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तबाह होगी दुनिया: ऐसे बन रहा विनाश का कारण, मचेगा हाहाकार
अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश से कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं, जो खतरा बनकर उभर रहे हैं। प्रदेश के हिमालयी पहाड़ों पर बर्फ काफी तेजी से पिघल रही है। ऐसे में ये एक बड़ी चेतावनी है।
नई दिल्ली : अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश से कुछ ऐसे संकेत मिल रहे हैं, जो खतरा बनकर उभर रहे हैं। प्रदेश के हिमालयी पहाड़ों पर बर्फ काफी तेजी से पिघल रही है। ऐसे में ये एक बड़ी चेतावनी है।क्योंकि हिमालय की बर्फ अगर ज्यादा तेजी से पिघली तो भविष्य में यहां बड़ा जल संकट उत्पन्न हो सकता है।
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हिमाचल में स्नो कवर
हिमालय की पहाड़ियों से आ रहे इस संकट का अध्ययन हिमालय जलवायु परिवर्तन केंद्र के वैज्ञानिकों ने की है। इन वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के कुल बर्फ में बीते दो सालों में 0.72 प्रतिशत की कमी आई है। जो वाकई में चिंता का विषय है।
सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने बताया कि साल 2018-19 में हिमाचल में स्नो कवर 20,210 वर्ग किलोमीटर से अधिक था। जो 2019-20 में घटकर 20,064 वर्ग किलोमीटर हो गया है। साथ ही इसका सीधा असर हिमाचल प्रदेश और उसके आसपास के राज्यों में रहने वाले लोगों पर भी पड़ेगा।
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बर्फ के तेजी से पिघलने के कारण
पहाड़ियों से बर्फ में लगातार कमी के चलते गर्मियों के दौरान नदियों के प्रवाह को प्रभावित करती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, तो बर्फ के तेजी से पिघलने के कारण आने वाले दिनों में पानी की कमी हो सकती है।
पहाड़ों की पिघलती बर्फ जल बनकर हिमाचल की इन नदियों से जिन राज्यों में पानी जाता है, वहां के लिए भारी संकट हो जाएगा। जैसे- पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के लिए खतरा है।
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4 प्रतिशत बर्फ कम
बता दें, अप्रैल महीने में ब्यास बेसिन का 49 प्रतिशत हिस्सा बर्फ से ढंका रहता है। मई तक यह 45 प्रतिशत हो गया है। यानी ब्यास नदी के जलग्रहण क्षेत्र से 4 प्रतिशत बर्फ कम हो गई है।
वहीं रावी बेसिन में अप्रैल में 44 प्रतिशत था, जो मई में घटकर करीब 26 प्रतिशत पहुंच गया। यानी 18 प्रतिशत बर्फ पिघल गई। इस हिसाब से यह एक बड़ी चेतावनी है कि ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से हिमाचल के हिमालयी पहाड़ों की बर्फ तेजी से पिघल रही है। जो कि संकट की घंटी बजा रहा है।
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