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करामाती मद्रासी IIT बैंडः कलाई में बांधते ही देने लगेगा, कोरोना का अपडेट

ट्रैकर ब्लूटूथ से चलेगा और इसे म्यूज हेल्थ ऐप के जरिए मोबाइल फोन से जोड़ा जा सकता है। उपयोगकर्ता के शरीर से जुड़ी तथा अन्य गतिविधियों की जानकारी फोन तथा दूरस्थ सर्वर में इकट्ठा हो जाएगी।

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Published on: 25 July 2020 12:31 PM GMT
करामाती मद्रासी IIT बैंडः कलाई में बांधते ही देने लगेगा, कोरोना का अपडेट
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नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने इतना तांडव मचा दिया है कि लोग इससे तंग आ चुके हैं। वैज्ञानिक और शोधकर्ता कोरोना की वैक्सीन की खोज में जी-जान से लगे हुए हैं । इस बीच आईआईटी मद्रास ने कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए हाथ में पहनने वाला एक ऐसा बैंड (Band) तैयार किया है जो एकदम शुरूआती सम्य में ही किसी इंसान को संक्रमण के बारे में बता देगा। यह बैंड अगले माह तक बाजार में आ सकता है।

ट्रैकर्स को 70 देशों में लांच करने की योजना

आईआईआईटी मद्रास में स्टार्ट अप म्यूज वियरेबेल्स की शुरुआत पूर्व छात्रों के एक समूह ने एनआईटी वारंगल के पूर्व छात्रों के साथ मिल कर की है। इन ट्रैकर्स को 70 देशों में लांच करने की योजना है। हाथ के ट्रैकर में शरीर के तापमान को मापने, हृदय गति तथा एसपीओ 2 (ब्लड ऑक्सीजन सघनता) को मापने के लिए सेंसर लगे हैं, जो लगातार इन पर नजर रख कर संक्रमण के शुरुआती स्तर में ही पता लगाने में मदद कर सकता है।

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ट्रैकर ब्लूटूथ से चलेगा

बताया जा रहा है कि यह ट्रैकर ब्लूटूथ से चलेगा और इसे म्यूज हेल्थ ऐप के जरिए मोबाइल फोन से जोड़ा जा सकता है। उपयोगकर्ता के शरीर से जुड़ी तथा अन्य गतिविधियों की जानकारी फोन तथा दूरस्थ सर्वर में इकट्ठा हो जाएगी। उपयोगकर्ता यदि किसी निरुद्ध क्षेत्र में जाता है तो आरोग्य सेतु ऐप के जरिए उसे संदेश मिल जाएगा।

ट्रैकर की कीमत 3500 रुपए है

आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र केएलएनसाई प्रशांत ने बताया, हमारा इस वर्ष दो लाख उत्पाद की ब्रिकी का लक्ष्य है और 2020 तक पूरी दुनिया में 10 लाख ट्रैकर बेचने की योजना है। निवेशकों को हमारे नवोन्मेष पर भरोसा है और उन्हें लगता है कि हम उपभोक्ता तकनीक जगत में भारी बदलाव ला सकते हैं। हम 22 करोड़ रुपए इकट्टा करने में सफल हो गए हैं।

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इस ट्रैकर की कीमत 3500 रुपए है और यह 70 देशों में अगस्त तक आ जाएगा। एनआईटी वारंगल से स्नातक के। प्रत्यूषा ने कहा, हमारा मुख्य उद्देश्य ऐसे मरीजों की पहचान में मदद करना है, जिन्हें कोरोना हो सकता है ताकि उनका और प्रभावी तरीके से इलाज किया जा सके।

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