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कैसे बढ़े किसान की आय, जब लागत मूल्य पर बिक रहा है गन्ना

सरकार को गन्ना किसानों की मांगो को गंभीरतापूर्वक सुलझाना होगा।पिछले दो पेराई सत्रों में गन्ना मूल्य में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जबकि गन्ने की फसल की लागत लगातार बढ़ रही है।

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Published on: 1 Dec 2020 10:00 AM GMT
कैसे बढ़े किसान की आय, जब लागत मूल्य पर बिक रहा है गन्ना
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कैसे बढ़े किसान की आय, जब लागत मूल्य पर बिक रहा है गन्ना

लखनऊ। सत्ता में आने से पहले भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में किसानों के पक्ष में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वादा किया था लेकिन सालों-साल बाद भी भाजपा इसे लागू करने में नाकाम रही है। उत्तर प्रदेश में सरकार के गन्ना उत्पादन क्षेत्रों में लागत तीन सौ रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच चुकी है लेकिन गन्ना बिक्री मूल्य 315 से 325 पर ही अटका हुआ है। किसान चार सौ रुपये कुंतल गन्ना मूल्य मांग रहे हैं लेकिन सरकार इसे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है।

गन्ना उत्पादन लागत साढ़े तीन सौ रुपये से भी ज्यादा

उत्तर प्रदेश राज्य गन्ना परामर्शी मूल्य निर्धारण समिति की पिछले सप्ताह मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी की अध्यक्षता में बैठक हुई तो गन्ना किसानों ने लागत मूल्य बढ़ने का सवाल उठाया। किसानों ने बताया कि गन्ना उत्पादन लागत प्रति कुंतल तक साढ़े तीन सौ रुपये से भी ज्यादा हो चुकी है। गन्ना शोध संस्थान मुजफ्फरनगर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नए साल में दस रुपये प्रति कुंतल लागत बढ़ गई है।

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गन्ना मूल्य कम से कम 400 रुपये प्रति कुंतल किया जाए-डॉ. अरविंद सिंह

शोध संस्थान ने अपनी प्रति कुंतल गन्ना उत्पादन लागत 297 रुपये 58 पैसे बताया है। पिछले साल इस संस्थान की लागत 287 रुपया थी। गन्ना किसानों का कहना है कि मुजफ्फर नगर क्षेत्र में गन्ना उत्पादकता अधिक है इसलिए वहां लागत कम आई है लेकिन अन्य क्षेत्रों में लागत अधिक है। सरकारी संस्थान भी तीन सौ रुपये प्रति कुंतल से अधिक पर उत्पादन कर रहे हैं। बस्ती मंडल के किसान प्रतिनिधि डॉ अरविंद सिंह ने मुख्य सचिव के सामने गन्ना उत्पादन लागत का चार्ट पेश कर बताया कि गन्ना उत्पादन लागत 352 रुपये प्रति कुंतल है। ऐसे में गन्ना मूल्य कम से कम 400 रुपये प्रति कुंतल किया जाए।

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गन्ना मूल्य 600 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की

पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने नए पेराई सत्र से गन्ना मूल्य 600 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है। उनका मानना है कि, बढ़ती महंगाई की मार से किसान परिवारों को कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खेती में इस्तेमाल होने वाली खाद, बीज, दवा, डीजल आदि काफी महंगे हो गए हैं। जिसके चलते किसान परेशान है।

सरकार को गन्ना किसानों की मांगो को गंभीरतापूर्वक सुलझाना होगा।पिछले दो पेराई सत्रों में गन्ना मूल्य में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जबकि गन्ने की फसल की लागत लगातार बढ़ रही है। पेराई सत्र 2018-2019 और 2019-2020 में 325 रुपये प्रति क्विंटल अगेती और 315 रुपये सामान्य प्रजाति का गन्ना खरीदा गया। पूरे साल की मेहनत के बाद किसान को 18 से 28 रुपये प्रति क्विंटल ही बच रहे हैं।

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स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट आज तक लागू नहीं

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को सरकार ने आज तक लागू नहीं किया है। किसान को लागत पर एक क्विंटल पर कम से कम 125 रुपये का लाभ तो मिलना ही चाहिए। हम 450 रुपये क्विंटल गन्ना मूल्य की मांग कर रहे हैं।

क्यों नहीं दाम बढ़ा रही है सरकार

गन्ना किसानों को अब तक पिछले पेराई सत्र का लगभग दस हजार करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान नहीं हो सका है। चीनी मिलों के प्रबंधक नए पेराई सत्र के शुरू होने के बावजूद भुगतान करने को तैयार नहीं हैं। मुख्य सचिव के साथ गन्ना किसान प्रतिनिधियों की बैठक में यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन के महामंत्री दीपक गुप्तारा ने कहा कि दो साल से चीनी का परता कम आ रहा है।

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गन्ना मूल्य बढ़ाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में

चीनी का उठान भी कम हो रहा है ऐसे में सरकार चीनी मिल मालिकों को प्रति कुंतल 15 रुपये की उत्पादन सहायता प्रदान करे। एसोसिएशन की इस मांग पर सरकार के अधिकारी भी चुप हो गए और गन्ना मूल्य बढ़ाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। गन्ना विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि चीनी मिलों से बकाया भुगतान कराने में हलकान हो रही सरकार अभी गन्ना मूल्य बढ़ाने का जोखिम नहीं उठा सकती है।

रिपोर्ट अखिलेश तिवारी

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