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IIT दिल्ली का नया रिसर्च: इस औषधि से बन सकती है कोरोना की दवा

दुनिया इस समय कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रही है। लाखों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और अपनी जान गंवा चुके हैं। दुनिया में कई जगहों पर इसकी वैक्सीन और दवा पर रिसर्च जारी है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी अश्वगंधा कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ उपचारात्मक और इसकी रोकथाम करने वाली एक प्रभावी औषधि हो सकती है।

suman
Published on: 19 May 2020 2:39 PM GMT
IIT दिल्ली का नया रिसर्च: इस औषधि से बन सकती है कोरोना की दवा
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नई दिल्ली पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रही है। लाखों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और अपनी जान गंवा चुके हैं। दुनिया में कई जगहों पर इसकी वैक्सीन और दवा पर रिसर्च जारी है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी अश्वगंधा कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ इलाज और इसकी रोकथाम करने वाली एक प्रभावी औषधि हो सकती है। आईआईटी दिल्ली और जापान के एक प्रौद्योगिकी संस्थान के अनुसंधान में यह पाया गया है।

अमेरिका से लेकर यूरोप तक हर देश कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन या दवा के शोध में लगा है। इसी दिशा में आईआईटी और जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एनआईएसटी) ने एक संयुक्त रिसर्च किया है।

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*इस रिसर्च के अनुसार भारत में पहले से अपने औषधीय गुणों से पहचान बनाने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी अश्वगंधा (विथानिया सोम्नीफेरा) कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ एक प्रभावी चिकित्सीय और निवारक दवा बन सकती है। रिसर्च टीम ने पाया कि अश्वगंधा और प्रोपोलिस (मधुमक्खियों द्वारा अपने छत्ते को रोधक बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया सलाइवा) में कोरोना वायरस के लिए प्रभावी दवा बनाने की क्षमता है।

*आईआईटी दिल्ली में बॉयोकेमिकल इंजीनियरिंग एंड बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रमुख व डीएआई लैब के कोआर्डिनेटर प्रोफेसर डी. सुंदर के अनुसार पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद का प्रचलन भारत में हजारों वर्षों से है। बीते एक दशक से आईआईटी दिल्ली व एआईएसटी के शोधार्थी आधुनिक तकनीकों के साथ पारंपरिक ज्ञान के साथ रिसर्च में जुटे हैं।

*नए रिसर्च में सामने आया कि अश्वगंधा के एक केमिकल कंपाउंड विथानोन में यह क्षमता है कि कोरोना वायरस के शरीर में चल रहे रेप्लीकेशन को वह रोक सकता है। इसके साथ ही मधुमक्खी के छत्ते के अंदर भी एक केमिकल कंपाउंड कैफिक एसिड फेनेथाइल ईस्टर (सीएपीई) का पता लगा है जोकि सॉर्स सीओवी-2 एम प्रो की मानव शरीर में चल रही गतिविधि को रोक सकता है।इस रिसर्च में सॉर्स-(COV-2) के मुख्य एंजाइम मैन प्रोटिएज को लक्ष्य बनाकर यह स्टडी की गई है जोकि शरीर में प्रोटीन्स को विभाजित करता है। ये वायरस के शरीर में रेप्लिकेशन पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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बता दें कि इस बारे में विशेषज्ञों की टीम ने कहा कि रिसर्च में जो कंपाउंड हमें मिले हैं वह दोनों ही मानव शरीर में वायरस के रेप्लिकेशन के लिए जिम्मेदार सॉर्स-सीओवी-2 के मुख्य एंजाइम मैन प्रोटिएज को खत्म करने की क्षमता रखते हैं। फिलहाल ये स्टडी समीक्षाधीन है और निकट भविष्य में प्रकाशित होने की उम्मीद है।सरकार ने इस बारे में भी एक अध्ययन शुरू किया है कि क्या अश्वगंधा कोविड-19 की रोकथाम करने वाली संभावित दवा के रूप में मलेरिया रोधी औषधि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का विकल्प बन सकता है।

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