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नोटबंदी के 3 साल पूरे, जानिए इसे कैसे और क्यों याद रखेगा देश?

सरकार को इस कदम से उम्मीद थी कि इसकी वजह से डिजिटल और कार्ड से हो रहे भुगतान को तेजी मिलेगी। कुछ समय नोटबंदी के दौरान ऐसा हुआ, लेकिन अब एक बार फिर डिजिटल और कार्ड से भुगतान में तेजी से गिरावट देखने को मिली।

Manali Rastogi
Published on: 8 Nov 2019 1:03 PM IST
नोटबंदी के 3 साल पूरे, जानिए इसे कैसे और क्यों याद रखेगा देश?
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नोटबंदी

नई दिल्ली: आज नोटबंदी को तीन साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से तीन साल पहले 8 नवंबर 2016 को अचानक 500 और 1000 के नोटों को बंद करने ऐलान किया था। मगर तीन साल बाद भी नोटबंदी की चर्चा देश के हर कोने में होती ही है। जहां केंद्र सरकार ने धीरे से नोटबंदी से किनारा कर लिया तो वहीं जनता आज भी नोटबंदी की सरहना नहीं करती है। ऐसे में आज भी नोटबंदी को लेकर कई सवाल सामने आते हैं।

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सबसे पहला सवाल तो यही बनता है कि आखिर नोटबंदी का जिक्र सरकार क्यों नहीं करना चाहती? इसके कई जवाब सामने आए। कई लोगों ने कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा क्योंकि मोदी सरकार के ओपास तीन साल बाद भी इस मामले को लेकर कुछ कहने को नहीं है। बता दें, जब विमुद्रीकरण हुआ तब सरकार ने इस कदम को सही ठहराया था, लेकिन अभी तक सरकार इसकी सफलता के कोई पुख्ता आंकड़े पेश नहीं कर पाई है।

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8 नवंबर 2016 को विमुद्रीकरण पर अचानक आए फैसले की वजह से लोग काफी परेशान हुए, लेकिन सरकार तब भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं कर पाई। वहीं, नोटबंदी के नकारात्मक पहलुओं के सामने आने के बाद बीजेपी सरकार के कई दिग्गज नेता सिर्फ इससे बचने की कोशिश ही करते रहे क्योंकि इसकी वजह से देश में अफरा-तफरी मच गयी और इसका सबसे ज्यादा असर संगठित और असंगठित क्षेत्रों के कारोबार पर पड़ा क्योंकि कोई इसके लिए तैयार नहीं था।

वापस आया कैश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को अपने भाषण में कहा था कि, "प्रचलन में नकदी का परिमाण सीधे भ्रष्टाचार के स्तर से जुड़ा हुआ है।" पीएम मोदी के इस भाषण के बाद मध्यरात्रि से 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया गया। सरकार को उम्मीद थी कि इस कदम से लोग नकदी का इस्तेमाल कम करने लगेंगे और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा।

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हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। नोटबंदी के समय डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिला, लेकिन वो सिर्फ अस्थायी था। विमुद्रीकरण के समय 86 फीसदी नकदी को बैन कर दिया गया था, लेकिन अभी भी मार्केट में नकदी ही ज्यादा प्रचलित है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं कि कैश का समय वापस लौट आया है। प्रचलन में कुल मुद्रा पूर्व-सीमांकन स्तर (17.7 ट्रिलियन की तुलना में 22 ट्रिलियन से अधिक) को पार कर गई है।

क्या बैंक में है काला धन?

जब नोटबंदी का ऐलान किया गया तो ये कहा गया कि देश में मौजूद सारा काला धन बैंक में जमा हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। नए नोट मार्केट में आने के बाद भी काले धन का कारोबार तेजी से हो रहा है। सरकार द्वारा कहा गया था कि 99 फीसदी से अधिक सभी विमुद्रीकृत मुद्रा नोट कठोर कदम के बाद बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए थे। मगर इसपर आरबीआई का कुछ और ही कहना है।

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आरबीआई ने कहा कि अधिकांश काले धन को नकद में नहीं, बल्कि वास्तविक क्षेत्र की संपत्ति जैसे सोना या अचल संपत्ति के रूप में रखा जाता है और इस कदम का परिसंपत्तियों पर कोई भौतिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। आरबीआई ने ये भी बताया कि नोटबंदी के बाद भी मार्केट में फर्जी करेंसी मौजूद है।

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सरकार को इस कदम से उम्मीद थी कि इसकी वजह से डिजिटल और कार्ड से हो रहे भुगतान को तेजी मिलेगी। कुछ समय नोटबंदी के दौरान ऐसा हुआ, लेकिन अब एक बार फिर डिजिटल और कार्ड से भुगतान में तेजी से गिरावट देखने को मिली। डिजिटल और कार्ड लेनदेन की संख्या में वृद्धि अब पूर्व-डीनेटाइजेशन दरों पर ही बढ़ रही हैं। ऐसे में ये सोचने वाली बात है कि सरकार ये फैसला फेल क्यों हुआ।

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