लेकर आने वाले फोटो और वीडियो काफी खौफनाक हैं और इंटरनेट पर जमकर वायरल हो रहे हैं।
Himachal Pradesh Disaster: पर्यटकों का पसंदीदा गंतव्य स्थान हिमाचल प्रदेश कुदरत के जबरदस्त कहर को झेल रहा है। इस बार बरसात ने प्रदेश में ऐसी तबाही मचाई है, जिसकी कल्पना करना मुश्किल है। मानसून के आगमन के साथ ही पूरा राज्य भारी बारिश की चपेट में है। राज्य से लैंडस्लाइन और बादल फटने की घटनाओं को लेकर आने वाले फोटो और वीडियो काफी खौफनाक हैं और इंटरनेट पर जमकर वायरल हो रहे हैं।
Also Read
मानसून के पहले दौर में हुए नुकसान से प्रदेश उबरा भी नहीं था कि अब नए सिरे से बारिश का दौर शुरू हो गया है। पिछले दो दिनों से जारी मूसलाधार बारिश ने पूरा राज्य को बुरी तरह से प्रभावित किया है। वर्षाजनित हादसों में बड़ी संख्या में लोग हताहत हो रहे हैं। हिमाचल में जनजीवन एक तरह से बेपटरी हो चुकी है। अत्यधिक बारिश के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन को चलाने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
50 से अधिक लोग गंवा चुके अपनी जान
पहाड़ी राज्य हिमाचल में पिछले 24 घंटे में लैंडस्लाइड, बादल फटने और बारिश से जुड़ी अलग-अलग घटनाओं में बड़े पैमाने पर जानमाल को नुकसान पहुंचा है। राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, अब तक इन हादसों में 52 लोगों की जानें जा चुकी हैं। मृतकों के आंकड़े में इजाफा होने की पूरी संभावना है क्योंकि प्रभावित क्षेत्रों में रेस्क्यू ऑपरेशन का काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है।
*लैंडस्लाइड के बाद हवा में लटकती रेल की पटरियाँ‼️‼️*
— जैनेंद्र | Jainendra (@thepaljainendra) August 15, 2023
हिमाचल से डरावनी तस्वीरें सामने आ रही हैं‼️‼️ pic.twitter.com/kO2XZ4p2MF
स्वतंत्रता दिवस पर नहीं हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण मची तबाही से लोग सकते में हैं। बड़े पैमाने पर हुए नुकसान को देखते हुए राज्य सरकार ने इस बार स्वतंत्रता दिवस पर किसी प्रकार का सांस्कृतिक कार्यक्रम न करने का निर्णय लिया है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खु ने आज केवल ध्वजारोहण कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
गृह मंत्री शाह ने जताया दुख, सीएम हुए भावुक
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिमाचल प्रदेश में वर्षा जनित हादसों में जान गंवाने और जख्मी होने वालों के प्रति दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखे पोस्ट में कहा, हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर भारी वर्षा और भूस्खलन से हुई जनहानि अत्यंत दुःखद है। NDRF की टीमें स्थानीय प्रशासन के साथ राहत व बचाव कार्यों में लगी हैं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ। ईश्वर उन्हें यह दु:ख सहने की शक्ति दें। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ।
हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर भारी वर्षा और भूस्खलन से हुई जनहानि अत्यंत दुःखद है। NDRF की टीमें स्थानीय प्रशासन के साथ राहत व बचाव कार्यों में लगी हैं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ। ईश्वर उन्हें यह दु:ख सहने की शक्ति दें। मैं घायलों के शीघ्र…
— Amit Shah (@AmitShah) August 14, 2023
हिमाचल में भारी बारिश के कारण मची तबाही से राजधानी शिमला भी अछूती नहीं है। शिमला के आसपास के इलाकों में भी बड़े पैमाने पर तबाही मची है। इसके अलावा सोलन जिले में बादल फटने से एक ही परिवार के सात लोग पानी में बह गए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने इन सभी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। पीड़ित लोगों से मिलने के दौरान उनकी पीड़ा को देख वे खुद की भावनाओं पर काबू पा न सके।
बारिश और तबाही का ऐसा मंजर हिमाचल प्रदेश ने कभी नहीं देखा। कागज की तरह घर बह रहे हैं। 50 से ज्यादा लोगों की मौत। 8 नेशनल हाईवे समेत 650 सड़के बंद है। रेलवे और हवाई सेवा ठप है। 200 साल पुराना शिमला का शिव बावड़ी मंदिर ध्वस्त हो गया है।
इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। ?… pic.twitter.com/dwE5Z9JZL8— Rishu Raj Singh (@rishuraj_chd) August 15, 2023
हिमाचल में क्यों हो रही ज्यादा तबाही
इस साल गर्मियों की शुरूआत यानी अप्रैल से ही हिमाचल प्रदेश में बारिश का सिलसिला शुरू हो गया। जो मानसून के दस्तक देने के साथ ही तेज हो गया। विशेषज्ञों के मुताबिक, अत्यधिक बारिश के कारण जमीन में नमी अधिक हो गई है। उनका कहना है कि शिमला और सोलन के पहाड़ों में चिकनी मिट्टी ज्यादा है, जो ज्यादा बारिश होने के कारण फूल जाती है। यही तबाही का कारण बन रही है।
हिमाचल में मची इस तबाही की एक और वजह विशेषज्ञ पहाड़ों के वर्टिकल कटिंग को भी मान रहे हैं। उनका कहना है कि सड़कों के निर्माण के लिए पहाड़ों को जिस तरह से काटा जा रहा है, उससे भी हालात जटिल हो रहे हैं। पहाड़ों पर बेतरतीब निर्माण को लेकर पर्यावरणविद् और जियोलॉजिस्ट पहले भी चिंता जा चुके हैं और इसके गंभीर परिणाम होने की चेतावनी दे चुके हैं।