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Himachal Rain Alert: हिमाचल में आसमानी आफत और ‘बिहारी मिस्त्री’

Himachal Rain Alert: इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में विनाश की हालिया लहर के लिए "बिहारी मिस्त्रियों" को दोषी ठहरा दिया। उन्होंने इसके लिए संरचनात्मक कमियों और बड़े पैमाने पर अंधाधुंध निर्माण को भी जिम्मेदार ठहराया।

Anshuman Tiwari
Published on: 17 Aug 2023 5:28 PM GMT (Updated on: 18 Aug 2023 2:07 AM GMT)
Himachal Rain Alert: हिमाचल में आसमानी आफत और ‘बिहारी मिस्त्री’
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Himachal Pradesh Natural disaster (Photo-Social Media)

Himachal Rain Alert: हिमाचल प्रदेश में भरी बारिश के चलते व्यापक तबाही हुई है। तमाम सड़कें, पुल, मकान आदि ढह – बह गए हैं। पहाड़ों की ढलानों पर बने मकान ताश के पत्तों की तरह ढह जाने की कितनी ही घटनाएँ घटी हैं। अब मकान ढहने के लिए ‘बिहारी मिस्त्रियों’ को दोषी ठहरा दिया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में विनाश की हालिया लहर के लिए "बिहारी मिस्त्रियों" को दोषी ठहरा दिया। उन्होंने इसके लिए संरचनात्मक कमियों और बड़े पैमाने पर अंधाधुंध निर्माण को भी जिम्मेदार ठहराया। सुक्खू ने कहा - आजकल जो घर ढह रहे हैं, वे संरचनात्मक इंजीनियरिंग के मानकों वाले हैं। प्रवासी आर्किटेक्ट (राजमिस्त्री), जिन्हें मैं ‘बिहारी आर्किटेक्ट’ कहता हूं, यहां आते हैं और फर्श पर फर्श बना देते हैं। हमारे पास लोकल राजमिस्त्री नहीं हैं। इसके बाद सुक्खू ने एक दूसरे में "बिहारी मिस्त्रियों" को दोषी ठहराने से इनकार करते हुए कहा कि आपदा के दौरान वे भी (बिहारी मिस्त्री) फंस गये थे।

गलत तरीके से काटे गए पहाड़

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा - पहाड़ियों को काटने का एक तरीका होता है। पहाड़ियों को हमेशा 45 डिग्री, 60 डिग्री आदि के कोण पर ढलान में काटा जाता है, लेकिन 90 डिग्री पर नहीं, जैसा कि कालका और शिमला के बीच कई स्थानों पर किया गया था। सुक्खू ने अंधाधुंध निर्माण और पहाड़ियों के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके प्रभाव के मुद्दे को हाईलाइट करते हुए बताया कि कई नई बनी इमारतों को वैज्ञानिक तरीके और प्लानिंग से नहीं बनाया गया था और जल निकासी का कोई सिस्टम नहीं बनाया गया जिसके कारण उनकी अस्थिरता पैदा हुई है।

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य की पारंपरिक जल निकासी प्रणालियाँ मजबूत थीं, जो सौ साल से भी अधिक समय तक स्थिर रहीं । लेकिन वर्तमान निर्माण और उनमें भी खराब जल निकासी ने नुकसान को बढ़ा दिया है। राज्य के सड़क बुनियादी ढांचे पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए, सुक्खू ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के रुख में बदलाव का सुझाव दिया। उन्होंने सड़कों को चौड़ा करने की बजाये सुरंग बनाने पर अधिक जोर देने की वकालत की।

कालका शिमला रेल लाइन

सुक्खू ने ऐतिहासिक मिसाल का हवाला देते हुए कालका और शिमला के बीच ब्रिटिश काल में बनी रेलवे लाइन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह रेलवे लाइन कई सुरंगों के माध्यम से स्थापित की गयी थी और यह समय की कसौटी पर खरी उतरी है। सुक्खू ने सुरंग निर्माण की भारी लागत को भी स्वीकार किया और एनएचएआई से तत्काल खर्चों की बजाये दीर्घकालिक व्यवहार्यता को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

सीएम सुक्खू ने उल्लेख किया कि हिमाचल प्रदेश में जुलाई के बाद से लगभग 300 लोगों की जान चली गयी है और 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की महत्वपूर्ण वित्तीय क्षति हुई है। उन्होंने विशेष रूप से पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित राज्यों को समर्थन बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। वर्तमान परिदृश्य पर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने टिप्पणी की कि प्रत्येक किलोमीटर क्षतिग्रस्त सड़क की बहाली के लिए केंद्र का 1.5 लाख रुपये का आवंटन पर्याप्त नहीं है। उन्होंने साफ़ कहा - यह कुछ भी नहीं है।

Anshuman Tiwari

Anshuman Tiwari

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