हौसलों की उड़ान: पति ने पढ़ाया रूपा को, तय किया गृहिणी से डॉक्टर तक का सफर

पढ़ाई के प्रति लगन और हार ना मानने वाली हौसलों से रूपा ने गृहणि से डॉक्टर तक का सफर तय किया। वे संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताती है कि एक समय ऐसा था जब पारिवारिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई थी। पढ़ाई करने लिए पैसे भी नहीं थे।

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Published on: 26 Dec 2020 2:42 PM GMT
हौसलों की उड़ान: पति ने पढ़ाया रूपा को, तय किया गृहिणी से डॉक्टर तक का सफर
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हौसलों की उड़ान: पति ने पढ़ाया रूपा को, तय किया गृहणि से डॉक्टर तक का सफर

लखनऊ: सफलता की कहानी कभी-कभी दिल को छू जाने वाली होती है। कहते हैं कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। इन लाइनों को सच करने वाली ही कहानी राजस्थान के चौमू से आई है। आठ साल की उम्र में शादी होने के बाद भी रूपा यादव ने सफलता पाने के लिए और अपने आप को एक मुकाम पर पहुंचाने के लिए हौसला बनाये रखा।

रूपा हमेशा से पढ़ने में तेज थी

रूपा यादव का डाक्टर बनने का सपना आखिरकार पूरा हो ही गया। सारी चुनौतियों को पार करते हुए रूपा ने NEET की परीक्षा पास की और आल इंडिया रैंक में 2283 और ओबीसी में 658 रैंक हासिल किया। रूपा शुरूआत से ही पढ़ाई में तेज थी लेकिन बाल विवाह होने के कारण उनकी पढ़ाई कुछ समय के लिए रूक गई थी। बाल विवाह के समय रूपा की उम्र मात्र 8 साल थी और वो तीसरी कक्षा में पढ़ रहीं थी।

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गृहणि से डॉक्टर तक का सफर

पढ़ाई के प्रति लगन और हार ना मानने वाली हौसलों से रूपा ने गृहणि से डॉक्टर तक का सफर तय किया। वे संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताती है कि एक समय ऐसा था जब पारिवारिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई थी। पढ़ाई करने लिए पैसे भी नहीं थे। लेकिन उनके हौसले नहीं डगमगाए। वे बताती है स्कूल घर से काफी दूर था। जिसके लिए उन्हें गांव से तीन किलोमीटर दूर स्टेशन तक जाना होता था, जहां बस में बैठकर वो स्कूल पहुंचती थी। इस दौरान घर के कामकाज भी एक बड़ी चुनौती थे।

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चाचा की मौत ने डॉक्टर बनाने की प्रेरणा दी

अपनी कहानी बताते हुए रूपा कहती हैं कि समय पर उपचार नही मिलने के कारण उनके चाचा भीमाराम यादव की हर्ट अटैक से मौत हो गई थी। जिसके बाद उन्होंने बॉयलाजी लेकर डॉक्टर बनने का संकल्प लिया था। उसी संकल्प के चलते रूपा ने दिन राम मेहनत की और NEET की परीक्षा उत्तीर्ण की।

रूपा ने पहले भी नीट की परीक्षा पास किया था

रूपा इससे पहले भी नीट की परीक्षा पास कर चुकी है। वे बताती हैं कि 2016 में उन्होंने पहली बार NEET की परीक्षा पास की थी। लेकिन रेंक के अनुसार उन्हें महाराष्ट्र स्टेट मिला था, जहां भेजने के लिए ससुराल वाले नहीं माने। इसके बाद 2017 में रूपा ने फिर से NEET की परीक्षा दी और इस बार ऑल इंडिया 2283 रेंक हासिल की।

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पति ने खेती करने के साथ टेंपो भी चलाया

रूपा बताती है कि शादी के बाद उनके जीजा बाबूलाल व बहन रुक्मा देवी ने उसकी पढाई की रूचि को देखते हुए उनका साथ दिया। सामाजिक बाध्यताओं को दरकिनार करते हुए पढ़ाई शुरू कराई। पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए दोनों ने खेती करने के साथ-साथ टेंपो भी चलाया। रूपा ने जब डॉक्टर बनने की इच्छा अपने पति और जीजा को बताई तो उन्होंने रूपा को कोटा से कोचिंग दिलाई।

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शंकर लाल ने भी शुरू की पढ़ाई

रूपा को पढ़ता देख पति शंकर लाल यादव के मन में भी पढ़ाई के प्रति इच्छा जाग्रित हुई। जिसके बाद उन्होंने भी पढ़ना शुरू कर दिया। वर्तमान में शंकर एम।ए प्रथम वर्ष में अध्ययन कर रहे हैं।

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