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भागवत के बयान पर बवाल, औवैसी ने किया पलटवार, कहा-पहले....
दो बच्चों की नीति पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सियासी विवाद छिड़ गया है। हालांकि, मोहन भागवत ने इस पर सफाई दी है कि उन्होंने दो बच्चे ही होने चाहिए ऐसा कुछ नहीं कहा था। उन्होंने इतना कहा था कि बच्चे कितने हों ये सरकार तय करें और सभी लोगों से बातचीत के बाद उसे लागू करे।
नईदिल्ली: दो बच्चों की नीति पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सियासी विवाद छिड़ गया है। हालांकि, मोहन भागवत ने इस पर सफाई दी है कि उन्होंने दो बच्चे ही होने चाहिए ऐसा कुछ नहीं कहा था। उन्होंने इतना कहा था कि बच्चे कितने हों ये सरकार तय करें और सभी लोगों से बातचीत के बाद उसे लागू करे। मोहन भागवत ने ताजा बयान में कहा कि संघ का अगला एजेंडा जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर देशभर में आंदोलन करना है। हमेशा से दो बच्चों के समर्थन में रहे हैं। हालांकि, इस संबंध में अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है।
इस बयान पर एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने कहा, ‘मोहन भागवत जी दो बच्चों को लेकर कानून लाना चाहते हैं। शायद उन्हें नहीं पता कि महाराष्ट्र में इससे संबंधित कई कानून पहले से हैं। ऐसा ही कुछ और राज्यों में भी है। फिर भी यदि वे जबर्दस्ती पुरुष नसबंदी करवाना चाहते हैं तो मोदीजी को कानून बनाने दीजिए।
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लेकिन मोहन भागवत के जनसंख्या नियंत्रण वाले बयान पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा है कि देश में वास्तविक समस्या जनसंख्या नहीं बेरोजगारी है। ओवैसी ने कहा कि बेरोजगारी की वजह से हर दिन 36 युवक खुदकुशी कर रहे हैं। मोदी सरकार ने इस बहस को देश की तरक्की में रोड़े अटकाने और माहौल बिगाड़ने की एक और साजिश बताया है। लेकिन ऐसे माहौल में जब सरकार पर नागरिकता कानून और NRC को लेकर मुसलमानों को निशाना बनाने के आरोप लग रहे हैं तब मोहन भागवत ने जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बयान देकर एक और राजनीतिक बहस छेड़ दी है।
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असदुद्दीन ओवैसी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर हमला बोला है उन्होंने कहा, 'वे (भाजपा सरकार) पिछले साढ़े पांच वर्षों में किसी को भी रोजगार मुहैया कराने में विफल रहे। अब आरएसएस के लोग दो बच्चों की नीति बनाने की बातें कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि देश की 60 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 40 साल से कम है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार युवाओं को रोजगार मुहैया नहीं करा पाई।